autism treatment in hindi
क्या जन्म से पहले ऑटिज्म का पता लगाया जा सकता है?
ऑटिज्म हमारे मस्तिष्क के काम करने का एक विशेष तरीका है जिससे हमारे लिए बात करना, पढ़ना, लिखना और दोस्त बनाना कठिन हो जाता है। यह अधिकांश अन्य लोगों की तुलना में भिन्न प्रकार का मस्तिष्क रखने जैसा है।
ऑटिज्म के लक्षण कब शुरू होते हैं?
-विलंबित भाषा कौशल
-विलंबित संचलन कौशल
-विलंबित संज्ञानात्मक या सीखने के कौशल
-अतिसक्रिय, आवेगी, और/या असावधान व्यवहार
-मिर्गी या दौरा विकार
-खाने और सोने की असामान्य आदतें
-गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं (उदाहरण के लिए, कब्ज)
-असामान्य मनोदशा या भावनात्मक प्रतिक्रियाएँ
-चिंता, तनाव या अत्यधिक चिंता
ऑटिज़्म के तीन मुख्य कारण क्या हैं?
फिलहाल, हम ऑटिज्म का सटीक कारण नहीं जानते हैं, हालांकि शोध से पता चलता है कि यह विकासात्मक, आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों का एक संयोजन है।
ऑटिज्म कब तक रहता है?
कभी-कभी, बच्चों में ऑटिज़्म के लक्षण तब दिखाई देने लगते हैं जब वे लगभग 1 से डेढ़ साल के होते हैं, या शायद उससे पहले भी। ऑटिज्म के कुछ लक्षण जो जल्दी दिखाई दे सकते हैं, उनमें लोगों की आंखों में देखने में परेशानी होना और जब कोई उनका नाम कहता है तो प्रतिक्रिया न देना शामिल है।
क्या ऑटिज्म दवा से ठीक हो सकता है?
ऑटिज्म का इलाज करना आसान नहीं है। डॉक्टर यह देखते हैं कि बच्चा कैसा है और उन्हें क्या समस्याएं हैं। सबसे पहले, उपचार का उद्देश्य बच्चे को व्यवहार करना, बात करना और रोजमर्रा की चीजें करना सिखाना है। आवश्यकता पड़ने पर दवा का प्रयोग भी किया जा सकता है।
होमियोपैथी में बच्चो में ऑटिज्म को ठीक किया जा सकता है। हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते है की आपका बच्चा ट्रीटमेंट लेने के बाद बिलकुल स्वस्थ और अच्छी ज़िन्दगी जिए। लेकिन ऑटिज्म एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज पूरी तरह से साइंस नहीं ढूढ़ पाया है अभी तक। यह आर्टिकल सिर्फ आपको ऑटिज्म की जानकारी देने के लिए लिखा गया है।