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chronic atrophy or calcification pancreas ka ilaaj
१) क्रोनिक , एट्रोफी , कैल्सिफिकेशन पैंक्रियास का इलाज ? क्रोनिक पैंक्रियास जटिल स्थिति है ,जिसमें पैंक्रियास में बार-बार सूजन हो जाती है, जिससे एट्रोफी और कैल्सिफिकेशन जैसे गंभीर बीमारी भी होते हैं। इस स्थिति का उपचार संभव है, लेकिन इसके लिए एक व्यापक और मल्टीडिसिप्लिनरी दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।  आज का आर्टिकल में हम क्रोनिक, एट्रोफी, और कैल्सिफिकेशन पैंक्रियास के इलाज के अलग -अलग तरीकों पर बात करने वाले है २) क्रोनिक पैंक्रियास के कारण और लक्षण क्या क्या है? * क्रोनिक पैंक्रियास के कारण निचे बताये अनुसार हो सकते है ,जैसे की , -बहुत ही शराब का सेवन करना -आनुवांशिक कारण  -ऑटोइम्यून विकार  - ज्यादा ध्रूमपान करना  * क्रोनिक पैंक्रियास के लक्षण निचे बताये अनुसार हो सकते है ,जैसे की , - पेट में बहुत ही दर्द का होना - वजन घट जाना- मधुमेह - भूख भी कम लगना ३) एट्रोफी और कैल्सिफिकेशन पैंक्रियास क्या है ? एट्रोफी का अर्थ है की पैंक्रियास के कोशिका में सिकुड़ना या कार्य करने की शक्ति में कमी आना। इसके परिणाम स्वरूप पैंक्रियास में कैल्शियम जमा होने लग जाता है, जिसे कैल्सिफिकेशन पैंक्रियास कहते है।  - यह स्थिति पाचन एंजाइमों और इन्सुलिन के पाचन और ग्लूकोज को कण्ट्रोल पर भी असर करता है। ४ ) पैंक्रियास को अच्छा रखने के लिए क्या क्या उपाय करना चाहिए? पैंक्रियास को अच्छा बनाये रखने के लिए, कुछ उपाय करना चाहिए जैसे की , -डेली ५-८ गिलास पानी पीना चाहिए  - संतुलित आहार का उपयोग करना . - डेली कसरत - शराब और सिगरेट से दुरी बनाये रखना  - जंक फ़ूड न ही उपयोग करें.
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Pancreatic Exocrine Insufficiency ka ilaaj
१) अग्नाशयी एक्सोक्राइन अपर्याप्तता (Pancreatic Exocrine Insufficiency - PEI) का इलाजअग्नाशयी एक्सोक्राइन अपर्याप्तता (PEI) एक स्थिति है जिसमें पैंक्रियास एंजाइमों का पर्याप्त उत्पादन या स्त्राव नहीं कर पाता। इसमें भोजन का अच्छे  से पाचन नहीं हो पता है  जिससे पोषण की कमी, वजन काम होना , और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएँ हो सकती हैं।  २) अग्नाशयी एक्सोक्राइन अपर्याप्तता का मुख्य कारण क्या है?अग्नाशयी एक्सोक्राइन अपर्याप्तता का मुख्य कारण पैंक्रियास की कार्य क्षमता में कमी होना होता है। इसके प्रमुख कारणों जैसे की ,-Chronic पैंक्रिअटिटिस : पैंक्रियास में  लम्बे समय तक सूजन-Cystic फाइब्रोसिस : अनुवांशिक बीमारी -Pancreatic कैंसर : पैंक्रियास की संरचना और कार्य पर असर होना -अल्कोहल का अत्यधिक सेवन ३)  अग्नाशयी एक्सोक्राइन अपर्याप्तता का क्या  लक्षण है? अग्नाशयी एक्सोक्राइन अपर्याप्तता का  लक्षण निचे अनुसार हो सकता है जैसे की ,-वजन कम होना -पेट में दर्द और सूजन का हो जाना -गैस की समस्या- विटामिन की कमी (A, D, E, K)४)  अग्नाशयी एक्सोक्राइन अपर्याप्तता का परीक्षणों कैसे होता है ?PEI का  परीक्षणों करने के लिए डॉक्टर कुछ जाँच करने को कहते  है: जो की निचे अनुसार हो सकता है -Fecal Elastase Test-Steatorrhea Test-सीटी स्कैन -MRI-ब्लड  टेस्ट  
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pancreatitis ka satik ilaaj kya hai
पैंक्रियास का सटीक इलाज पैंक्रियास, को हम दूसरे अग्नाशय के नाम में भी जानते है, यह शरीर के एक महत्वपूर्ण भागो में से एक है,पाचन और शरीर में इंसुलिन और अन्य पाचक एंजाइमों के उत्पादन के लिए जिम्मेदार होता है।-आज के इस आर्टिकल में हम पैंक्रियास से संबंधित बीमारियों का इलाज कैसे होता है, इसके अलग -अलग पहलुओं पर चर्चा करने वाले है । १) पैंक्रियास से संबंधित सामान्य कौन कौन सी बीमारियाँ है? - यह पैंक्रियास की सूजन से संबंधित बीमारि है। यह २ तरह के हो सकते है एक्यूट या क्रोनिक पैंक्रियास. एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस में अचानक दर्द होता है जबकि क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस में धीरे-धीरे और लंबे समय तक दर्द बना रहता है।  - पैंक्रियास कैंसर : पैंक्रियास की कोशिकाओं में उत्पन्न होती है। यह कैंसर अक्सर शुरुआती अवस्था में उपचार नहीं हो पाता, जिससे इसका इलाज और भी जटिल हो जाता है। डायबिटीज : यह स्थिति खून में ग्लूकोज के स्तर को उच्च कर सकता है। २) पैंक्रियास को स्वस्थ रखने के लिए, क्या उपाय करना चाहिए?पैंक्रियास को स्वस्थ रखने के लिए, निचे बताये अनुसार उपाय कर सकते है , जैसे की - भरपूर मात्रा में संतुलित आहार का उपयोग - डेली कसरत करना - शराब और सिगरेट से दूर रहना - अधिक मात्रा में पानी पीना - जंक फ़ूड से दूर रहना . ३) पैंक्रियास बिमारियों का पता कैसे लगया जाता है? पैंक्रियास की बीमारियों का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ जाँच करने के लिए कहते है जिसमे : --सीटी स्कैन, -MRCP, - रक्त परीक्षण.
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fibroadenoma cancer hai ya nahi
फाइब्रोएडेनोमा कैंसर है या नहीं? फाइब्रोएडेनोमा स्तनों की ऐसी स्थिति है जो महिलाओं में देखने को मिलती है। यह स्तन के ग्रंथि और संयोजी ऊतकों से बनती है. यह महिलाओं में आम है और पुरुषों में दुर्लभ है. इस स्थिति को कई बार चिंता का कारण बन सकती है, आज का आर्टिकल में फाइब्रोएडेनोमा के बारे में चर्चा करने वाले है।  १ ) फाइब्रोएडेनोमा की पहचान कैसे की जाती है ? फाइब्रोएडेनोमा एक प्रकार की गैर-कैंसर कारक गांठ होती है जो स्तनों में विकसित होती है। यह युवा महिलाओं, में 15 से 35 वर्ष की आयु के बीच में अधिक देखने को मिलती है। गांठ आमतौर पर रबड़ जैसी होती है ,और त्वचा के नीचे आसानी से हिला सकते हैं।  २) क्या फाइब्रोएडेनोमा कैंसर है? फाइब्रोएडेनोमा कैंसर नहीं होता है । यह एक गैर-घातक ट्यूमर है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर के अन्य भाग में नहीं फैलता और न ही शरीर के स्वास्थ्य पर घातक असर डालता है।  -यह स्तनों की नॉर्मल ग्रंथि और संयोजी ऊतकों का एक मिश्रण है, जो आमतौर पर इलाज के बिना भी अपने आप कम हो जाता है ३) फाइब्रोएडेनोमा के लक्षण क्या है? - फाइब्रोएडेनोमा में सामान्य लक्षण होते हैं जो की इस प्रकार से है  -रबड़ जैसी गांठ जिसे हिलाया भी जा सकता है - गांठ का आकार कम या ज्यादा होना ४) फाइब्रोएडेनोमा के कारण क्या है ? फाइब्रोएडेनोमा के विकास के पीछे मुख्य कारण हार्मोनल का असंतुलन होना होता है। इसका संबंध विशेष रूप से एस्ट्रोजन नामक हार्मोन से माना जाता है, जो महिलाओं के प्रजनन और स्तन विकास में महत्वपूर्ण रोल निभाता है। 5) फाइब्रोएडेनोमा का जाँच कैसे किया जाता है? फाइब्रोएडेनोमा का जाँच करने के लिए डॉक्टर अलग प्रकार के जाँच कर सकते हैं, जैसे कि: - शारीरिक परीक्षण: डॉक्टर गांठ की प्रकृति और स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए भौतिक परीक्षण करते हैं। - अल्ट्रासाउंड: अल्ट्रासाउंड का उपयोग गांठ की संरचना को और अधिक स्पष्ट रूप से देखने के लिए किया जाता है। - बायोप्सी: इसके माध्यम से गठान के ऊतकों का सैंपल लेकर उसकी विस्तृत जांच की जाती है।
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pancreas ka satik ilaaj
पैंक्रियास का इलाज सटीक इलाज पैंक्रियास, को हम अग्नाशय के रूप में भी जानते है, यह शरीर के एक महत्वपूर्ण अंगों में से एक है,पाचन और शरीर में इंसुलिन और अन्य पाचक एंजाइमों के उत्पादन के लिए जिम्मेदार होता है। आज के इस आर्टिकल में हम पैंक्रियास से संबंधित बीमारियों का इलाज कैसे किया जाता है, इसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे। १) पैंक्रियास से संबंधित सामान्य को कौन कौन सी बीमारियाँ है? - यह स्थिति पैंक्रियास की सूजन से संबंधित है। जो की एक्यूट या क्रोनिक पैंक्रियास हो सकता है। एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस में अचानक दर्द के साथ होता है जबकि क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस धीरे-धीरे और लंबे समय तक बना रहता है। - पैंक्रियाटिक कैंसर : पैंक्रियास की कोशिकाओं में उत्पन्न होती है। यह कैंसर अक्सर शुरुआती अवस्था में उपचार नहीं हो पाता, जिससे इसका इलाज और भी जटिल हो जाता है। डायबिटीज : यह स्थिति रक्त में ग्लूकोज के स्तर को उच्च कर सकता है।   २) पैंक्रियास बिमारियों का पता कैसे लगया जाता है? पैंक्रियास की बीमारियों का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ जाँच करने के लिए कहते है जिसमे : -सीटी स्कैन,  -MRCP, -EUS, - रक्त परीक्षण.  ३) पैंक्रियाटाइटिस होने के क्या कारण होते है?? पैंक्रियाटाइटिस होने के कई कारण हो सकते हैं: जिसे की - ज़्यादा शराब का सेवन करना - धूम्रपान - पित्ताशय की पथरी -वंशानुगत इतिहास  - मोटापा - कुछ दवाइयां का ख़राब असर -व्यक्ति अपनी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव करे। शराब और तम्बाकू के सेवन करने से बचें, संतुलित आहार लें, और नियमित योग करें। -व्यक्तिगत स्वास्थ्य से संबंधित सभी निर्णय हमेशा अच्छे डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करनी चाहिए।
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IBS ka ilaaj homeopathy me
१) आईबीएस का परमानेंट इलाज क्या है? - IBS आम बीमारी है ,जो की बड़ी आंत को असर करती है, जब हम भोजन करते हैं तो भोजन को पाचन तंत्र में भेजने की प्रोसेस के दौरान ये मांसपेशियां सिकुड़ने लग जाती हैं, लेकिन जब मांसपेशियां अधिक सिकुड़ जाती हैं ,तो पेट में गैस बनने लग जाती है और आंत में भी सूजन आ जाती है जिसके कारण आंत कमजोर हो जाती है ,इसे IBS कहते है।    २) IBS बीमारी होने के क्या लक्षण है? IBS बीमारी दुनिया भर के २०% लोगो को असर करती है। इसके लक्षण निचे अनुसार हो सकते है,जैसे की  - पेट में ऐंठन होना  -कब्ज़ या दस्त - पेट फूलना -भूख में कमी - वजन कम होना    ३) IBS होने पर क्या खाने से बचना चाहिए ? IBS में इन चीज़ों से बचना चाहिए जैसे की , - बीन्स, और मटर जैसे प्रोटीन और फ़ाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ - प्रोसेस्ड कार्बोहाइड्रेट -कच्चा प्याज़, मूली, और टमाटर जैसी कच्ची सब्ज़ियां -डेयरी उत्पाद जैसे की पनीर, क्रीम, और मलाई - शराब
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chronic atrophy or calcification pancreas kya hai
१) क्रोनिक एट्रोफी और कैल्सिफिकेशन पैंक्रियास का इलाज ? पैंक्रियास शरीर में पाचन और हार्मोनल सिस्टम का भाग है, जो एंजाइम और हार्मोन को रिलीज़ करता है। लेकिन जब यह भाग क्रोनिक एट्रोफी और कैल्सिफिकेशन जैसी समस्याओं का सामना करता है, तो उसकी कार्यप्रणाली पर गंभीर असर भी पड़ सकता है। यह स्थिति क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस के कारण ही उत्पन्न होती है, जिससे पैंक्रियास के उत्तकों को हानि होती है।  आज का आर्टिकल में , हम क्रोनिक एट्रोफी और कैल्सिफिकेशन पैंक्रियास के इलाज के विकल्पों के बारे में बात करने वाले है २) क्रोनिक एट्रोफी पैंक्रियास और कैल्सिफिकेशन पैंक्रियास क्या है ? * क्रोनिक एट्रोफी पैंक्रियास पैंक्रियास के एट्रोफी का अर्थ है की , मरीज का पैंक्रियास छोटा या सिकुड़ रहा होता है क्योंकि यह लंबे समय तक बीमार रहता है। यदि इस स्थिति वाला कोई मरीज बहुत पतला दिखता है, तो यह इस बात का सीधा संकेत है कि स्थिति बिगड़ने से पहले उन्हें मदद की आवश्यकता है।   * क्रोनिक एट्रोफी पैंक्रियास के क्या लक्षण है ?  -पेट के ऊपरी भाग में दर्द का होना  -पेट को छूने पर कोमलता - वजन कम हो जाना  -तैलीय, बदबूदार मल  * कैल्सिफिकेशन पैंक्रियास क्या है ? कैल्सिफिकेशन पैंक्रियास का अर्थ है ,की पैंक्रियास में कैल्सियम लवण जमा हो कर ऊतक सख्त हो गए है ,   * कैल्सिफिकेशन पैंक्रियास के क्या कारण है?  - शराब का दुरुपयोग - धूम्रपान -रक्त में कैल्शियम का स्तर ज़्यादा हो जाना -आनुवंशिक  -ऑटोइम्यून  - क्रोनिक एट्रोफी और कैल्सिफिकेशन पैंक्रियास के इलाज के लिए यह स्थिति हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है, इसलिए व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार उपचार योजना बनानी चाहिए। - नियमित परीक्षण और चिकित्सीय निर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है ताकि पैंक्रियास स्वास्थ्य के सर्वोत्तम स्तर पर बना रहे।
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acute & chronic pancreas ka episodes aane se kaise roke
१) एक्यूट & क्रोनिक पैंक्रियास का बार -बार एपिसोड्स आने से कैसे रोके ? पैंक्रियास शरीर का महत्वपूर्ण भाग है, जो पाचन तंत्र और शर्करा कण्ट्रोल में प्रमुख रोल है। पैंक्रियास में जब सूजन होती है, तो इसे पैंक्रियासाइटिस कहते है।  पैंक्रियास दो तरह के होते है  - एक्यूट पैंक्रियास और - क्रोनिक पैंक्रियास  - इस आर्टिकल में, हम एक्यूट & क्रोनिक पैंक्रियास का बार -बार एपिसोड्स आने से कैसे रोके इन स्थितियों पर बात करने वाले है।  २ ) एक्यूट एवं क्रोनिक पैंक्रियासाइटिस का प्रबंधन? 1. संतुलित आहार का सेवन : एक्यूट और क्रोनिक पैंक्रियासाइटिस के बाते में निम्नलिखित आहार परिवर्तन हो सकते हैं:  * चर्बी की उच्च मात्रा : पैंक्रियास में लो-फैट आहार का पालन करना जरुरी है। * प्रोटीन युक्त आहार : बिना चर्बी के मांस, मछली, और दालें जैसे प्रोटीन स्रोत, पैंक्रियास को हेअल्थी रखने में सहायक होते हैं। * हाई-फाइबर आहार : सब्जियाँ, फल, और साबुत अनाज का सेवन करने से पाचन प्रक्रिया को आसान बनाता है। 2. अधिक शराब और धूम्रपान से बचाना - शराब का सेवन और धूम्रपान पैंक्रियासाइटिस के प्रमुख कारणों में से एक हैं। पैंक्रियास पर इसका बहुत ही हानिकारक असर पड़ता है, जिससे सूजन की संभावना बढ़ती है। 3. नियमित योग - पैंक्रियास में व्यायाम नियमित योग और मध्यम-intensity व्यायाम, जैसे वॉकिंग, साइकलिंग, या स्वीमिंग, शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं।  4. तनाव प्रबंधन उच्च स्तर का तनाव भी पैंक्रियासाइटिस के लिए जोखिम कारक हो सकता है। ध्यान, माइंडफुलनेस, और अन्य तनाव प्रबंधन तकनीकें मानसिक स्थिति में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।  5. विटामिन और सप्लीमेंट्स कुछ लोग पैंक्रियास की स्थिति सुधारने के लिए विटामिन- डी विटामिन- ए, और अन्य सप्लीमेंट्स का उपयोग करते हैं। कोई भी सप्लीमेंट को शुरू करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना जरुरी है।  ३) पैंक्रियासाइटिस की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए क्या उपाय है ?: * स्वास्थ्य जीवनशैली के लिए संतुलित आहार, नियमित कसरत , और अच्छी नींद लेना चाहिए * अधिक शराब और धूम्रपान उनसे दूरी बनाए रखें। * अधिक मात्रा में पानी का उपयोग करना चाहिए  * नियत समय पर डॉक्टर से सलाह लेना भी जरुरी है
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homeopathic safe for pregnancy
१) गर्भावस्था के दौरान होम्योपैथी क्या सुरक्षित है? गर्भावस्था ऐसी प्राकृतिक अवस्था है जो किसी भी महिला के जीवन में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक परिवर्तन लाती है। इस दौरान, महिलाएं प्राकृतिक निदान विकल्पों की खोज करती हैं ताकि वे और उनका होने वाला बच्चा स्वस्थ रहें।  - आज का आर्टिकल में हम क्या गर्भावस्था के दौरान होम्योपैथी सुरक्षित है? इस बारे में चर्चा करने वाले है  २ ) गर्भावस्था में होम्योपैथी का उपयोग ? गर्भावस्था के दौरान, कई महिलाएं होम्योपैथी की ओर जा सकती है ताकि वे अपनी और अपने भ्रूण की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें। - पारंपरिक चिकित्सा उपयोग किए जाने वाले कुछ रासायनिक दवाएं कभी गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित नहीं होती हैं , इसलिए महिलाएं होम्योपैथी को एक सुरक्षित विकल्प के रूप में मानती हैं। -होम्योपैथिक उपचार का ये लाभ है कि, यह बिना हानिकारक रासायनिक तत्वों के बने होता है और सुरक्षित भी माना जाता है।  ३) गर्भावस्था के दौरान होमियोपैथी में सुरक्षा के पहलू ? होम्योपैथिक दवाई ज्यादा पतली होती हैं और उनमें रासायनिक तत्व भी नहीं होते हैं, जिसके कारण ये आमतौर पर गर्भवती महिलाओं के लिए ये सुरक्षित हैं। हालांकि, यह भी जरूरी है कि गर्भवती महिलाएं होम्योपैथिक उपचार को एक अनुभवी होम्योपैथिक डॉक्टर के मार्गदर्शन में ही उपचार लें।  - हर गर्भावस्था एक जैसी नहीं होती है और हर महिला का शारीरिक और मानसिक मिजाज भी अलग होते हैं। अतः उपचार भी व्यक्तिगत ही होना चाहिए। ४) गर्भवती महिलाओं की कुछ सामान्य समस्याएं जिनमें होम्योपैथी की मदद ली जाती है? -मतली और उल्टी -हार्मोनल असंतुलन ५) गर्भावस्था में होम्योपैथी के लाभ क्या है? गर्भावस्था में होम्योपैथी के लाभ निचे बताये अनुसार हो सकते है जैसे की -प्राकृतिक उपचार: होम्योपैथी दवाये प्राकृतिक उपचार की ओर मोड़ देती है, जो कि गर्भावस्था के दौरान महिला की पहली प्राथमिकता हो सकती है - कोई भी साइड इफेक्ट्स नहीं होता है
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pancreas ko thik karne ka ilaaj
१) पैंक्रियास को ठीक करने का रामबाण इलाज? पैंक्रियास, को हम दूसरे अग्न्याशय के नाम से जाना जाता है, पैंक्रियास हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो पाचन तंत्र और इंसुलिन उत्पादन में महत्वपूर्ण रोल निभाता है। यह अंग हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है कि इसके अस्वस्थ होने पर कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ जैसे मधुमेह, पैंक्रियाटाइटिस, और पैंक्रियास कैंसर हो सकती हैं। पैंक्रियास शरीर का एक महत्वपूर्ण भाग है जो हमारे पाचन तंत्र और इन्सुलिन उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, आधुनिक जीवनशैली और अस्वस्थ भोजन के परिणाम स्वरूप, पैंक्रियास की समस्याएं आम होती जा रही हैं।  इस लेख में, हम पैंक्रियास को ठीक करने के रामबाण इलाज की चर्चा करेंगे २) पैंक्रियास में क्या समस्या हो सकती है? पैंक्रियास की समस्याएं आमतौर पर एक्यूट या क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस, जिसमे टाइप१ ,टीपी२ डायबिटीज , और कभी-कभी कैंसर के रूप में देखने को मिलती है।  ***पैंक्रियास की समस्याएं निचे बातये अनुसार हो सकते है ,जैसे की -बहुत शराब सेवन करना  -चर्बी वाले आहार-मोटापा -ध्रूमपान -दवाइयों का दुष्प्रभाव ३) पैंक्रियास की जाँच कैसे की जाती है? अग्न्याशय की स्थिति का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ जाँच करने के लिए एक्स-रे , अल्ट्रासाउंड , सीटी स्कैन जैसे अन्य परीक्षण करवाने पड़ सकते हैं। -पैंक्रियास को ठीक करने के लिए रामबाण इलाज का रास्ता उतना ही सफल हो सकता है जितना आप इसे अपने जीवन में अपनाते हैं सही देखभाल और सावधानियों के साथ, आप अपनी पैंक्रियास की समस्याओं को काफी हद तक कण्ट्रोल कर सकते हैं और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
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ibs or ibd me kya antar hai
IBS  और IBD  दो अलग-अलग गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार हैं,हालांकि, दोनों  बीमारी के कारण ,लक्षण और उपचार की प्रक्रियाएं अलग  हैं। आज का आर्टिकल इन दोनों स्थितियों के बीच के अंतर से  अधिक विस्तार से समझें। १) IBS क्या है?हमारे आंत की दीवार मांसपेशियों की पर्त से  मिल कर बने है। जब हम भोजन करते है।, तो भोजन को पाचन तंत्र में भेजने की क्रिया के दौरान ये मांसपेशियां सिकुड़ने लगती  हैं, लेकिन जब मांसपेशियां सामान्य से अधिक सिकुड़ने लग जाती हैं तो पेट में गैस बनने लगती है और सूजन आती  है ,जिसके कारण आंत कमजोर हो जाती है। २) IBS के लक्षण क्या है ?-पेट में दर्द और मरोड़ होना -फूला हुआ पेट -दस्त,या  कब्ज ३)IBD  क्या है ?- IBD  को सूजन आंत्र रोग भी कहते है।  यह पाचन तंत्र में होने वाली एक सूजन है. यह संक्रामक नहीं है. *IBDके लक्षण क्या है ?-लगातार दस्त, जिसमें खून भी आ सकता है-वजन कम होना-थकान लगना ४) IBS और IBD के बीच मुख्य अंतर?प्रकृति: IBS एक कार्यात्मक विकार है, जबकि IBD एक सूजन रोग है।कारण: IBS के कारण स्पष्ट नहीं हैं और यह मांसपेशी के सिकुड़ने से होती है। IBD  ऑटोइम्यून सिस्टम की गड़बड़ी के कारण होता है।लक्षणों : IBS के लक्षण आमतौर पर हल्के से मध्यम होते हैं, जबकि IBD  के लक्षण गंभीर और  जानलेवा भी हो सकते हैं।
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pancreatitis se kaise bache
पैंक्रियास शरीर का महत्त्वपूर्ण भाग है जो की पाचन तंत्र और रक्त शर्करा के स्तर को कण्ट्रोल करने में महत्वपूर्ण रोल निभाता है। आज के आर्टिकल में हम पैंक्रियास होने से कैसे बच सकते है इसके बारे में बताने वाले है। १) पैंक्रियास की क्रियाएं क्या है ? पैंक्रियास का मुख्य काम एंजाइम्स और हार्मोन्स का उत्पादन करना है। जो की आहार को पचाने में मदद करते हैं। इसके अलावा, यह इंसुलिन और ग्लूकोज के लेवल को कण्ट्रोल करने वाले हार्मोन्स का भी उत्पादन करता है, जो रक्त शर्करा के स्तर को संतुलित रखते हैं। २) पैंक्रियास से संबंधित समस्याएं क्या है? पैंक्रियास के संबंधित समस्याओं निम्नलिखित हो सकती है जैसे की ,  * पैंक्रियाटाइटिस: जिसमें पैंक्रियास में सूजन हो जाती है। यह लंबे समय तक चलने वाली हो सकती है। * पैंक्रियास कैंसर: पैंक्रियास की कोशिकाओं में विकसित होता है और तेजी से फैल सकता है।   ३) पैंक्रियास की सुरक्षा के लिए सुझाव क्या है ?  पैंक्रियास को अच्छा बनाए रखने और उससे जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए कुछ सुझाव हैं: -१ स्वस्थ आहार का पालन करें -२ ज्यादा तले-भुने खाद्य पदार्थ को सीमित करना  -३ कम चर्बी वाले भोजन -४ नियमित योग -५ अल्कोहल और धूम्रपान से दूर रहना -६ नियमित स्वास्थ्य की जांच -७ डॉक्टर की सलाह का पालन
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pancreatitis me depression hota hai
१) क्या पैंक्रियास में डिप्रेशन होता है? डिप्रेशन, जिसे मानसिक विकार भी कहते है, मनुष्य के भागदौड़ के जीवन में एक सामान्य मानसिक स्वास्थ्य विकार बन चुका है। यह मस्तिष्क से जुड़ा होता है और इसके असर शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ते हैं। हालांकि, जब पैंक्रियास का प्रश्न उठता है , तो क्या पैंक्रियास में डिप्रेशन होता है। आज हम इस आर्टिकल के जरिये जानने का प्रयास करने वाले है।    २) पैंक्रियास का क्या काम होता है? पैंक्रियास,हमारे पाचन तंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो शरीर में इंसुलिन जैसे महत्वपूर्ण हार्मोन का उत्पादन करता है। इसका मुख्य कार्य शुगर मेटाबॉलिज्म को कण्ट्रोल करना है ताकि शरीर में ग्लूकोस का स्तर संतुलित रहे। पैंक्रियास का स्वास्थ्य सीधा इंसुलिन उत्पादन और उसके कार्य से जुड़ा होता है, जो मधुमेह जैसी बीमारियों को असर करता है।   ३) डिप्रेशन का असर ? जब हम डिप्रेशन की बात करते हैं, तो यह मानसिक स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति का उदास, उत्सुकता में कमी और निराशा का सामना करना पड़ता है।  - डिप्रेशन के कारण मानव का दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है और स्वास्थ्य को भी असर हो सकता है। ४) पैंक्रियास और डिप्रेशन का स्वास्थ्य से संबंध ? पैंक्रियास के सन्दर्भ में डिप्रेशन का सीधा संबंध तब देखा जाता है , जब उसकी बीमारी पैंक्रियास या कैंसर , जो की मानव के मानसिक हेल्थ को असर करता है * पैंक्रियास की बीमारियों से उत्पन्न मानसिक असर पैंक्रियास बीमारियों के कारण, जैसे कि लंबे समय तक चलने वाली पैंक्रियाटाइटिस, मधमेह या पैंक्रियाटिक कैंसर, मानव को मानसिक स्वास्थ्य जैसे समस्याएं हो सकती हैं। इन बीमारियों के चलते ही शारीरिक दर्द, थकान जैसी समस्याएं खडी होती हैं, जो मानसिक तनाव और अवसाद को जन्म देती हैं।
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wopn pancreas kya hai
१) वोपन पैंक्रियास का क्या अर्थ है? - वोपन पैंक्रियास एक स्वचालित प्रणाली है जो की मधुमेह,से परेशान व्यक्तियों के लिए रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया है। - इसका उद्देश्य इंसुलिन पंप और CGM को इकट्ठा करके शरीर को आवश्यक इंसुलिन की मात्रा प्रदान करता है। इस को आर्टिफिशियल पैंक्रियास भी कहते है। २) वोपन पैंक्रियास कैसे काम करता है? - वोपन पैंक्रियास ३ मुख्य घटक से बना होता है। जैसे की -- ग्लूकोज मॉनीटर -- इंसुलिन पंप -- संवेदनशील नियंत्रण एल्गोरिद्म जब शरीर को इंसुलिन की जरुरत होती है, तो यह स्वचालित रूप से मनुष्य शरीर में जरुरी मात्रा में इंसुलिन का इंजेक्शन देती है। इसका लाभ यह है कि , यह मानव हस्तक्षेप की आवश्यकता को कम कर देता है। ३) वोपन पैंक्रियास की संकल्पना क्या है? वोपन पैंक्रियास एक जैविक और चिकित्सा नवाचार है, जिसके द्वारा कृत्रिम रूप से पैंक्रियास का निर्माण किया जाता है। इसका उद्देश्य मधुमेह जैसी बीमारियों के उपचार को सरल और प्रभावी बनाना है। जब किसी मानव का पैंक्रियास अच्छे से कार्य नहीं करता है और इंसुलिन उत्पादन में कमी होती है, तो इस स्थिति में शरीर के लिए इंसुलिन का आंतरिक प्रवाह आवश्यक हो जाता है। यही वह स्थिति है जहां वोपन पैंक्रियास सहायक सिद्ध होता है। ४) वोपन पैंक्रियास का विकास कैसे होता है? वोपन पैंक्रियास यह एक कोशिका आधारित निदान है जो मधुमेह जैसे रोगों के इलाज के लिए किया जा रहा है। वर्तमान समय के, अध्ययनों में देखा जा रहा है कि कैसे इंसुलिन उत्पादन में असमर्थ पैंक्रियास को कार्यशील बनाया जा सकता है। यह पद्धत्ति मुख्य रूप से टाइप 1 डायबिटीज़ के उपचार में बदलाव लाने की क्षमता रखती है। ५)वोपन पैंक्रियास के लाभ? - वोपन पैंक्रियास सबसे बड़े लाभों में से एक हो सकता है कि यह मधुमेह मरीज के लिए इंसुलिन पर निर्भरता को ख़त्म करता है। इसके साथ ही, शरीर के शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है, जिससे दूसरे संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम कम हो सकता है।
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resolving pancreatitis kya hota hai
१ ) रेसोल्विंग पैंक्रियास क्या है? रेसोल्विंग पैंक्रियास को पैंक्रियास की स्वास्थ्य स्थितियों के समाधान की प्रक्रिया माना जा सकता है। यह एक विस्तृत प्रक्रिया है जो अलग - अलग चिकित्सा पद्धतियों और उपचारों के माध्यम से पैंक्रियास की क्रिया को सुधारने में मदद करता है।  * रेसोल्विंग की प्रक्रिया में निम्नलिखित अवस्थाएं शामिल हो सकती हैं: - पैंक्रियासाइटिस का उपचार - मधुमेह का नियंत्रण २ ) रेसोल्विंग पैंक्रियास की प्रक्रिया क्या है ? रेसोल्विंग पैंक्रियास की प्रक्रिया में आमतौर पर कुछ चरण शामिल हो सकते है जैसे की , उपचार : पैंक्रियास की समस्याओं का निदान करने के लिए कुछ जाँच का सहारा लिया जाता है, जैसे कि खून टेस्ट, सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड।  नियमित फॉलो-अप: उपचार के बाद नियमित फॉलो-अप जरुरी होता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पैंक्रियास की दशा में सुधार हो रहा है या नहीं|   ३) पैंक्रियास को स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए क्या टिप्स है ? पैंक्रियास को अच्छा बनाए रखने के लिए कुछ सुझाव उपयोगी हो सकते हैं जैसे की ,  - संतुलित आहार - नियमित योग  -शराब का सेवन नहीं करना -समय पर डॉक्टर से परामर्श लेना
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acute pancreas hone par paient ko baar baar episode kyu hota hai
१) एक्यूट पैंक्रियास होने पर पेशेंट को बार बार एपिसोड्स क्यों आता है? एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस का अर्थ है कि अग्नाशय में अचानक से सूजन होती है, जो की अक्सर गंभीर पेट दर्द, मतली, उल्टी और पाचन जैसे समस्याओं का कारण भी बन सकता है। हालांकि यह स्थिति एक बार में ही गंभीर हो सकती है, कई मामलों में मरीज को बार-बार इसके एपिसोड का सामना भी करना पड़ता है।  - आज का आर्टिकल में हम जानेंगे कि ऐसा क्यों होता है और इसके बचाव के उपाय क्या होते है।  २) एक्यूट पैंक्रियास के बार-बार एपिसोड होने के कारण क्या है ? एक्यूट पैंक्रियास के बार-बार एपिसोड होने के कारण निचे बताये अनुसार हो सकते है जैसे की , - पित्त पथरी : मरीज को पैंक्रियाटाइटिस का कई बार सामना करना पड़ता है। पित्त पथरी, पित्ताशय से होकर पैंक्रियाटिक डक्ट में फंस जाती है है, जिससे अग्नाशय में सूजन होती है।  - ज्यादा शराब का सेवन : ज्यादा शराब का सेवन करने से अग्नाशय को नुक्सान हो सकता है।  - जनेटिक असर : कुछ लोगों में जेनेटिक तत्व होते हैं जो पैंक्रियास के प्रवृत्तियों को असर कर सकते हैं।  - दवाइयों का दुष्प्रभाव : कुछ विशेष दवाई जैसे कि एंटीबायोटिक्स या इम्युनोसप्रेसिव एजेंट्स भी पैंक्रियाटाइटिस के एपिसोड को ट्रिगर कर सकती हैं। ३) एक्यूट पैंक्रियास एपिसोड्स से बचाव के उपाय क्या है ? एक्यूट पैंक्रियास एपिसोड्स से बचने के उपाय निचे बताये अनुसार हो सकते है जैसे की, - शराब और धूम्रपान से दूर रहना  -कम मसालेदार और संतुलित आहार का सेवन करें। -डॉक्टर की सलाह पर समय समय पर दवाइयों का सेवन और जाँच करना  -मस्तिष्क को शांत बनाये रखने के लिए योग करना
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youtube faq section
1)यूटूब पे ये क्वेश्चन है, हम्बल रिक्वेस्ट टू शेर सम मोर रो फ्रूट्स फॉर बेटर गट हैल्थ इशू विद गाल ब्लेडर क्रोनिक सिस्ट्स इशूज हूजे अंडर वेट इशू ? - इस क्वेश्चन को आप समझेंगे तो ऐसे फ्रूट्स के नाम बताइए जो आपके गट इशू को यानि डाजेस्टिव अबिलिटी को अच्छा करें, - डाजेस्टिव पावर को अच्छा बनाएं तो सबसे पहले आपको यहां समझना पड़ेगा के आपको फ्रूट्स ऐसे सेलेक्ट करने हैं जिसके अंदर वाटर का एक्यूमिलेशन ज्यादा हो और सेकंड उसमें फाइबर ज्यादा हो क्योकि गट इशूस के लिए फाइबर बहुत इंपरूट्टेंट हैं और वाटर रहेगा उसमें कंटेंट तो आपके डाजेशन को और इंपरूफ करेंगा अगर हम ऐसे फ्रूट्स के नाम लेवें, तो यहां पे आपको आप एप्पल ले सकते हैं आपको बनाना हुआ, पपया हुआ, पाइनेपल, बेरीज, हर तरह की बेरीज अच्छा रहता हैं गट इशूस के लिए किवी हो गया, वाटर मेलन इस वेरी गुट फर इंपरूइंग गट इशूसइसमें वाटर काफी ज्यादा होता हैं, एवोकेड हुआ, मैंगोज हुआ, मैंगो के सिजन में आप मैंगो लिए अगर आपको डायबेटिस नहीं हैं, वेरी हेल्फूल तो वो सारे फ्रूट्स जिसके अंदर फाइबर ज्यादा है और वाटर ज्यादा हैं, उसका आप इस्तमाल करेंगे तो आपको आपके गट इशू को इंप्रूफ करने में वो काफी हेल्प करेंगा, अफकोर्स मेडिसिन का बहुत बढ़ा रोल रहता है, 2) इस एंटी एपिलेप्टिक होम्योपैथिक मेडिसिन सेफ दूरिंग फर्स्ट ३ मंथ ऑफ़ प्रेगनेंसी प्लीज रिप्लाई सून ? - फर्स्ट मंथ के प्रेगनेंसी में होमियोपैथी मेडिसिन एपिलेप्सी में ले रहा हु तो प्रेगनेंसी को कोई नुक्सान तो नहीं करेगा। तो होमियोपैथी मेडिसिन का कोई साइड इफ़ेक्ट तो नहीं है। लेकिन आप कोई भी रेंडम मेडिसिन नहीं ले सकते है  - यूट्यूब पर देख कर के या किताब पढ़कर ये किसी के सब्सक्रगनेंसी सेंसेटिव पीरियड होता है , या अन्य वीमेन इस दौरान आप किसी एक्सपीरियंस होम्योपैथिक डॉक्टर को कांटेक्ट करिये और यदि किसी एपलेप्सी की प्रॉब्लम है तो एक्सपीरियंस डॉक्टर को सिलेक्ट करिये -जिससे मेडिसिन की वजह से आपका एपलेफसी में सपोर्ट मिले साथ में ही बच्चे का भी डेवलपमेंट अच्छा हो । बट मुझे अगर इसका आंसर देना है तो होमियोपैथी मेडिसिन इन फर्स्ट थ्री मंथ ऑफ़ प्रेगनेंसी बट अंडर गाइडेंस ऑफ़ एक्सपीरियंस होमियोपैथी डॉक्टर थैंक यू 3) दीपक कुमार जी का प्रश्न है की क्रोनिक पैंक्रियास विथ सिक्स्ट आपरोक्स 10CM विथाउट सर्जरी प्लीज सजेस्ट.? यदि आपके पैंक्रियास में वोपण है और इसका साइज बड़ा है 10CM साइज में आता है तो इस वजह से आपको पैन हो रहा है और साइज भी आप देख रहे है पहले बढ़ स्पिर डेन करवा लेना चाहिए लेकिन कोई कोई प्रॉब्लम नहीं हो रहा है 10CM का सुड सिस्ट ब्रह्म होम्योपैथिक हीलिंग सेंटर में से जो इस लेवल पर ट्रीटमेंट अपना शुरू करते है और उनके केस में रिवर्सल पॉसिबल लेकिन 10CM साइज में आता है इसको से प्रिडिक्ट कर देना केस रिवर्स हो जाएगा. विदाउट सर्जरी या एस्पिरेशनेंट राइट स्टेटमेंट है की हम इस केस को लेते है और जब आप ट्रीटमेंट सुरु करते है हर २,३,४ महीने में रिपोर्ट करके देखते है ज्यादातर केस वो रिवर्स होना सुरु होता है , लेकिन कुछ ऐसे केस होते है जहां उसका साइज बढ़ता है साइज बढ़ने के पीछे भी कुछ फंडामेंटल रीजन है होम्योपैथिक मेडिसिन चलती रहती है जिससे एनंटायर केस में अच्छा एक मैनेजमेंट होता है और रिकवरी होने की पॉसिबिलिटी बहुत हो जाती है
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liver cirrhosis ka ilaaj
१)लिवर सिरोसिस किसे कहते है? लीवर मानव शरीर का ऐसा भाग है जो फुटबॉल के आकार का होता है, जिसका कार्य है की हमारे खून से विषाक्त पदार्थों को छानना है, खुराक को पचाने में भी मदद करने वाला एंजाइम बनाता है, शर्करा और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। - जब हमारा लीवर चोटिल हो जाता है, तो वह खुद को ठीक करता है और उसमे सख्त निशान ऊतक भी बन जाता है। जब ज़्यादा निशान ऊतक के बन जाता है, तो वो सही से काम नहीं कर पाता है इस स्थिति को लीवर सिरोसिस कहते है।   २) लिवर सिरोसिस होने के क्या लक्षण हो सकते हैं? -भूख न लगना - वज़न घट जाना -थकान और कमज़ोरी जैसा लगना  -पेट में दर्द होना    ३) लीवर सिरोसिस होने के क्या कारण हो सकते हैं? लीवर सिरोसिस होने के कई कारण हो सकते है ,जैसे की- शराब ज्यादा पीना -आनुवंशिक स्थिति-डायबिटीज -उच्च कोलेस्ट्रॉल
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acute necrotizing pancreatic ka bina surgery ilaaj
१) एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियाटाइटिस का बिना ऑपरेशन इलाज ? एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियाटाइटिस गंभीर स्थिति है, जिसमें अग्न्याशय पर सूजन हो जाती है। यह स्थिति तब होती है जब अग्न्याशय के ऊतक मर जाते हैं और आसपास के ऊतक को भी प्रभावित करने लग जाते है। - आज के आर्टिकल में एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियाटाइटिस रोग के कारण, लक्षण, निदान के विभिन्न बातो पर चर्चा करने वाले है । २) एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियाटाइटिस के प्रमुख कारण क्या है ? एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियाटाइटिस के प्रमुख कारणों में शराब का ज्यादा सेवन, पित्ताशय की पथरी,उच्च चर्बी वाला आहार, और कुछ दवाइयों का दुरुपयोग शामिल हैं -सबसे आम कारण शराब और पित्ताशय की पथरी ही होते हैं, कुछ मामलें में यह स्थिति ट्रॉमा या संक्रमण के कारण भी विकसित हो सकती है। ३) एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियाटाइटिस के कौन से लक्षण दिखाई देते है ? एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण निचे बताये अनुसार हो सकते है, जैसे की * पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द जो पीठ की ओर फैल सकता है * बुखार और ठंड लगना * मतली या उल्टी * तेजी से हृदय की धड़कन ४) एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियाटाइटिस का निदान? एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियाटाइटिस का उपचार सामान्य चिकित्सीय इतिहास, शारीरिक परीक्षण और अन्य चिकित्सा परीक्षणों के आधार पर किया जाता है। - रक्त परीक्षण: यह परीक्षण रक्त में एंजाइम्स की मात्रा की जाँच करता है। - सीटी स्कैन: यह विशेष रूप से प्रभावित क्षेत्रों की विस्तृत छवि प्रदान करता है। नेक्रोसिस की सीमा को समझने में सहायता करता है। - अल्ट्रासाउंड: इससे बाइल डक्ट में पथरी की उपस्थिति का पता लगाया जा सकता है।
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groove pancreatitis kya hai
१) ग्रूव पैन्क्रियाटाइटिस क्या है? एक असामान्य प्रकार का क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस है जो की अग्न्याशय के सिर, ग्रहणी के दूसरे भाग और सामान्य पित्त नली के बीच की जगह को असर करता है। मुख्य ट्रिगर पुरानी शराब का दुरुपयोग है, जो अग्नाशयी रस को अग्नाशयी ग्रहणी नाली में रिसाव में ले जाता है, जिससे सूजन और फाइब्रोसिस हो सकता है।    २) ग्रूव पैन्क्रियाटाइटिस का जाँच कैसे किया जाता है ? ग्रूव पैन्क्रियाटाइटिस का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ जाँच का सहारा लेते है ,जैसे की, - CT Scan  - Ultrasound -रक्त परीक्षण३) ग्रूव पैंक्रियास होने के कौन कौन से लक्षण दिखाई देते है? - पेट के ऊपर भाग में ज्यादा दर्द का होना  - खाना खाने के बाद उल्टी,-वज़न का कम होना, -मतली,  -शराब के ज्यादा उपयोग के कारण प्रतिरोधी पीलिया. ४) ग्रूव पैन्क्रियाटाइटिस के कारण क्या है ? ग्रूव पैंक्रियास के कारण निचे बताये अनुसार हो सकते है।, जैसे की  -शराब का सेवन -पित्त में पथरी  -अनुवांशिक कारक
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wopn pancreatitis kya hai
१) WOPN पैंक्रियाटाइटिस क्या है? WOPN पैंक्रियाटाइटिस एक्यूट पैंक्रियास के नैक्रोटाइज़िंग फेज के बाद होने वाली स्थिति है। नैक्रोटाइजिंग पैंक्रियाटाइटिस में पैंक्रियास का ऊतक मृत हो जाता है और इस अवस्था से शरीर में परिवर्तन और जटिलताओं को जन्म देती है। मृत ऊतक के चारों बाजु समय के साथ ही एक सुरक्षा वाली दीवार बन जाता है, इसको WOPN कहते है २) WOPN पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण क्या है? WOPN पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण निचे बताये अनुसार होते है जैसे की , - पेट में बहुत दर्द का होना- बुखार  - वजन का अचानक काम होना - उल्टी और जी मिचलाना ३) WOPN पैंक्रियाटाइटिस का निदान कैसे होता है? WOPN पैंक्रियाटाइटिस का जाँच करने के लिए विभिन्न परीक्षणों की आवश्यकता होती है। जैस की , * सीटी स्कैन * एमआरआई  * खून टेस्ट ४)WOPN पैंक्रियाटाइटिस से बचने के उपाय ? -शराब का कम सेवन  - कम वसा वाला आहार -नियमित स्वास्थ्य परीक्षण - वजन कण्ट्रोल करे
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