1) क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) में S. Creatinine वैल्यू को कम कैसे करें?
क्रोनिक किडनी डिजीज दीर्घकालिक स्थिति है जिसमें किडनी धीरे-धीरे अपनी कार्य करना कम कर देती हैं। जब किडनी ठीक से काम नहीं कर पातीं, तो रक्त में अपशिष्ट पदार्थ और टॉक्सिन्स जमा होने लगते हैं, जिनमें से एक सीरम क्रिएटिनिन (S. Creatinine) भी है। यह एक महत्वपूर्ण बायोमार्कर है जो किडनी की कार्यक्षमता को मापने के लिए प्रयोग किया जाता है।
-आज का आर्टिकल में, हम जानेंगे कि (CKD) में (S. Creatinine) का स्तर कैसे कम किया जा सकता है और किन तरीकों से किडनी को स्वस्थ रखा जा सकता है।
2) S. Creatinine क्या है और इसका स्तर क्यों बढ़ता है?
क्रिएटिनिन एक अपशिष्ट उत्पाद है, जो मांसपेशियों के मेटाबॉलिज्म से होता है। यह खून में मौजूद होता है और किडनी द्वारा फ़िल्टर होकर पेशाब के माध्यम से निकल जाता है। लेकिन जब किडनी कमजोर हो जाती हैं, तो यह पदार्थ पूरी तरह से फ़िल्टर नहीं हो पाता और रक्त में जमा होने लगता है।
3) S. Creatinine के बढ़ने के कारण क्या है?
-क्रोनिक किडनी डिजीज : – जब किडनी धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होती हैं।
-डिहाइड्रेशन : – पानी न पीने से क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ सकता है।
-प्रोटीन का अधिक सेवन :– मांस, अंडे और डेयरी उत्पाद अधिक खाने से क्रिएटिनिन बढ़ सकता है।
-उच्च रक्तचाप और डायबिटीज : – दोनों बीमारियां किडनी की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।
4) S. Creatinine का लेवल कम करने के प्राकृतिक तरीके क्या है?
क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ा हुआ है, तो इसे कण्ट्रोल करने के लिए कुछ प्राकृतिक और चिकित्सा उपाय अपनाए जा सकते हैं।
* 1. पर्याप्त पानी पिएं
-शरीर में पानी की कमी से क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ सकता है।
- कम से कम 2-3 लीटर पानी पिएं एक दिन में पीना चाहिए
* 2. प्रोटीन का सेवन कम करें
-अधिक प्रोटीन युक्त आहार जैसे की (मांस, अंडे, डेयरी) क्रिएटिनिन का उत्पादन बढ़ा सकते हैं।
- डॉक्टर की सलाह से प्रोटीन का सेवन करें।
3. नमक और सोडियम का सेवन कम करें
-अधिक नमक किडनी पर दबाव डालता है और हाई ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है। -खाना बनाते समय कम नमक डालें और नींबू, हर्ब्स का उपयोग करें।
4. वजन को कण्ट्रोल करें
- मोटापा किडनी पर दबाव डाल सकता है और ब्लड शुगर को बढ़ा सकता है।
-व्यायाम जैसे योग और टहलना
5. ब्लड प्रेशर और शुगर को कण्ट्रोल रखें
-CKD के मरीजों को ब्लड प्रेशर 120/80 mmHg के आसपास रखना चाहिए।
-डायबिटीज के मरीजों को शुगर का स्तर 80-130 mg/dL के बीच रखना चाहिए।
-नियमित रूप से ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की जांच करें।