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homeopathy me acute pancreatitis ka ilaaj?
१)होमियोपैथी में एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस का इलाज? पैंक्रियास हमारे शरीर का भाग है जो की आमतौर पर पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द और उल्टी के साथ होता है. यह ऐसी स्थिति है जहां अग्न्याशय थोड़े समय के लिए सूज जाता है. एक्यूट पैंक्रियास ये क्रोनिक पैंक्रियास से अलग होता है, जहाँ अग्न्याशय की सूजन कुछ वर्षों तक बनी रहती है और स्थायी क्षति हो सकती है. २) एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के क्या कारण है ?एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के कारण निचे बताया गया है जो की इस प्रकार से है -एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस में गॉलब्लैडर की पथरी सबसे आम कारण में शामिल है  - ज्यादा शराब सेवन का सेवन करना - कुछ दवाएं का बार बार उपयोग करना  -खून में चर्बी की मात्रा ज्यादा होना  - आनुवंशिक कारण -ध्रूमपान का सेवन    ३) एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के कौन से लक्षण है ? एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण निचे बताया गया है , -पेट के ऊपरी भाग में लगातार दर्द का होना -दर्द पीठ में फैल सकता है -उल्टी और मितली -बुखार - हार्ट का धड़कन तेज होना ४) एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस इलाज के कौन -कौन से चरण है ? - 1. अस्पताल में एडमिट होना कुछ मामलों में, पेशेंट को अस्पताल में एडमिट करने की जरुरत होती है, क्योंकि गंभीर स्थिति हो सकती है। यहां मरीज की स्थिति पर निरंतर निगरानी की जाती है। -2. भोजन से परहेज शुरुआती इलाज में, मरीज को कुछ दिनों तक खाना नहीं दिया जाता है । इससे अग्न्याशय को कुछ हद तक ‘आराम’ मिलता है और वह सूजन से उबरने लगता है। -3. दर्द और सूजन का कण्ट्रोल एंटीबायोटिक्स – केवल तब जब संक्रमण की पुष्टि हो तब तक दिया जाता हैं -4. मूल कारण का इलाज गॉलब्लैडर की पथरी : यह कारण हो तो मरीज को ERCP या सर्जरी के माध्यम से पथरी हटाने की जरुरत होती है  - अत्यधिक शराब सेवन  - 5. आहार में परिवर्तन एक बार जब लक्षण कण्ट्रोल में आ जाते हैं, धीरे-धीरे लिक्विड डाइट से ठोस आहार की ओर बढ़ा जाता है। कम फैट वाला और सुपाच्य आहार प्राथमिकता होती है। ५) मरीज की देखभाल और रिकवरी? -आराम: मरीज को जितना हो सके तो उनको पूरा ही आराम करना जरूरी है। -लंबी अवधि की फॉलो अप : समय -समय से बार-बार पैंक्रियाटाइटिस होने से यह क्रोनिक में न बदल सके इसलिए नियमित जांच जरूरी है।  - डायबिटीज : अग्न्याशय इंसुलिन भी बनाता है, इसकी क्षति से डायबिटीज हो सकता है।
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ca 19 9 kya hai
१) CA 19-9 क्या है? CA 19-9 ट्यूमर मार्कर है — ऐसा पदार्थ जो शरीर में कुछ प्रकार के कैंसर की उपस्थिति में बढ़ जाता है। यह मुख्य अग्न्याशय , पित्त नली , पेट और लिवर से संबंधित कुछ कैंसर में बढ़ सकता है।  -CA 19-9 शरीर में विशेष रूप से अग्न्याशय और पाचन तंत्र से जुड़ी कोशिकाओं द्वारा होता है। इसका उपयोग कैंसर की डायग्नोसिस के बजाय कैंसर के इलाज की देखरेख और रोग की प्रगति देखने के लिए करते है।  २)क्या केवल CA 19-9 का स्तर बढ़ जाना, अपने आप में कैंसर होने का संकेत है?उत्तर है — नहीं।   - CA 19-9 का लेवल कई गैर-कैंसर स्थितियों में भी हो सकता है।जैसे की - पित्त नली में रुकावट -पित्ताशय की पथरी - लिवर सिरोसिस -पैंक्रियाटाइटिस -धूम्रपान ३) CA 19-9 का रेंज कितना होना चाहिए ? CA 19-9 का लेवल 0 से 37 U/mL के बीच ही होता है। यदि इसका स्तर बहुत ही ज्यादा है, तो डॉक्टर उसके कारण को समझने के लिए कुछ जांचों की सलाह देते है  - यह स्तर 1000 U/mL से भी ज्यादा हो सकता है — जो एडवांस कैंसर की ओर संकेत करता है  ४) CA 19-9 कब उपयोगी होता है? CA 19-9 कैंसर की शुरुआती जांच में सटीक नहीं है, लेकिन इसका उपयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है ,जैसे की  - पैंक्रियाटिक कैंसर का इलाज शुरू होने से पहले ही और बाद में भी मापा जाता है, जिस से इलाज का कितना असर हो रहा है। या नहीं - कैंसर दोबारा न हो - रोग की प्रगति को देखने के लिए: कैंसर फैल रहा है या कण्ट्रोल में है। निष्कर्ष : CA 19-9 का स्तर बढ़ जाना, अपने आप में कैंसर होने का संकेत है? उत्तर: नहीं  बढ़ा हुआ CA 19-9 जरूरी नहीं कि कैंसर ही हो। यह कई अन्य कारणों से भी बढ़ सकता है। यह सहायक टेस्ट है, न कि अंतिम निर्णय लेने वाला। सही डायग्नोसिस के लिए पूरी मेडिकल जांच और विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है।
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acute pancreas aur mesenteric lymph node ka ilaaj
१) एक्यूट पैंक्रियास और मेसेंटरिक लिंफ नोड का इलाज क्या है ? एक्यूट पैंक्रियास और मेसेंटरिक लिंफ नोड्स की सूजन दोनों ही पेट से जुड़ी हुयी गंभीर स्थितियाँ हैं। यह समस्याएं अक्सर एक-दूसरे से ही जुड़ी होती हैं अलग-अलग कारणों से हो सकती हैं। यदि समय पर उपचार न करे तो ये जान लेवा हो सकती हैं।  २) एक्यूट पैनक्रिएटाइटिस क्या है? पैनक्रिएटाइटिस पैंक्रियास की सूजन को कहते हैं। जब यह सूजन अचानक और तेजीसे होती है, तो इसे एक्यूट पैंक्रियास कहते है। यह एक खतरनाक स्थिति है और तुरन्त ही इलाज की जरुरत होती है। ३) एक्यूट पैनक्रिएटाइटिस के कौन-कौन से कारण है ? -Gallstones - ज्यादा शराब का सेवन करना  -कुछ दवाइयों का साइड इफ़ेक्ट -पेट की सर्जरी  ४)एक्यूट पैनक्रिएटाइटिस के कौन-कौन से लक्षण है ? एक्यूट पैनक्रिएटाइटिस के लक्षण निचे अनुसार हो सकते है जैसे की , - पेट के ऊपरी हिस्से में तेज दर्द का होना  -जी मिचलाना और उल्टी -बुखार  ५) मेसेंटरिक लिंफ नोड्स की सूजन क्या है? मेसेंटरिक लिंफ नोड्स, छोटी के आसपास में ही मौजूद लिम्फ नोड्स होते हैं। ये इम्यून सिस्टम का भाग हैं और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। जब इनमें सूजन आती है तो इसे मेसेंटरिक लिंफ एडेनाइटिस कहते है  ६) मेसेंटरिक लिंफ नोड्स के कौन-कौन से लक्षण होते है ? - नाभि के आसपास में दर्द का होना -बुखार -उल्टी निष्कर्ष एक्यूट पैनक्रिएटाइटिस और मेसेंटरिक लिंफ नोड की सूजन दोनों ही गंभीर स्थितियाँ हैं लेकिन समय पर इलाज से पूरी तरह ठीक हो सकती हैं। अच्छी जीवनशैली, निदान और डॉक्टर की सलाह के अनुसार इलाज इन बीमारियों को नियंत्रण में रखने में मदद करता है।
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kabj gas acidity ka ilaaj
१) कब्ज, गैस और एसिडिटी का इलाज? वर्त्तमान समय के बदलते जीवनशैली, अनियमित खान-पान, और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण से कब्ज, गैस और एसिडिटी जैसी पेट की समस्याएं आम बात हो गई हैं। ये समस्याएं छोटी लगती हैं, पर समय रहते इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर रोगों का रूप ले सकती हैं।  -आज का आर्टिकल में हम जानेंगे कि इन समस्याओं के क्या कारण हैं, इनके लक्षण क्या हैं और घरेलू उपायों से कैसे इनका इलाज किया जा सकता है।  2) कब्ज क्या है? जब व्यक्ति को नियमित रूप से मल त्यागने में परेशानी होती है या मल पूरी तरह से बाहर नहीं निकलता है । आमतौर पर सप्ताह में तीन बार से कम शौच जाना कब्ज है।  कब्ज के कारण क्या है ? -फाइबर रहित भोजन -पानी की कमी से  -ज्यादा जंक फ़ूड खाना  -शारीरिक गतिविधि की कमी - चाय या कॉफी का सेवन कब्ज के लक्षण क्या होते है ? - पेट में गैस बनना - सिर में दर्द का होना  - मुह का स्वाद खराब हो जानाघरेलू उपाय ? -सुबह खाली पेट गुनगुना नींबू पानी पीना - फल, सब्जियां, ओट्स खाने में उपयोग करना -खूब पानी पिएं 2. गैस बनने के क्या कारण है? गैस बनने के कारण निचे अनुसार हो सकते है ,जैसे की , - मसालेदार भोजन खाना -भोजन को चबाए बिना ही जल्दी-जल्दी खा जाना  -कब्ज की स्थिति -कार्बोनेटेड ड्रिंक का सेवन गैस के लक्षण क्या है ? -पेट में सूजन और पेट फूलना  -डकार आना - उल्टी जैसा मन का होना ३) एसिडिटी क्या है? जब पेट में एसिड का ज्यादा स्राव होता है और वह ऊपर की ओर अन्ननली में आने लगता है, तो उसे एसिडिटी कहते हैं।एसिडिटी के कारण -अधिक चाय या कॉफी पीना  - मसालेदार भोजन - भोजन करने के बाद लेटनाएसिडिटी के लक्षण क्या है ? -सीने में जलन  -खट्टी डकारें -गले में जलन -पेट में जलन या दर्द
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homeopathy me bina operation pancreas ka ilaaj
१)पैंक्रियास का होमियोपैथी में बिना सर्जरी इलाज क्या है ? अग्न्याशय हमारे शरीर का मुख्या अंग है, जो की दो तरह से कार्य करता है : पाचन एंजाइम बनाना और इंसुलिन जैसे हार्मोन का निर्माण करना - जब पैंक्रियास में कोई समस्या आती है, जैसे कि पैंक्रियास की पथरी, या ट्यूमर, तो इसका असर हमारे पूरे पाचन तंत्र और शुगर कण्ट्रोल प्रणाली पर होता है २) होमियोपैथी और पैंक्रियास? होमियोपैथी वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली है, जो "समान को समान से ठीक किया जा सकता है" होमियोपैथी के सिद्धांत पर कार्य करती है। इसका उद्देश्य बीमारी के लक्षणों को जड़ से ठीक करना है। पैंक्रियास से संबंधित रोगों के लिए भी होमियोपैथी में कई औषधियाँ हैं, जो बिना सर्जरी के इलाज में मदद हो सकती हैं। 1. पैंक्रियाटाइटिस (Pancreatitis) जब पैंक्रियास में सूजन आ जाती है। इसके कारणों में शराब का सेवन, गॉलब्लैडर की पथरी, संक्रमण, शामिल हैं। पैंक्रियाटाइटिस होने पर कैसे लक्षण देखने को मिलते है ? पैंक्रियाटाइटिस होने पर निचे बताये अनुसार लक्षण देखने को मिलते है जैसे की  -मतली और उल्टी  -भूख में कमी होना  -वजन घट जाना -बुखार -दस्त -मधुमेह  -थकान या कमज़ोरी अग्नाशयशोथ के कारण क्या है ? अग्नाशयशोथ के कारण नीचे बताये गए है जैसे की , -पित्त की पथरी -तंबाकू का ज्यादा सेवन करना  -शराब का अत्यधिक सेवन - पारिवारिक इतिहास  2. क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस ? क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस लंबे समय तक बनी रहने वाली सूजन है, जिससे पैंक्रियास की काम करने में धीरे-धीरे कम हो जाता है - Chronic pancreatitis के मुख्य लक्षणों में बार-बार पेट में होने वाला दर्द, वजन कम होना और पाचन में समस्या है. ३) पैंक्रियाज को मजबूत कैसे करें? * आहार *  - हरी पत्तेदार सब्जियां : पालक, मेथी, जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां पैंक्रियाज के लिए फायदेमंद हैं। - फल : अनार, अमरूद, सेब, और पपीता जैसे फल और सब्जियां फाइबर और विटामिन से भरपूर होते हैं, -प्रोटीन : लीन मीट, सोयाबीन, दही, और नट्स में प्रोटीन होता है,  -नारियल पानी : नारियल पानी पैंक्रियाज के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। -पानी : हर दिन 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए, - व्यायाम : नियमित व्यायाम से ब्लड सर्कुलेशन होता है, जो पैंक्रियाज के लिए भी फायदेमंद होता है।
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ibs ka homeopathy me ilaaj
१) आईबीएस का इलाज क्या है? - IBS आम बीमारी है ,जो की बड़ी आंत को असर करती है, जब हम भोजन करते हैं तब भोजन को पाचन तंत्र में पहुंचाने की क्रिया के दौरान ये मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं, लेकिन जब मांसपेशियां अधिक सिकुड़ जाती हैं ,तो पेट में गैस बनने लग जाती है और आंत में भी सूजन आती है जिसके कारण हमारी आंत कमजोर हो जाती है ,इसको IBS कहते है।     २) IBS के कारण क्या क्या हो सकते है? IBS के कई कारण हो सकते है जैसे की , -तनाव और चिंता -गलत तरह का खान-पान -हार्मोनल असंतुलन -आनुवंशिकता   ३) IBS होने के क्या-क्या लक्षण हो सकते है? IBS दुनिया भर के २०% लोगो को असर करती है। इसके लक्षण निचे अनुसार हो है,जैसे की - पेट में ऐंठन का होना  - कब्ज़ या दस्त - पेट फूल जाना -भूख में कमी लगना - वजन भी कम होना ४ ) IBS होने पर क्या खाने से दूर रहना चाहिए ? IBS में इन खाने वाली चीज़ों से बचना चाहिए जैसे की , - बीन्स, और मटर जैसे प्रोटीन और फ़ाइबर से भरपूर पदार्थ  - कार्बोहाइड्रेट -मूली, और टमाटर जैसी कच्ची सब्ज़ियां  -डेयरी उत्पाद में पनीर, क्रीम
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homeopathy me cancer ka upchaar
होम्योपैथी में कैंसर का उपचार: एक समग्र दृष्टिकोण कैंसर एक जटिल और घातक बीमारी है, जो असामान्य कोशिका वृद्धि के कारण होती है। आधुनिक चिकित्सा में कैंसर के उपचार के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी जैसे विकल्प उपलब्ध हैं। लेकिन कई लोग होम्योपैथी की ओर भी रुख कर रहे हैं, जो एक समग्र और प्राकृतिक उपचार पद्धति मानी जाती है। 1) होम्योपैथी की अवधारणा? होम्योपैथी एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली है, जो 'समरूपता के सिद्धांत' (Law of Similars) पर आधारित है। यह मान्यता रखती है कि जो पदार्थ स्वस्थ व्यक्ति में किसी विशेष बीमारी के लक्षण उत्पन्न कर सकता है, वही पदार्थ अत्यंत पतली मात्रा में लेकर रोगी के शरीर में उसकी प्राकृतिक उपचार प्रक्रिया को सक्रिय कर सकता है।  2) कैंसर में होम्योपैथी कैसे काम करती है? होम्योपैथी कैंसर को केवल एक शारीरिक समस्या के रूप में नहीं देखती, बल्कि इसे मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक असंतुलन का परिणाम मानती है। यह उपचार प्रक्रिया को चार प्रमुख तरीकों से प्रभावी बनाती है:  * रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना * - होम्योपैथी शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायता करती है, जिससे कैंसर कोशिकाओं के प्रसार को धीमा किया जा सकता है।  * लक्षणों में सुधार  -कैंसर के कारण उत्पन्न दर्द, सूजन, थकान और मानसिक तनाव को कम करने में होम्योपैथिक दवाएँ प्रभावी हो सकती हैं। * अवरुद्ध ऊर्जा प्रवाह को संतुलित करना  -होम्योपैथी शरीर के भीतर ऊर्जा प्रवाह को संतुलित करने का प्रयास करती है, जिससे शरीर की स्व-उपचार प्रणाली सक्रिय हो जाती है। * कीमोथेरेपी और रेडिएशन के दुष्प्रभावों को कम करना -होम्योपैथिक दवाएँ कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के दुष्प्रभावों जैसे मतली, उल्टी, बाल झड़ना और कमजोरी को कम करने में सहायक हो सकती हैं। 3)होम्योपैथी और समग्र उपचार? होम्योपैथी कैंसर के लक्षणों का इलाज करने तक ही सीमित नहीं रहती, बल्कि यह हमारे पूरे शरीर को अच्छा बनाने पर ध्यान देती है। इसके तहत मरीज के जीवनशैली, खानपान और मानसिक स्थिति रोगी के उपचार में तेजी लाई जाती है सावधानियां और सीमाएं होम्योपैथी कई तरह के बीमारी या रोगों में लाभकारी है, लेकिन कैंसर जैसी स्थिति में इसे मुख्य चिकित्सा के रूप में अपनाने से पहले एक बार अनुभवी डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। कई बार कैंसर उन्नत अवस्था में होता है, जहां तत्काल सर्जरी या अन्य उपचार आवश्यक हो सकते हैं। 4) क्या होम्योपैथी कैंसर का पूर्ण इलाज कर सकती है? होम्योपैथी कैंसर का पूर्ण इलाज कर सकती है या नहीं, इस पर चिकित्सा जगत में मतभेद हैं। हालांकि, यह निश्चित रूप से कैंसर रोगियों की जीवन गुणवत्ता को सुधार सकती है और लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है। यह उन मरीजों के लिए विशेष रूप से उपयोगी हो सकती है, जो पारंपरिक उपचार के साथ-साथ एक समग्र और कम हानिकारक उपचार की तलाश में हैं। निष्कर्ष होम्योपैथी एक प्राकृतिक और व्यक्तिगत चिकित्सा प्रणाली है, जो कैंसर के लक्षणों को कम करने और शरीर की प्राकृतिक उपचार प्रणाली को सक्रिय करने में सहायक हो सकती है। हालाँकि, कैंसर जैसी गंभीर बीमारी में पारंपरिक चिकित्सा के साथ होम्योपैथी को सहायक चिकित्सा के रूप में अपनाना अधिक सुरक्षित और प्रभावी हो सकता है। रोगी को हमेशा एक योग्य चिकित्सक से परामर्श करके ही होम्योपैथिक उपचार अपनाना चाहिए।
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dr pradeep kushwaha youtube faq section
Q1.मेरा अपेंडिक्स 6.7 एमएम का है क्या करना चाहिए दवाई से ठीक नहीं हो सकता है क्या? अपेंडिक्स का सेक्शन है वहां पर इन्होंने यह क्वेश्चन पूछा है देखिए अपेंडिसाइटिस मतलब जो अपेंडिक्स है उसमें इन्फ्लेमेशन होना बार-बार जिन केसेस में इंफ्लेमेटरी चेंस आता है मेडिसिन से थोड़ा सेट हो जाता है फिर आ जाता है उस केस में या फिर बहुत ज्यादा इंफ्लेमेशन आ गया है उस केस में इसे निकाल देने की सलाह दी जाती है और ज्यादातर लोग निकाल भी देते हैं लेकिन होम्योपैथिक मेडिसिन से अपेंडिसाइटिस के केसेस को विदाउट सर्जरी भी ठीक किया जा सकता है बहुत ही वेल एक्सपीरियंस डॉक्टर के अंडर में आप अपना ट्रीटमेंट ले सकते हैं जब इंफ्लेमेशन 6.7 एएम का इसे रिवर्स किया जा सकता है होम्योपैथिक मेडिसिन से 7 8 9 एमएम तक के केसेस को हम देखते हैं कि बहुत अच्छे से मेडिसिन से क्योर किया जा सकता है और सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है लेकिन अपेंडिसाइटिस के केसेस थोड़े सेंसिटिव केस होते हैं आप सोच समझ के अपना इलाज शुरू करिए एक्सपीरियंस डॉक्टर के अंडर में क्योंकि जब यह साइज बढ़ता है तो इसका जो मैनेजमेंट रहता है पूरा दो या तीन दिन का ही गेम रहता है अगर आपने तीन दिन में केस को सेटल कर दिया तब तो आप बाहर आ जाएंगे लेकिन अगर सेटल नहीं होता है डिजीज बढ़ते जाती है तो आप फर्द कॉम्प्लिकेशन में पड़ सकते हैं इसलिए एक्सपीरियंस डॉक्टर जिसने ऑलरेडी इस तरह के केसेस को कई बार ठीक किया है उसके अंडर में अगर आप होम्योपैथिक ट्रीटमेंट लेते हो तो डेफिनेटली इसे विदाउट सर्जरी क्योर किया जा सकता है थैंक यू Q2.ये एक क्वेश्चन है क्या ऑटोइम्यून पैंक्रियाटाइटिस ठीक हो सकता है होम्योपैथी से ? सो हमारे अंदर ऑलरेडी हंड्रेड्स ऑफ पेशेंट है जो ऑटोइम्यून  पैंक्रियाटाइटिस से ग्रसित है और ब्रम होम्योपैथिक हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर का ट्रीटमेंट ले रहे हैं आप जब अपने रिपोर्ट्स को देखेंगे उसमें एक रिपोर्ट होता है आईजीजी फ का यह रिपोर्ट उन ग्रुप के लोगों के लिए कराया जाता है देखने के लिए क्या वह ऑटोइम्यून पॉजिटिव पेशेंट तो नहीं है जिस किसी केस में य आईजीजी फ एलिवेटेड उनको ऑटोइम्यून पनक टाइटिस है सो जब इनके केस को अच्छे से समझा जाता है और उसके बाद उनकी जो मेडिसिन प्लान की जाती है मेडिसिन के साथ प्रॉपर डाट लाइफस्टाइल और यह बहुत ही इंपॉर्टेंट है कि ऑटो इम्यून डिजीज में आपका मेंटल हेल्थ अच्छा रहे क्योंकि स्ट्रेस भी एक इंपॉर्टेंट फैक्टर होता है जो इसको ट्रिगर करता रहता है तो अगर आप इसको समझते हैं और उसको मैनेज करते हैं उसको मैनेज करने के लिए हम प्रॉपर उनको गाइड करते हैं क्या-क्या स्टेप्स ध्यान रखने हैं और जब यह सारी ची चीजों को लेकर चला जाता है तो एक राइट होम्योपैथिक मेडिसिन डेफिनेटली आपको इस कंडीशन से बाहर निकाल देती है कितने ही पेशेंट है जिनको हमने ऑलरेडी ट्रीट किया है और उनका आईजी g4 का लेवल भी नॉर्मल लाया है अलोंग विद दैट उनकी जो पैथोलॉजिकल चेंजेज है वो रिपोर्ट वाइज भी नॉर्मल है और हेल्थ वाइज भी पेशेंट को किसी का किसी तरह का पेन या तकलीफ नहीं है सो अगर इसका मैं आपको आंसर करूं तो डेफिनेटली ऑटोइम्यून पनकटा इटिस को होम्योपैथिक मेडिसिन से क्योर करना पॉसिबल है थैंक यू मयंक खराड़ी जी का एक कमेंट है यू आर राइट मेरा भी हाल तुम्हारे जैसा था भाई बट प्रदीप सर से जुड़ने के बाद उनकी ट्रीटमेंट से बिल्कुल ठीक और नॉर्मल लाइफ जी रहा हूं इनकी वजह से य नंबर वन डॉक्टर ऑल इंडिया में यही कहूंगा मैं यह है सो मैं उन्हें दिल से थैंक यू कहना चाहूंगा मैं खराड़ी जी भी बहुत अच्छे से बहुत डिसिप्लिन वे में इन्होंने ट्रीटमेंट को फॉलो किया है और इनका केस एक्यूट नेक्रोलाइसिस का था और इस केस में पहले इनको मल्टीपल पॉकेट्स थे और ट्रीटमेंट के बाद से सारे पॉकेट रिजॉल्व हो गए इनके साइन एंड सिंटमोबाइल उसे शेयर किया थैंक यू Q3.ओवेरियन सिस्ट के इस वीडियो में एक क्वेश्चन है मुझे कुछ भी दर्द नहीं होता मैं एक नॉर्मल हूं रिलेशन टाइम में भी दर्द नहीं होता पीरियड भी टाइम से आता है फिर मुझे सिंपल सिस्ट हो गया नेचुरली कंसीव कर सकती हो ? सो हर तरह से नॉर्मल है लेकिन आप देख रहे हैं कि ओवरी में एक सिंपल सिस्ट हुआ है सिस्ट का साइज अगर नॉर्मल है मान लीजिए 3 बा 3 सेंटीमीटर का यहां पे आपने साइज नहीं लिखा है अगर साइज लिखे होते तो मैं आपको और अच्छे से गाइड करता बट मैं एक आपको मेरे एंड से एक अजमन बता दे रहा हूं कि यदि 3 बा 3 सेंटीमीटर या 3/4 सेंटीमीटर है या इस रेंज के आसपास का सिंपल सिस्ट रह रहा है और आपका क्वेश्चन है कि नेचुरली प्रेगनेंसी रह सकती है तो बिल्कुल रह सकती है नेचुरली प्रेगनेंसी रहेगी वो भी पॉसिबल है और इस सिस्ट के साथ प्रेगनेंसी कंटिन्यू आप करते हैं किसी अच्छे गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर के गाइडेंस में तो डेफिनेटली प्रेगनेंसी भी सेफ रहेगी और किसी तरह का प्रॉब्लम नहीं होगा लेकिन सिस्ट बड़े साइज का है और विद प्रेगनेंसी है तो आपको अपने गायनेकोलॉजिस्ट से सलाह लेना चाहिए और उसके मार्गदर्शन में आगे बढ़ना चाहिए थैंक यू
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homeopathy medicine kaise kaam karti hai?
१. होम्योपैथी मेडिसिन कैसे काम करती है? होम्योपैथी एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली है जो "समरूपता के सिद्धांत" (Law of Similars) पर आधारित है। इस सिद्धांत के अनुसार, जो पदार्थ स्वस्थ व्यक्ति में किसी विशेष रोग के लक्षण उत्पन्न करता है, वही पदार्थ बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में लेकर रोगी में उन लक्षणों का उपचार कर सकता है। यह चिकित्सा प्रणाली 18वीं शताब्दी में जर्मन चिकित्सक सैमुएल हैनीमैन द्वारा विकसित की गई थी।   २. होम्योपैथी का सिद्धांत और कार्यप्रणाली? (1)समरूपता का नियम (Law of Similars) इस सिद्धांत के अनुसार, "जो चीज बीमारी उत्पन्न कर सकती है, वही उसे ठीक भी कर सकती है।" -उदाहरण के लिए, क्विनाइन (Cinchona Bark) मलेरिया जैसी बीमारी के लक्षण पैदा करता है, इसलिए होम्योपैथी में इसे मलेरिया के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है।  (२) अत्यधिक पतला (Ultra Dilution) और शक्ति प्रदान करना (Potentization) होम्योपैथिक दवाओं को प्राकृतिक स्रोतों (पौधे, खनिज, पशु उत्पाद) से तैयार किया जाता है और उन्हें बार-बार पतला (dilute) किया जाता है।  - इस प्रक्रिया को "पोटेंशिएशन" कहा जाता है, जिससे दवा में मूल पदार्थ के अणु नगण्य रह जाते हैं, लेकिन उसकी ऊर्जा या कंपन शरीर को प्रभावित करता है।  (३) शरीर की आत्म-उपचार शक्ति (Self-Healing Power) को बढ़ावा होम्योपैथी शरीर की प्राकृतिक रोग-प्रतिरोधक क्षमता (immunity) को बढ़ाकर उसे खुद से ठीक करने में मदद करती है। यह सिर्फ लक्षणों को दबाने के बजाय बीमारी के मूल कारण को ठीक करने पर ध्यान केंद्रित करती है।३.होम्योपैथी के कार्य करने का तरीका ? - ऊर्जा स्तर पर कार्य करती है  होम्योपैथिक दवाएं अत्यधिक पतली होती हैं, वे शरीर की ऊर्जा प्रणाली को संतुलित करने का काम करती हैं। यह जैव-ऊर्जा (Vital Force) को उत्तेजित करके शरीर को खुद से ठीक करने के लिए प्रेरित करती हैं।  - कोशिकाओं और अंगों पर प्रभाव  जब होम्योपैथिक दवा शरीर में जाती है, तो यह कोशिकाओं के स्तर पर कार्य करके उनके कार्यों को सामान्य बनाती है।  - बिमारी के मूल कारण पर काम  होम्योपैथी सिर्फ बाहरी लक्षणों को ठीक करने के बजाय बीमारी की जड़ तक पहुंचकर उसे ठीक करने का कार्य करती है। यह मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्तर पर कार्य करके समग्र स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती है।  ४.होम्योपैथिक उपचार के फायदे? -सुरक्षित और प्राकृतिक – इसमें केमिकल्स नहीं होते, इसलिए यह शरीर के लिए सुरक्षित है।  -बच्चों और बुजुर्गों के लिए उपयुक्त – होम्योपैथी दवाएं सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए सुरक्षित हैं।  -पुरानी और जटिल बीमारियों में प्रभावी – एलर्जी, अस्थमा, त्वचा रोग, माइग्रेन, और आर्थराइटिस जैसी बीमारियों में लाभकारी होती हैं। -मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव – तनाव, चिंता, डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं में भी असरदार होती है।  ५ .क्या होम्योपैथी वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है? होम्योपैथी पर कई शोध हुए हैं, लेकिन वैज्ञानिक समुदाय में इसे लेकर मिश्रित राय है। कुछ अध्ययन होम्योपैथी को प्रभावी मानते हैं, जबकि कुछ इसे प्लेसिबो प्रभाव (Placebo Effect) मानते हैं। हालांकि, दुनियाभर में लाखों लोग इसे अपनाते हैं और इसका लाभ अनुभव कर चुके हैं।
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pancreatic pseudocyst kya hai
१)अग्नाशयी स्यूडोसिस्ट क्या है ? अग्नाशयी स्यूडोसिस्ट (Pancreatic Pseudocyst) अग्नाशय से संबंधित एक सामान्य लेकिन महत्वपूर्ण विकार है, जो आमतौर पर अग्नाशय की सूजन (पैंक्रिएटाइटिस) या किसी चोट के कारण विकसित होता है। यह एक तरल से भरी हुई थैली होती है, जो अग्नाशय के अंदर या उसके आसपास बनती है। चूंकि इसमें सच्ची कोशिका भित्ति (true epithelial lining) नहीं होती, इसलिए इसे स्यूडोसिस्ट कहा जाता है। यह स्थिति कभी-कभी बिना किसी उपचार के ठीक हो सकती है, लेकिन कुछ मामलों में इसे चिकित्सकीय या शल्य चिकित्सा (सर्जरी) की आवश्यकता होती है।   २) अग्नाशयी स्यूडोसिस्ट के कारण कौन कौन से है ? यह स्यूडोसिस्ट आमतौर पर निम्नलिखित कारणों से बन सकता है -तीव्र या जीर्ण पैंक्रिएटाइटिस (Acute or Chronic Pancreatitis) -यह सबसे प्रमुख कारणों में से एक है। -जब अग्नाशय में सूजन होती है, तो पाचक एंजाइम और अन्य द्रव्य जमा होकर स्यूडोसिस्ट का निर्माण कर सकते हैं। -अग्नाशय में चोट या आघात (Trauma to the Pancreas) -विशेष रूप से पेट में चोट लगने पर अग्नाशय क्षतिग्रस्त हो सकता है, जिससे स्यूडोसिस्ट बन सकता है।  -अल्कोहल का अत्यधिक सेवन (Excessive Alcohol Consumption) -शराब अग्नाशय की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकती है और सूजन उत्पन्न कर सकती है, जिससे स्यूडोसिस्ट विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है। -पित्त पथरी (Gallstones) -पित्त की पथरी अग्नाशय नली (pancreatic duct) को अवरुद्ध कर सकती है, जिससे स्यूडोसिस्ट बनने का जोखिम बढ़ जाता है।  -अग्नाशय की सर्जरी या संक्रमण (Pancreatic Surgery or Infection) -यदि अग्नाशय की किसी सर्जरी के दौरान जटिलताएँ उत्पन्न होती हैं, तो स्यूडोसिस्ट बनने की संभावना हो सकती है।   ३ .अग्नाशयी स्यूडोसिस्ट के कौन कौन से लक्षण देखने को मिलते है? अग्नाशयी स्यूडोसिस्ट के लक्षण उसके आकार और स्थान पर निर्भर करते हैं। छोटे स्यूडोसिस्ट अक्सर कोई लक्षण नहीं दिखाते, लेकिन यदि यह बड़ा हो जाए, तो निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते है  -पेट दर्द  -आमतौर पर ऊपरी पेट में दर्द महसूस होता है, जो पीठ तक फैल सकता है। -पेट में सूजन और भारीपन  -मरीज को पेट में गांठ या दबाव महसूस हो सकता है।  -मतली और उल्टी -स्यूडोसिस्ट के कारण पाचन तंत्र प्रभावित हो सकता है, जिससे मतली और उल्टी हो सकती है। -भूख में कमी और वजन घटना  -मरीज को भूख कम लगती है, जिससे धीरे-धीरे वजन कम हो सकता है।  -बुखार -यदि स्यूडोसिस्ट में संक्रमण हो जाता है, तो बुखार हो सकता है।  -पीलिया (Jaundice) -यदि स्यूडोसिस्ट बड़ा हो जाए और पित्त नली को अवरुद्ध कर दे, तो त्वचा और आँखों का रंग पीला पड़ सकता है। ४. अग्नाशयी स्यूडोसिस्ट की क्या जटिलताएँ (Complications)है ? यदि अग्नाशयी स्यूडोसिस्ट का सही समय पर इलाज न किया जाए, तो यह कई जटिलताओं का कारण बन सकता है -संक्रमण (Infection) स्यूडोसिस्ट में बैक्टीरिया का संक्रमण होने से मवाद (pus) बन सकता है, जिसे अग्नाशयी फोड़ा (pancreatic abscess) कहा जाता है।  -अग्नाशयी नली का अवरोध (Duct Obstruction) स्यूडोसिस्ट बड़ा होने पर अग्नाशयी या पित्त नली को अवरुद्ध कर सकता है, जिससे पाचन क्रिया प्रभावित होती है। -अन्तःरक्तस्राव (Internal Bleeding) यदि स्यूडोसिस्ट किसी रक्तवाहिनी को क्षतिग्रस्त कर दे, तो आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है। -स्यूडोसिस्ट का फटना (Rupture) कभी-कभी यह सिस्ट अचानक फट सकता है, जिससे पेट में तीव्र दर्द और आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है।५ .अग्नाशयी स्यूडोसिस्ट का पता कैसे लगया जाता है ? -अल्ट्रासाउंड : यह सबसे सरल और सुलभ तकनीक है, जिससे स्यूडोसिस्ट की उपस्थिति की पुष्टि की जा सकती है। -CT स्कैन : इससे स्यूडोसिस्ट का सटीक आकार, स्थिति और अन्य संरचनाओं से संबंध की जानकारी मिलती है। अग्नाशयी स्यूडोसिस्ट इलाज की आवश्यकता स्यूडोसिस्ट के आकार, लक्षणों और संभावित जटिलताओं पर निर्भर करती है।
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bina operation pancreas ka ilaaj
बिना ऑपरेशन पैंक्रियास का इलाज : प्राकृतिक और चिकित्सीय उपाय पैंक्रियास हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो पाचन तंत्र को नियंत्रित करने और इंसुलिन उत्पादन में मदद करता है। पैंक्रियास से जुड़ी बीमारियाँ, जैसे कि पैंक्रियाटाइटिस (Pancreatitis) या पैंक्रियाटिक इनसफिशिएंसी, काफी गंभीर हो सकती हैं। हालांकि, शुरुआती अवस्था में कई मामलों में ऑपरेशन के बिना भी इलाज संभव है।  -इस लेख में, हम पैंक्रियास की समस्याओं के बिना सर्जरी इलाज के प्राकृतिक, आयुर्वेदिक और चिकित्सीय उपायों पर चर्चा करेंगे।  1. पैंक्रियास की समस्याओं के लक्षण क्या होते है ? यदि पैंक्रियास सही से काम नहीं कर रहा है, तो निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं: - पेट के ऊपरी भाग में दर्द होना -जी मिचलाना और उल्टी  -वज़न में कमी -गैस, बदहजमी, दस्त  -ब्लड शुगर लेवल में अनियमितता    2. बिना ऑपरेशन पैंक्रियास का इलाज कैसे होता है ? (A) जीवनशैली और आहार में बदलाव पैंक्रियास को अच्छा रखने के लिए खान-पान और जीवनशैली में बदलाव ज़रूरी हैं।  1. पौष्टिक आहार लें -कम चर्बी वाला भोजन करें, क्योंकि चर्बी पैंक्रियास पर अधिक दबाव डाल सकता है। -उच्च फाइबर युक्त आहार लें, जैसे कि फल, सब्ज़ियाँ और साबुत अनाज। -प्रोसेस्ड फूड, तला-भुना और मसालेदार भोजन से बचें। 2. हाइड्रेशन  -पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, जिससे शरीर से विषैले तत्व निकलते रहें।  3. शराब और धूम्रपान से दुरी  शराब और धूम्रपान पैंक्रियास को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं इसलिए इनसे दुरी बनाये रखे  4. नियमित व्यायाम करें (B) आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपचार 1. गिलोय और हल्दी  गिलोय एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाती है और सूजन कम करती है। हल्दी में करक्यूमिन (Curcumin) पाया जाता है, जो पैंक्रियास की सूजन को कम करने में सहायक है। (C) होम्योपैथिक और प्राकृतिक चिकित्सा कुछ होम्योपैथिक दवाएँ और प्राकृतिक उपचार पैंक्रियास के इलाज में मदद कर सकते हैं: Iris Versicolor: यह पैंक्रियास की सूजन को कम करने में मदद करती है।  Phosphorus: पाचन क्रिया को सुधारने के लिए उपयोगी होती है। Nux Vomica: अपच और गैस की समस्या के लिए कारगर है। (D) डॉक्टर द्वारा सुझाए गए मेडिकल उपचार अगर समस्या ज्यादा गंभीर है, तो डॉक्टर द्वारा सुझाए गए गैर-सर्जिकल उपचार अपनाने चाहिए:  1. एंजाइम सप्लीमेंट्स पैंक्रियास अगर पर्याप्त एंजाइम नहीं बना पा रहा हो, तो डॉक्टर एंजाइम सप्लीमेंट्स दे सकते हैं, जो पाचन में मदद करते हैं। 2. दर्द निवारक दवाएँ अगर पैंक्रियाटाइटिस के कारण दर्द हो रहा है, तो डॉक्टर दर्द कम करने वाली दवाएँ लिख सकते हैं।  3. इंसुलिन थेरेपी अगर पैंक्रियास इंसुलिन का उत्पादन कम कर रहा है, तो इंसुलिन थेरेपी की जरूरत पड़ सकती है।
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high ige level ko kam karne ke tarike ?
हाई IgE लेवल को कम करने के तरीके क्या होते है? IgE (इम्युनोग्लोबुलिन E) एक प्रकार की एंटीबॉडी है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का भाग है। जब शरीर एलर्जी या संक्रमण के संपर्क में आता है, तो IgE एंटीबॉडी बढ़ सकती है। इसका हाई अस्तर एक्जिमा, त्वचा एलर्जी, साइनस संक्रमण और अन्य एलर्जिक बीमारियों का कारण बन सकता है।  -आज का आर्टिकल में, हम IgE के उच्च स्तर को कम करने के प्राकृतिक और चिकित्सीय उपायों पर बात करने वाले है 1. हाई IgE लेवल बढ़ने के कारण क्या हो सकते है? हाई IgE लेवल बढ़ने के कारण निचे बताये गये अनुसार हो सकते है जैसे की, - एलर्जी : धूल, फफूंदी, पालतू जानवर, और खाने से होने वाली एलर्जी IgE को बढ़ा सकती - संक्रमण: कुछ वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से IgE स्तर बढ़ा सकते हैं।  - आनुवंशिकता: परिवार में एलर्जी के इतिहास वाले लोगों में IgE स्तर का खतरा अधिक हो सकता है। - त्वचा रोग: अस्थमा, अर्टिकेरिया और एक्जिमा जैसी स्थितियां IgE स्तर को प्रभावित करती हैं। -पर्यावरणीय कारण : प्रदूषण, धुआं,और अन्य पर्यावरणीय तत्व IgE को ट्रिगर कर सकते हैं। 2. हाई IgE लेवल को कम करने के उपाय क्या होते है ? (i) आहार में बदलाव -एंटी-इंफ्लेमेटरी फूड्स : तुलसी और ग्रीन टी ,हल्दी, अदरक, लहसुन, जैसी चीजें सूजन को कम करने में मददगार होते है- विटामिन-C युक्त फल : नींबू, संतरा, अमरूद, बेरीज जैसी चीजें शरीर की इम्यून प्रतिक्रिया को सुधारती हैं। - ओमेगा-3 फैटी एसिड : मछली, अलसी के बीज और अखरोट IgE के स्तर को कम करने में मददगार होते है (ii) हर्बल और प्राकृतिक उपाय -हल्दी और शहद : एलर्जी से बचाने में मदद करता है। -तुलसी और गिलोय : तुलसी और गिलोय का सेवन प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है  - एलोवेरा जूस: शरीर की सूजन को कम करने में और एलर्जी से बचाने में सहायक होता है। (iii) लाइफस्टाइल में सुधार - व्यायाम और योग: सूर्य नमस्कार और अन्य हल्के योगासन से एलर्जी में राहत मिलती है  - पर्यावरणीय सावधानियां:  प्रदूषण से बचें।  पालतू जानवरों की साफ-सफाई रखें।  पर्याप्त नींद लें और मेडिटेशन करें। (iv) होम्योपैथिक उपचार  होम्योपैथी में एंटी-एलर्जिक दवाएं IgE के स्तर को कम करने में कारगर होती है (v) चिकित्सीय उपचार यदि IgE का स्तर बढ़ा हुआ है, तो डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।  - एंटीहिस्टामिन दवाएं एलर्जी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं।
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chronic kidney disease(ckd) me S. Creatinine value ko kaise kam kare
1) क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) में S. Creatinine वैल्यू को कम कैसे करें? क्रोनिक किडनी डिजीज दीर्घकालिक स्थिति है जिसमें किडनी धीरे-धीरे अपनी कार्य करना कम कर देती हैं। जब किडनी ठीक से काम नहीं कर पातीं, तो रक्त में अपशिष्ट पदार्थ और टॉक्सिन्स जमा होने लगते हैं, जिनमें से एक सीरम क्रिएटिनिन (S. Creatinine) भी है। यह एक महत्वपूर्ण बायोमार्कर है जो किडनी की कार्यक्षमता को मापने के लिए प्रयोग किया जाता है।  -आज का आर्टिकल में, हम जानेंगे कि (CKD) में (S. Creatinine) का स्तर कैसे कम किया जा सकता है और किन तरीकों से किडनी को स्वस्थ रखा जा सकता है। 2) S. Creatinine क्या है और इसका स्तर क्यों बढ़ता है? क्रिएटिनिन एक अपशिष्ट उत्पाद है, जो मांसपेशियों के मेटाबॉलिज्म से होता है। यह खून में मौजूद होता है और किडनी द्वारा फ़िल्टर होकर पेशाब के माध्यम से निकल जाता है। लेकिन जब किडनी कमजोर हो जाती हैं, तो यह पदार्थ पूरी तरह से फ़िल्टर नहीं हो पाता और रक्त में जमा होने लगता है।   3) S. Creatinine के बढ़ने के कारण क्या है? -क्रोनिक किडनी डिजीज : – जब किडनी धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होती हैं। -डिहाइड्रेशन : – पानी न पीने से क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ सकता है। -प्रोटीन का अधिक सेवन :– मांस, अंडे और डेयरी उत्पाद अधिक खाने से क्रिएटिनिन बढ़ सकता है। -उच्च रक्तचाप और डायबिटीज : – दोनों बीमारियां किडनी की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।  4) S. Creatinine का लेवल कम करने के प्राकृतिक तरीके क्या है? क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ा हुआ है, तो इसे कण्ट्रोल करने के लिए कुछ प्राकृतिक और चिकित्सा उपाय अपनाए जा सकते हैं।  * 1. पर्याप्त पानी पिएं -शरीर में पानी की कमी से क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ सकता है। - कम से कम 2-3 लीटर पानी पिएं एक दिन में पीना चाहिए  * 2. प्रोटीन का सेवन कम करें -अधिक प्रोटीन युक्त आहार जैसे की (मांस, अंडे, डेयरी) क्रिएटिनिन का उत्पादन बढ़ा सकते हैं। - डॉक्टर की सलाह से प्रोटीन का सेवन करें। 3. नमक और सोडियम का सेवन कम करें -अधिक नमक किडनी पर दबाव डालता है और हाई ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है। -खाना बनाते समय कम नमक डालें और नींबू, हर्ब्स का उपयोग करें।  4. वजन को कण्ट्रोल करें - मोटापा किडनी पर दबाव डाल सकता है और ब्लड शुगर को बढ़ा सकता है। -व्यायाम जैसे योग और टहलना 5. ब्लड प्रेशर और शुगर को कण्ट्रोल रखें -CKD के मरीजों को ब्लड प्रेशर 120/80 mmHg के आसपास रखना चाहिए। -डायबिटीज के मरीजों को शुगर का स्तर 80-130 mg/dL के बीच रखना चाहिए। -नियमित रूप से ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की जांच करें।  5) परहेज और सावधानियां क्या है ? -शराब और धूम्रपान से दुरी -जंक फूड न लें - स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं – योग और ध्यान से तनाव को कम करें, -डॉक्टर से नियमित परामर्श लें
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acute aur chronic pancreatitis ka ilaaj
१)एक्यूट और क्रोनिक पैंक्रियास का इलाज पैंक्रियास एक महत्वपूर्ण भाग है, जो पाचन तंत्र का हिस्सा होता है और इंसुलिन तथा अन्य एंजाइमों का उत्पादन करता है। जब यह अंग सूजन का शिकार हो जाता है, तो इसे पैंक्रियाटाइटिस कहते है। यह दो प्रकार की होती है - एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस और क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस। * एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस अचानक से शुरू होता है और आमतौर पर कुछ दिनों में ठीक हो जाता है, जबकि क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस एक दीर्घकालिक स्थिति होती है, जो धीरे-धीरे अग्न्याशय को नुकसान पहुंचाती है। दोनों स्थितियों के इलाज के लिए सही समय पर निदान और उचित चिकित्सा आवश्यक होती है। २) एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस का इलाज क्या है ? 1. अस्पताल में उपचार एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के गंभीर मामले में मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरुरत होती है। अस्पताल में निम्नलिखित उपचार किए जाते हैं: *IV फ्लूइड्स: शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए नसों के माध्यम से तरल पदार्थ दिया जाता है। * दर्द निवारक दवाएं: दर्द को कम करने के लिए पेरासिटामोल दवाएं दी जाती हैं। ऑक्सीजन सपोर्ट: यदि मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है, तो ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जाता है। 2. आहार प्रबंधन -पहले कुछ दिनों तक मरीज को कोई भोजन नहीं दिया जाता, जिससे अग्न्याशय को आराम मिल सके। -जब स्थिति सुधरने लगती है, तो स्पष्ट तरल पदार्थ (जैसे नारियल पानी, सूप) दिया जाता है 3. संक्रमण रोकथाम और सर्जरी यदि पैंक्रियास में संक्रमण हो जाता है, तो एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं। गंभीर मामलों में, सर्जरी (नेक्रेक्टोमी) की आवश्यकता हो सकती है, जिसमें क्षतिग्रस्त ऊतक को हटाया जाता है। यदि पित्ताशय की पथरी के कारण एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस हुआ है, तो गॉलब्लैडर (पित्ताशय) को हटाने की सर्जरी (कोलेसिस्टेक्टॉमी) की जा सकती है। २) क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस का इलाज क्या है ? क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस एक दीर्घकालिक स्थिति है, जिसके इलाज के लिए जीवनशैली में बदलाव, दवाओं और कुछ मामलों में सर्जरी की आवश्यकता होती है। 1. दर्द प्रबंधन क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस में लगातार दर्द बना रहता है। इसे कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाते हैं: - दर्द निवारक दवाएं: पेरासिटामोल, इबुप्रोफेन या ओपिऑइड आधारित दवाएं दी जाती हैं। 2. एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी पैंक्रियास द्वारा एंजाइम का उत्पादन कम होने पर, पैंक्रियाटिक एंजाइम सप्लीमेंट्स (जैसे पैनक्रिएलिपेज) दिए जाते हैं, जिससे पाचन क्रिया सुचारू हो सके।  3. आहार और जीवनशैली में बदलाव -शराब का सेवन पूरी तरह बंद करें, -वसायुक्त और मसालेदार भोजन से बचें, -छोटे और हल्के भोजन दिनभर में कई बार लें, जिससे पाचन तंत्र पर अधिक दबाव न पड़े।  4. सर्जरी और अन्य प्रक्रियाएं जब दवा और जीवनशैली परिवर्तन से सुधार नहीं होता, तो निम्नलिखित सर्जिकल प्रक्रियाओं की आवश्यकता हो सकती है: - एंडोस्कोपिक ट्रीटमेंट: यदि पैंक्रियाज की नलियों में(ब्लॉकेज) है, तो एंडोस्कोपिक प्रक्रिया द्वारा उसे हटाया जाता है। -पैंक्रियाटिक डक्ट डिब्राइडमेंट: यदि पैंक्रियास की नलियों में कैल्सियम जमा हो गया हो, तो इसे हटाने के लिए सर्जरी की जाती है। -पैंक्रियाटिक रिसेक्शन : यदि पैंक्रियास का एक बड़ा भाग क्षतिग्रस्त हो गया है, तो उसे हटाने के लिए सर्जरी की जाती है। इंसुलिन थेरेपी: यदि पैंक्रियास पूरी तरह से खराब हो जाता है और शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है, तो डायबिटीज होने का खतरा रहता है। ऐसे में इंसुलिन इंजेक्शन दिए जाते हैं।  ५) घरेलू उपचार और देखभाल -पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, जिससे शरीर हाइड्रेटेड रहे। -हर्बल चाय (कैमोमाइल या अदरक की चाय) पाचन में सहायक होती है और सूजन को कम कर सकती है।- योग और ध्यान से दर्द प्रबंधन और मानसिक तनाव को कम करने में मदद मिलती है। -फाइबर युक्त आहार (फल, हरी सब्जियां) को शामिल करें, जिससे पाचन क्रिया बेहतर हो।
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IgE level treatment in homeopathic
उच्च IgE स्तर: कारण, लक्षण और उपचार IgE एक प्रकार का एंटीबॉडी है जो हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा उत्पादित किया जाता है। यह एंटीबॉडी मुख्य रूप से एलर्जी और परजीवी संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। लेकिन जब शरीर में IgE स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है, तो यह विभिन्न एलर्जी प्रतिक्रियाओं और अन्य प्रतिरक्षा-संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है। -आज का आर्टिकल में, हम उच्च IgE स्तर के कारणों, लक्षणों, और प्रभावी उपचारों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। १) उच्च IgE स्तर के क्या कारण है? IgE का स्तर बढ़ने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जो की इस प्रकार से है :  * 1. एलर्जी संबंधी विकार - धूल, पराग, जानवरों के बाल, और फफूंद से एलर्जी -दवाओं से एलर्जी  *2. संक्रमण  वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण *3. प्रतिरक्षा तंत्र की बीमारियाँ -एटोपिक डर्मेटाइटिस  -अस्थमा  * 4. आनुवंशिक कारण यदि परिवार में किसी को IgE से एलर्जी रही हो, तो इसका खतरा बढ़ जाता है।    २) उच्च IgE स्तर के क्या लक्षण होते है ? जब शरीर में IgE का लेवल अधिक हो जाता है, तो यह अलग - अलग प्रकार की एलर्जी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। इसके प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:   -त्वचा संबंधी समस्याएँ  - खुजली, लाल चकत्ते -सांस संबंधी दिक्कतें– छींक आना, नाक बंद होना, अस्थमा के दौरे -पाचन संबंधी समस्याएँ – अपच, उल्टी, दस्त -सिरदर्द और थकान ३) उच्च IgE स्तर का निदान कैसे किया जाता है? IgE स्तर की जांच के लिए खून परीक्षण किया जाता है। एलर्जी टेस्ट (Skin Prick Test) और अन्य इम्यूनोलॉजिकल टेस्ट भी डॉक्टर द्वारा कराए जा सकते हैं।  ४) उच्च IgE स्तर के उपचार कौन कौन से है ? किसी व्यक्ति का IgE स्तर बहुत अधिक है, तो इसे कण्ट्रोल करने के लिए विभिन्न प्रकार के उपचार अपनाए जा सकते हैं।  1. दवाओं द्वारा उपचार  * एंटीहिस्टामिन – एलर्जी से राहत देने के लिए  * ब्रोंकोडायलेटर – सांस की नलियों को चौड़ा करने के लिए 2. इम्यूनोथेरेपी (Allergy Shots) यदि किसी व्यक्ति को किसी चीज से एलर्जी है, तो डॉक्टर इम्यूनोथेरेपी का सुझाव देते हैं, जिसमें शरीर को धीरे-धीरे उस एलर्जी के प्रति सहनशील बनाया जाता है।  3. जीवनशैली में बदलाव  संतुलित आहार – हरी सब्जियाँ, फल, सूखे मेवे और प्रोटीनयुक्त आहार का सेवन करें। पर्यावरण को स्वच्छ रखें – धूल और धुएं से बचाव करें। तनाव कम करें – ध्यान और मेडिटेशन से मानसिक शांति प्राप्त करें।  निष्कर्ष उच्च IgE स्तर शरीर में एलर्जी और प्रतिरक्षा प्रणाली की गड़बड़ी को दर्शाता है। यदि समय रहते इसका सही इलाज न किया जाए, तो यह अस्थमा, त्वचा रोग और पाचन संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकता है।
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pancreas ka sex life par asar
१)पैंक्रियाटाइटिस का सेक्स लाइफ पर क्या असर होता है ? Pancreatitis एक गंभीर बीमारी है, जिसमें अग्न्याशय में सूजन आ जाती है। यह रोग तीव्र (Acute) या दीर्घकालिक (Chronic) रूप में हो सकता है और व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य पर असर डालता है।  -इसके लक्षणों में पेट में तेज़ दर्द, मतली, उल्टी, पाचन संबंधी समस्याएं और कमजोरी शामिल हो सकते हैं। हालांकि, इस बीमारी का एक ऐसा पहलू जिसे अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है, वह है सेक्स लाइफ पर इसका प्रभाव होता है  -यह लेख इस बात की गहराई से जांच करेगा कि पैंक्रियाटाइटिस कैसे यौन जीवन को प्रभावित करता है, इसके क्या कारण हो सकते हैं, और इससे निपटने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।   २) पैंक्रियाटाइटिस और सेक्स लाइफ पर प्रभाव क्या है ? 1. शारीरिक कमजोरी और थकान पैंक्रियाटाइटिस के मरीजों को अक्सर थकान और कमजोरी का अनुभव होता है। अग्न्याशय के ठीक से काम न करने से पाचन क्रिया प्रभावित होती है, जिससे पोषक तत्वों का अवशोषण कम हो जाता है और शरीर कमजोर महसूस करने लगता है। ऐसी स्थिति में यौन क्रियाओं में रुचि और ऊर्जा की कमी हो सकती है।  2. दर्द और असहजता पैंक्रियाटाइटिस से ग्रस्त व्यक्ति पेट के ऊपरी हिस्से में गंभीर दर्द महसूस कर सकता है, जो पीठ तक फैल सकता है। यह दर्द यौन संबंध बनाने के दौरान असहजता पैदा कर सकता है, 3. मनोवैज्ञानिक प्रभाव: तनाव, अवसाद और चिंता पुरानी बीमारियों का मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी होता है। लंबे समय तक दर्द और शारीरिक तकलीफ की वजह से व्यक्ति Depressionऔर चिंता से ग्रस्त हो सकता है। यह मानसिक स्थिति सेक्स ड्राइव (Libido) को प्रभावित कर सकती है और रिश्ते में तनाव पैदा कर सकती है। 4. हार्मोनल का असंतुलन होना पैंक्रियाज इंसुलिन और अन्य पाचन एंजाइमों के साथ कुछ हार्मोन भी स्रावित करता है। अगर अग्न्याशय ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जिससे पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो सकता है और स्त्रियों में सेक्स ड्राइव पर असर पड़ सकता है।  5. मेडिकेशन और साइड इफेक्ट्स पैंक्रियाटाइटिस के इलाज के लिए दी जाने वाली कुछ दवाएं भी यौन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। कुछ दर्द निवारक दवाएं और स्टेरॉयड सेक्स ड्राइव को कम कर सकते हैं, जबकि एंटीडिप्रेसेंट्स इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile Dysfunction) या उत्तेजना की कमी का कारण बन सकते हैं। 6. एल्कोहल और धूम्रपान का प्रभाव पैंक्रियाटाइटिस का एक कारण अत्यधिक शराब सेवन है। शराब न केवल इस बीमारी को बढ़ा सकती है, बल्कि यह पुरुषों में नपुंसकता (Impotence) और महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन को भी जन्म दे सकती है, जिससे यौन स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।  ३) पैंक्रियाटाइटिस के कारण उत्पन्न यौन समस्याओं से निपटने के उपाय क्या है ? 1. संतुलित आहार पैंक्रियाज के स्वस्थ रहने के लिए सही आहार बहुत जरूरी है। हल्का, सुपाच्य और कम वसा वाला भोजन लें। ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन युक्त आहार लें  2. दर्द प्रबंधन दर्द बहुत अधिक हो, तो डॉक्टर से उचित पेन मैनेजमेंट विकल्पों पर चर्चा करें। कुछ योगासन और हल्के व्यायाम भी दर्द को कम करने और शरीर को लचीला बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।  3. डॉक्टर से सलाह अगर किसी दवा का असर सेक्स लाइफ पर पड़ रहा है, तो डॉक्टर से विकल्पों पर चर्चा करें। कुछ दवाओं को बदला जा सकता है या उनकी खुराक को समायोजित किया जा सकता है। 4. शराब और धूम्रपान से दुरी अगर पैंक्रियाटाइटिस का कारण शराब या धूम्रपान है, तो इन्हें तुरंत छोड़ दें। निष्कर्ष पैंक्रियाटाइटिस एक गंभीर बीमारी है, जो न केवल पाचन तंत्र बल्कि यौन जीवन को भी प्रभावित कर सकती है। यह समस्या शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्तर पर प्रभाव डालती है, जिससे व्यक्ति की सेक्स ड्राइव, ऊर्जा और आत्मविश्वास कम हो सकता है।
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ca 19 9 ko kam karne ke tarike
CA 19-9 को कम करने के प्राकृतिक और चिकित्सा उपाय CA 19-9 एक प्रकार का ट्यूमर मार्कर है, जिसका उपयोग विशेष रूप से अग्नाशय के कैंसर और अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों का पता लगाने के लिए किया जाता है। जब CA 19-9 का लेवल बढ़ जाता है, तो यह पैंक्रियाज कैंसर, पित्त नली में रुकावट, लिवर की समस्याओं या सूजन जैसी स्थितियों का संकेत दे सकता है। हालाँकि, इसका उच्च स्तर हमेशा कैंसर का संकेत नहीं देता, बल्कि अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की ओर भी इशारा कर सकता है। - यदि आपके CA 19-9 स्तर ज्यादा हैं, तो इसे कम करने के लिए आपको सही आहार, जीवनशैली में बदलाव और उचित चिकित्सा की आवश्यकता होती है। आज का आर्टिकल में, हम CA 19-9 को कम करने के विभिन्न प्राकृतिक और चिकित्सीय पर बात करने वाल्व है। * 1. आहार में सुधार करना  संतुलित आहार हमरे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने और सूजन को कम करने में मदद करता है। (A) एंटीऑक्सीडेंट युक्त खाद्य पदार्थ खाएं एंटीऑक्सीडेंट शरीर में सूजन को कम करने और कोशिकाओं की क्षति को रोकने में मदद करते हैं। जैसे की - हरी सब्जियाँ – पालक, मेथी, सरसों  -फल :– ब्लूबेरी, संतरा, सेब, अनार - नट्स और बीज – अखरोट, बादाम, अलसी के बीज * (B) जंक फूड से दुरी रखे तले हुए खाद्य पदार्थ, अधिक चर्बी और शक्कर युक्त चीजें शरीर में सूजन को बढ़ा सकती हैं। जंक फूड पदार्थों से परहेज करें। * (C) हल्दी और अदरक का सेवन हल्दी में मौजूद Curcumin सूजन को कम करने में मदद होता है। अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो की शरीर के टॉक्सिन्स को निकालने में मदद करते हैं। 2. जीवनशैली में सुधार करना (A) नियमित रूप से व्यायाम करें रोजाना 30 मिनट की कसरत, योग या टहलना अच्छा हो सकता होता है। व्यायाम शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और सूजन को कम करने में मदद करता है । (B) तनाव कम करें अत्यधिक तनाव शरीर में सूजन को बढ़ा सकता है, जिससे CA 19-9 का स्तर बढ़ सकता है। (C) पर्याप्त मात्रा में नींद लें रोजाना 8 घंटे की गहरी नींद भी जरूरी है। 3. हाइड्रेशन और डिटॉक्सिफिकेशन (A) अधिक पानी पिएं डेली 10 गिलास पानी पीने से शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं।  (B) डिटॉक्स ड्रिंक्स का सेवन करें ग्रीन टी और हर्बल चाय भी फायदेमंद हो सकती हैं। 4. चिकित्सा परामर्श और उपचार यदि आपके CA 19-9 का स्तर बहुत ज्यादा है, तो डॉक्टर की सलाह लेना बहुत ही आवश्यक है। (A) नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं (B) डॉक्टर आवश्यक होने पर दवाइयाँ या विशेष उपचार दे सकते हैं। (C)लिवर और पाचन तंत्र को अच्छा रखने के लिए सही आहार और डेली कसरत जरूरी है।निष्कर्ष CA 19-9 का उच्च स्तर विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है, लेकिन सही आहार, जीवनशैली में सुधार और उचित चिकित्सा देखभाल से इसे कण्ट्रोल किया जा सकता है। स्वस्थ खानपान, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन और चिकित्सा सलाह का पालन करने से आप अपने CA 19-9 के स्तर को प्राकृतिक रूप से कम कर सकते हैं।
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prostate ka bina surgery ilaaj
१) प्रोस्टेट का बिना सर्जरी इलाज क्या है ? पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि एक महत्वपूर्ण भाग होता है, जो मूत्र और प्रजनन प्रणाली से जुड़ा होता है। उम्र बढ़ने के साथ में ही कई पुरुषों को प्रोस्टेट की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें BPH या बढ़ी हुई प्रोस्टेट ग्रंथि सबसे आम है।  - यह स्थिति पेशाब करते टाइम में परेशानी , बार-बार पेशाब का आना और पेशाब की धीमी धारा जैसी समस्याएं पैदा कर सकती है। हालांकि कई मामलों में बिना सर्जरी के भी प्रोस्टेट का इलाज संभव है। २) प्रोस्टेट का प्राकृतिक और घरेलू उपाय क्या है ? (i) सही आहार और पोषण  * संतुलित आहार प्रोस्टेट ग्रंथि को अच्छा बनाए रखने में भी मदद करता है। * टमाटर और लाइकोपीन युक्त आहार – टमाटर में लाइकोपीन नामक एंटीऑक्सिडेंट होता है ,जो प्रोस्टेट ग्रंथि को स्वस्थ रखता है और BPH के लक्षणों को भी कम करता है। * हरी सब्जियां और फल – पालक, ब्रोकली और गाजर जैसे खाद्य पदार्थ प्रोस्टेट स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। (ii) हाइड्रेशन और सही जीवनशैली  * पर्याप्त मात्रा में पानी पीना –: दिनभर में कम से कम 8-12 गिलास पानी पीना ही चाहिए। * कैफीन और शराब से दुरी – : कैफीन और शराब पेशाब से जुड़ी समस्याओं को बढ़ा सकते हैं। * धूम्रपान छोड़ना – धूम्रपान स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। ( iii) . योग और व्यायाम (i) योगासन मूलबंध आसन :– यह आसन पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है और प्रोस्टेट स्वास्थ्य में सुधार करता है। सेतुबंध आसन :– यह आसन मूत्राशय और प्रोस्टेट ग्रंथि को स्वस्थ बनाए रखता है। प्राणायाम और ध्यान :– अनुलोम-विलोम और कपालभाति प्राणायाम करने से प्रोस्टेट की सूजन कम हो सकती है। (ii) केगेल एक्सरसाइज यह व्यायाम प्रोस्टेट ग्रंथि और मूत्राशय की मांसपेशियों को मजबूत करता है  4. आधुनिक गैर-सर्जिकल उपचार? (i) दवाइयां और थेरेपी *अल्फा-ब्लॉकर्स – ये दवाएं प्रोस्टेट की मांसपेशियों को आराम देकर पेशाब करने में मदद करती हैं। *अल्फा रिडक्टेज़ इनहिबिटर्स – ये दवाएं प्रोस्टेट ग्रंथि के आकार को छोटा करने में मदद कर सकती हैं।  (ii) मिनिमल इन्वेसिव तकनीकें रेजम थेरेपी ट्रांसयूरेथ्रल माइक्रोवेव थेरेपी (TUMT)
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online pancreatitis treatment
१)क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस का इलाज? क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस लंबे समय तक चलने वाली सूजन से संबंधी बीमारी है, जो अग्न्याशय को असर करती है। यह रोग धीरे-धीरे विकसित होता है और समय के साथ अग्न्याशय को नुकसान पहुंचाता है। यह स्थिति तब खड़ी होती है जब अग्न्याशय के ऊतकों में लगातार सूजन बनी रहती है, जिससे पाचन एंजाइम और हार्मोन उत्पादन को असर होता है। २) क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस के कौन कौन से कारण होते है ? क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस कारण निचे बातये अनुसार हो सकते है जैसे की , * अत्यधिक शराब का सेवन –: लगातार शराब पीने से अग्न्याशय पर नकारात्मक असर पड़ता है। * धूम्रपान – : यह अग्न्याशय के ऊतकों को सीधा ही नुकसान पहुंचाता है। * आनुवंशिक कारण –: परिवार में इस बीमारी का इतिहास होने से इसका जोखिम और भी बढ़ सकता है। * अवरोधक कारण –: पित्त नली में रुकावट होने से अग्न्याशय में सूजन हो सकती है। * वसायुक्त आहार – उच्च चर्बी वाले आहार से अग्न्याशय पर भार बढ़ सकता है।  ३) क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण क्या हो सकते है ? क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण निचे अनुसार हो सकते है जैसे की , - पेट के ऊपरी हिस्से में लगातार दर्द का होना  -पाचन क्रियाओं में गड़बड़ी -वजन काम हो जाना -तैलीय व चिकना मल - मधुमेह -जी मिचलाना और उल्टी आना  ४) क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस का इलाज? 1. जीवनशैली में बदलाव लाना शराब और धूम्रपान से दुरी रखे स्वस्थ आहार का उपयोग करे संतुलित भोजन लें भरपूर पानी पिएं व्यायाम करे  २ . सर्जिकल और अन्य उपचार एंडोस्कोपिक उपचार – पित्त नली में अवरोध को हटाने के लिए किया जाता है।  पैंक्रियास सर्जरी – जब उपचार कारगर नहीं होते, है तो क्षतिग्रस्त हिस्से को निकालने के लिए सर्जरी की जाती है।  न्यूरोलाइटिक ब्लॉक – दर्द को कण्ट्रोल करने के लिए नसों को ब्लॉक किया जाता है। ३) रोकथाम के उपाय - संतुलित आहार का सेवन करें। -शराब और धूम्रपान से दूर रहे नियमित रूप से कसरत करे
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hbv or hcv ka ilaaj kya hai
१) हेपेटाइटिस बी (HBV) और हेपेटाइटिस सी (HCV) का इलाज क्या है ? HBV और HCV यकृत से जुड़ी गंभीर बीमारि हैं जो वायरस के संक्रमण के कारण होती हैं। ये दोनों संक्रामक रोग हैं और मुख्य रूप से खून और शारीरिक द्रव्यों के संपर्क से फैलते हैं। हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी लिवर की सूजन, और लिवर कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकते हैं। हालांकि, इनका इलाज और रोकथाम संभव है। आज का लेख में, हम हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के इलाज के बारे में बात करने वाले है।  २)हेपेटाइटिस बी (HBV) का इलाज: 1. एंटीवायरल दवाएँ: -हेपेटाइटिस बी का कोई पूरा इलाज नहीं है, लेकिन एंटीवायरल दवाएँ जो वायरस को कम और लिवर को नुकसान से बचाने में मदद करती हैं।*इंटरफेरॉन (Interferon) इंजेक्शन ये दवाएँ वायरस की वृद्धि को रोकती हैं और लिवर की क्षति को कम करने में सहायक होती हैं। 2. लिवर को अच्छा बनाए रखना: -अल्कोहल और धूम्रपान से दुरी रखना -संतुलित आहार लें, जिसमें फल, सब्जियाँ, और प्रोटीन भरपूर प्रमाण में हों। -नियमित कसरत करें। ३) हेपेटाइटिस सी (HCV) का इलाज ? हेपेटाइटिस सी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। हाल ही में विकसित दवाएँ है जो की वायरस को समाप्त करने में बहुत ही असरकारक हैं। कुछ प्रमुख दवाएँ निम्नलिखित हैं:  -Ledipasvir  -Velpatasvir ये दवाएँ वायरस को रोकती हैं और आमतौर पर 8-१० सप्ताह के इलाज के बाद मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। 2. लिवर की देखभाल: हेपेटाइटिस सी वाले मरीजों को भी अपने लिवर की विशेष देखभाल करने की जरूरत होती है: -स्वस्थ आहार लें और जंक फूड से बचें। -पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। -शराब और नशीले पदार्थों से दूर रहे 3. जीवनशैली में सुधार: - योग करें। -अधिक से अधिक हाइड्रेटेड रहें। -तनाव से दुरी रहे    ३) हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी से बचने के उपाय क्या है ? -किसी भी सुई का दोबारा उपयोग न हो -सुरक्षित यौन संबंध बनाएं और सावधानी बरतें। -संक्रमित व्यक्ति के खून, या टूथब्रश का उपयोग न करें। -रक्तदान करवाने से पहले उसकी स्क्रीनिंग अवश्य करे ।  निष्कर्ष: हेपेटाइटिस बी और सी गंभीर लेकिन प्रबंधनीय बीमारियाँ हैं। हेपेटाइटिस बी के लिए एंटीवायरल दवाएँ उपलब्ध हैं, जबकि हेपेटाइटिस सी पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। रोकथाम, समय पर जांच और उचित दवाओं के उपयोग से इन बीमारियों से बचा जा सकता है। स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली अपनाकर लिवर को स्वस्थ बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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acute necrotizing pancreatic ka dead tissue hua normal
एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियाटाइटिस का डेड टिश्यू हुआ नार्मल एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियाटाइटिस गंभीर स्थिति है जो पैंक्रियास में अचानक सूजन के कारण होती है। इस स्थिति में पैंक्रियास के कुछ भाग ऊतकों की मृत्यु हो जाती है।  -अगर सही टाइम पर नेक्रोसिस के कारण उत्पन्न समस्याओं का समाधान नहीं किया जाए तो यह पेशेंट की जान के लिए खतरा भी बन सकता है।  १) ANP टिश्यू के पुनः सक्रिय होने के क्या करक है ? एक अध्ययन के अनुसार, ANP के दौरान उत्पन्न हुए नेक्रोटिक टिश्यू के पुनः सक्रिय होने की सफलता में कुछ प्रमुख कारक सहायक थे:  - प्रारंभिक चिकित्सा देखरेख : शुरुआती स्तर पर डॉक्टर हस्तक्षेप से ANP के असर को कम कर सकता है और नेक्रोटिक टिश्यू के पुनरुद्धार की संभावना को बढ़ा सकता है। - औषधीय उपचार : एंटीबायोटिक और एंटी-इन्फ्लेमेटरी दवाओं का सही मात्रा में समय पर उपयोग करना जरुरी है। इससे संक्रमण का खतरा कम होता है और सूजन भी कण्ट्रोल में रहती है, जिससे टिश्यू के पुनर्जनन की प्रक्रिया सुगम होती है। - जीवनशैली में सुधार : शराब और ध्रूमपान का सेवन बंद ही कर देना चाहिए।  -नियन्त्रित खानपान और नियमित व्यायाम - जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव के लिए डेली कसरत भी नेक्रोटिक टिश्यू के सुधार में सहायक होते हैं।  -डॉक्टर से फॉलो-अप : लगातार डॉक्टर की निगरानी में अपना उपचार कराना चाहिए जिस के कारण से पेशेंट के जीवन में सुधार आये २) एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस और एक्यूट नेक्रोटाइजिंग पैंक्रियाटाइटिस में क्या अंतर है? - एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस में, इस स्थिति में, अग्न्याशय के सिर, शरीर या पूंछ में, या एक से अधिक स्थानों पर, सूजन संबंधी परिवर्तन होंगे। यह सूजन और सूजन की स्थिति है, और इस स्थिति को एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस कहा जाता है। -नेक्रोटाइजिंग पैंक्रियाटाइटिस एक बहुत ही खतरनाक और जानलेवा स्थिति है।इस स्थिति में, अग्न्याशय में, ऊतकों में, कोशिकाओं में सूजन के साथ-साथ नेक्रोसिस भी शुरू हो जाता है। और वहाँ, रक्तस्राव, रक्त वाहिका से रक्तस्राव के कारण, वहाँ रक्त के थक्के दिखाई देंगे। अगर आप इसकी गहराई को देखें, तो इस स्थिति में लगभग 10% लोग मर सकते हैं। यह एक तरह का ऐसा मामला है जहाँ मृत्यु दर बहुत अधिक है। तो, अगर आप दोनों चीजों की तुलना करें, तो एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस एक्यूट नेक्रोटाइजिंग पैंक्रियाटाइटिस से ज्यादा खतरनाक, जानलेवा और बुरी स्थिति है। ३) एक्यूट नेक्रोटाइजिंग पैंक्रियास के क्या लक्षण दिखाई देते है ? एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियाटाइटिस का मुख्य लक्षण में पेट दर्द है । यह पेट के पास या पीठ के पास महसूस हो सकता है। -जी मिचलाना - पेट में सूजन का होना -कम रक्तचाप -तेज़ हृदय गति
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