पैंक्रियास हमारे शरीर का भाग है जो की आमतौर पर पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द और उल्टी के साथ होता है. यह ऐसी स्थिति है जहां अग्न्याशय थोड़े समय के लिए सूज जाता है. एक्यूट पैंक्रियास ये क्रोनिक पैंक्रियास से अलग होता है, जहाँ अग्न्याशय की सूजन कुछ वर्षों तक बनी रहती है और स्थायी क्षति हो सकती है.
२) एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के क्या कारण है ? एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के कारण निचे बताया गया है जो की इस प्रकार से है
-एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस में गॉलब्लैडर की पथरी सबसे आम कारण में शामिल है - ज्यादा शराब सेवन का सेवन करना - कुछ दवाएं का बार बार उपयोग करना -खून में चर्बी की मात्रा ज्यादा होना - आनुवंशिक कारण
-ध्रूमपान का सेवन
३) एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के कौन से लक्षण है ?
एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण निचे बताया गया है , -पेट के ऊपरी भाग में लगातार दर्द का होना -दर्द पीठ में फैल सकता है -उल्टी और मितली -बुखार - हार्ट का धड़कन तेज होना
४) एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस इलाज के कौन -कौन से चरण है ?
- 1. अस्पताल में एडमिट होना
कुछ मामलों में, पेशेंट को अस्पताल में एडमिट करने की जरुरत होती है, क्योंकि गंभीर स्थिति हो सकती है। यहां मरीज की स्थिति पर निरंतर निगरानी की जाती है।
-2. भोजन से परहेज
शुरुआती इलाज में, मरीज को कुछ दिनों तक खाना नहीं दिया जाता है । इससे अग्न्याशय को कुछ हद तक ‘आराम’ मिलता है और वह सूजन से उबरने लगता है।
-3. दर्द और सूजन का कण्ट्रोल
एंटीबायोटिक्स – केवल तब जब संक्रमण की पुष्टि हो तब तक दिया जाता हैं
-4. मूल कारण का इलाज
गॉलब्लैडर की पथरी : यह कारण हो तो मरीज को ERCP या सर्जरी के माध्यम से पथरी हटाने की जरुरत होती है
- अत्यधिक शराब सेवन
- 5. आहार में परिवर्तन
एक बार जब लक्षण कण्ट्रोल में आ जाते हैं, धीरे-धीरे लिक्विड डाइट से ठोस आहार की ओर बढ़ा जाता है। कम फैट वाला और सुपाच्य आहार प्राथमिकता होती है।
५) मरीज की देखभाल और रिकवरी?
-आराम: मरीज को जितना हो सके तो उनको पूरा ही आराम करना जरूरी है।
-लंबी अवधि की फॉलो अप : समय -समय से बार-बार पैंक्रियाटाइटिस होने से यह क्रोनिक में न बदल सके इसलिए नियमित जांच जरूरी है।
- डायबिटीज : अग्न्याशय इंसुलिन भी बनाता है, इसकी क्षति से डायबिटीज हो सकता है।