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lymph nodes ka homeopathy me ilaaj
1. लिम्फ नोड्स क्या है? लिम्फ नोड्स हमारे पूरे शरीर में मौजूद होते हैं। वे हमारे प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता हैं। लिम्फ नोड्स हमारे शरीर के कीटाणु, संक्रमण और अन्य पदार्थों को पहचानने में और उनसे लड़ने में भी मदद करते हैं। "सूजी हुई ग्रंथियाँ" का अर्थ = एक या एक से अधिक लिम्फ नोड्स का बढ़ना है। किसी भी बच्चे में लिम्फ नोड्स यदि 1 सेंटीमीटर 0.4 इंच से ज्यादा चौड़ा हो तो उसे बड़ा माना जाता है। 2. सूजे हुए लिम्फ नोड्स के लक्षण क्या हैं? सूजी हुई लिम्फ नोड्स मटर जितनी छोटी या चेरी जितनी बड़ी हो सकती हैं। अन्य लक्षणों में शामिल हो सकते हैं: -- गले में खरास या खांसी -बुखार -रात में पसीना होना -अस्पष्टीकृत वजन घटाने 3.सूजे हुए लिम्फ नोड्स के कारण क्या है ? किसी भी तरह के संक्रमण, बैक्टीरियल, लिम्फ नोड में सूजन का सबसे आम कारण है। - ऑटोइम्यून रोग, जैसे कि :: रुमेटी गठिया या ल्यूपस, सूजन पैदा कर सकता है जिससे लिम्फ नोड्स सूज जाते हैं। -कुछ दवाएं, जैसे कि फेनीटॉइन और एलोप्यूरिनॉल कभी-कभी एलर्जी प्रतिक्रिया भी उत्पन्न कर सकती हैं, जिसके कारण लिम्फ नोड्स में सूजन आ जाते है  -गैर-संक्रामक कारण, जैसे कि लिम्फ नोड के पास चोट लगना या आघात, भी लिम्फैडेनोपैथी का कारण बन सकते है  4.homeopathy me lymph nodes ka sahi ilaaj? 10 साल के छोटे बच्चों में अगर बढ़े हुए मेसेंटेरिक लिम्फ नोड दिख रहे हैं और बच्चे को बार-बार पेट में दर्द हो रहा है, इलाज करवाने के बाद भी बच्चा ठीक नहीं हो रहा है, तो उस बच्चे में यह कितना गंभीर है? यह सवाल अक्सर मरीज हमसे पूछते हैं। तो अगर आपको इसके लिए सही स्पष्टता चाहिए तो सबसे पहले आपको चीजों का और विस्तार से अध्ययन करना होगा। तो सबसे अच्छी बात है कि आप सीटी स्कैन करवा लें। जब आप सीटी स्कैन करवा लेंगे तो आपको पता चल जाएगा कि यह सिर्फ बढ़े हुए मेसेंटेरिक लिम्फ नोड की समस्या है या कोई और पैथोलॉजी या समस्या भी इसके साथ जुड़ी हुई है।  हम हर चीज को विस्तार से स्टेप बाय स्टेप समझेंगे। सबसे पहले हम यह समझते हैं कि अगर केस में सिर्फ बढ़े हुए मेसेंटेरिक लिम्फ नोड दिख रहे हैं तो इसके पीछे मुख्य कारण संक्रमण है। तो आपकी आंत में बार-बार संक्रमण हो रहा है। इसमें खाने-पीने की बहुत बड़ी भूमिका है और आपको सही दवा नहीं मिल रही है। अगर आप अपने खान-पान में सुधार करें और उचित दवाई लेना शुरू करें, तो आप बढ़े हुए मेसेंटेरिक लिम्फ नोड की समस्या को हल कर सकते हैं। लेकिन कुछ मामले ऐसे भी होते हैं, जहाँ इसके साथ और भी जटिलताएँ होती हैं और पृष्ठभूमि में कोई और विकृति होती है और किसी और कारण से, बढ़े हुए मेसेंटेरिक लिम्फ नोड दिख रहे होते हैं। उस कारण से, यह संभव है कि बच्चे को पेट की टीबी, आंतों की तपेदिक या पेट की खांसी हो। यह संभव है कि कैंसर जैसी कोई और गंभीर बीमारी हो या छोटी या बड़ी आंत या किडनी या अग्न्याशय की कोई और बड़ी समस्या हो।या अंग में कुछ और संबंधित रोग संबंधी परिवर्तन हों और उसके कारण बढ़े हुए मेसेंटेरिक लिम्फ नोड दिख रहे हों। तो, जिस विकृति या स्थिति के कारण ऐसा हो रहा है, आप उस स्थिति का सही तरीके से इलाज करेंगे। और उसके लिए, जो भी आहार की आवश्यकता है, आप उस योजना का पालन करेंगे। तो, इस स्थिति से उबरा जा सकता है। तो, आपके बच्चे का मामला गंभीर है या नहीं, यह अंतर्निहित विकृति पर निर्भर करेगा। और आप इसे सीटी स्कैन के माध्यम से समझ सकते हैं। तो, आपके मामले में, यदि बढ़े हुए मेसेंटेरिक लिम्फ नोड दिखाई दे रहे हैं और कुछ भी नहीं दिख रहा है, तो यह बहुत गंभीर नहीं है। इससे मृत्यु, मृत्यु दर या कोई अन्य संलिप्तता नहीं होती है। केवल शर्त यह है कि कोई गहरी गंभीर विकृति रेखांकित नहीं होनी चाहिए। और अगर गहरी गंभीर विकृति है, तो मामले की गति अलग होगी और इसका प्रबंधन बदल जाएगा।और अगर केवल बढ़े हुए मेसेंटेरिक लिम्फ नोड हैं, तो इसका प्रबंधन बदल जाएगा।
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ulcerative colitis ka diet plan kya hai?
1.अल्सरेटिव कोलाइटिस क्या है? अल्सरेटिव कोलाइटिस एक ऐसी बीमारी है जिसे हम IBD के नाम से भी जानते है । अल्सरेटिव कोलाइटिस बीमारी में, बड़ी आंत (कोलन) और मलाशय की अंदरूनी परत में सूजन हो जाने से कोलन अल्सर हो जाता है, जिससे रक्तस्राव होता है। अल्सरेटिव कोलाइटिस सब कोलन को भी प्रभावित करते है, लेकिन ये आमतौर पर मलाशय और कोलन के निचले हिस्से में होते है। अल्सरेटिव कोलाइटिस सूजन के कारण से कोलन अक्सर खाली हो जाता है, जिससे दस्त भी हो सकता है। 2.अल्सरेटिव कोलाइटिस का क्या कारण है? -असामान्य प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएँ -बैक्टीरिया, वायरस और कवक -आस-पास का वातावरण और शरीर के बाहर के कारक  3.अल्सेरिटिव कोलाइटिस में किस तरह के डाइट का उपयोग करना है ? -अल्सेरिटिव कोलाइटिस के में साबुत अनाज का सेवन करना लाभदाई है। जैसे की ,चावल, ज्वार, बाजरा और रागी  - दालें : लाल चना, हरा चना, और काले चने की दाल आदि। -दुग्ध उत्पाद: दही,  पनीर | - बीज रहित फल का भी सेवन करना चाहिए जैसे की ,सेब, केला, पपीता, अनार, नाशपाती आदि।  -अल्सेरिटिव कोलाइटिस के मरीजों को पालक, मेथी के पत्ते, धनिया पत्ते आदि का सेवन भी काफी अच्छा माना गया है।  ** इस वीडियो में हम अल्सरेटिव कोलाइटिस के डाइट प्लान को समझेंगे। अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण तो आप जानते ही हैं। लेकिन सबसे जरूरी बात यह जानना है कि डाइट क्या चुनें। अगर आपको लगता है कि यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, और आपकी मानसिक स्थिति इस ऑटोइम्यून बीमारी में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है, तो सबसे पहले इसे बनाए रखने के लिए आपको अपनी भावनात्मक स्थिति, मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखना होगा, अच्छे से रहना होगा, योग करना होगा, सुबह खुली हवा में टहलना होगा, अच्छे लोगों के साथ रहना होगा, खुशहाल जीवन जीना होगा। तो यह मानसिक स्वास्थ्य का एक हिस्सा है। और जब हम डाइट की बात करते हैं, तो इस मामले में आप सभी तरह की सब्जियां, सलाद, फल जैसे प्राकृतिक रूप में चीजें लेंगे। आप अनाज, दाल ले सकते हैं, इससे आपको बहुत मदद मिलेगी। और कोशिश करें कि आप ज्यादा से ज्यादा सब्जियां, सलाद, फल लें। लेकिन एक बात आपको हमेशा याद रखनी चाहिए कि इसे पूरा नहीं खाना है। आपको इसे 4-5 बार में खाना है। और बाहर की सारी चीजें जिसमें तेल, तला हुआ, मैदा, बेसन, टोस्ट, ब्रेड, नॉनवेज, शराब, धूम्रपान, होटल के आइटम हैं। आपको कोई भी पैकेज्ड या प्रोसेस्ड चीज़ नहीं लेनी चाहिए जिसमें प्रिज़र्वेटिव या केमिकल हो। कुछ मामलों में दही और छाछ पेट के लिए कोई समस्या नहीं होती। इसलिए हम उन्हें लेने की अनुमति देते हैं लेकिन हम दूध से बने उत्पाद को कुछ समय के लिए बंद कर देते हैं। तो आप अपने डाइट प्लान में भी ये बदलाव ला सकते हैं। लेकिन हर केस की तीव्रता और गंभीरता अलग-अलग होती है। कुछ केस प्राथमिक स्तर के होते हैं, कुछ मध्यम स्तर के होते हैं, कुछ चरम स्तर के होते हैं जहाँ पूरी तरह से भागीदारी होती है। डाइट प्लान मरीज की तीव्रता पर आधारित होता है। इसलिए जब कोई मरीज हमारे अस्पताल में, ब्रह्म होम्योपैथी हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर में इलाज शुरू करता है, तो केस की तीव्रता को समझकर मरीज का उचित डाइट प्लान बनाया जाता है। तो सटीक डाइट प्लान आपके केस और रिपोर्ट से समझाया जा सकता है। लेकिन मैंने आपको सटीक विवरण के लिए मूल विचार दिया है। आपको आपकी रिपोर्ट भेज दी जाएगी। और जब रिपोर्ट देखने के बाद इलाज शुरू होगा, तो आपको इन दोनों पहलुओं में मार्गदर्शन मिलेगा। आपको एक सटीक उचित आहार मिलेगा। और दूसरा, आपको भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य को कैसे बनाए रखना है, इसके लिए उचित मार्गदर्शन मिलेगा।
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pancreatitis ka bina surgery ilaaj in hindi
1.पैंक्रियास क्या होता है ? पैंक्रियास को हम अग्न्याशय के रूप में भी जाना जाता है ,जो कि एक एंजाइम का उत्पादन करते है, जिससे खाने को पचाने में मदद मिल सकती है। जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है कि , पैन्क्रियाटाइटिस एक ऐसी समस्या है, जो एक व्यक्ति को अचानक से परेशान कर सकती है और कुछ दिन तक तो लगातार भी परेशान कर सकती है। कितने समय से ये समस्या मरीज को परेशान कर रही है, इसी के आधार पर निर्णय लिया जाता है कि ये किस प्रकार के पैन्क्रियाटाइटिस से पीड़ित है। 2.पैंक्रियास में सूजन के प्रकार ? -पैंक्रियास में सूजन के दो प्रकार होते हैं जैसे 1. एक्यूट पैंक्रियास 2.क्रोनिक पैंक्रियास 1. एक्यूट पैंक्रियास :: एक्यूट पैन्क्रियाटाइटिस से पीड़ित मरीज को अचानक पैंक्रियास में सूजन आ जाती है ,यह एक गंभीर स्थिति है,यदि समय से मरीज का इलाज न हो सके तो रोगी को जान का खतरा भी होता है।  2.क्रोनिक पैंक्रियास :: क्रोनिक पैंक्रियास ऐसी समस्या है जो की एक्यूट पैंक्रियास के बाद ही होती है। इस स्थिति में पैंक्रियास में सूजन लंबे समय तक व्यक्ति को परेशान कर सकते है। इस स्थिति के उत्पन्न होने का कारण लंबे समय तक शराब पीना या धूम्रपान करना है। 3.पैंक्रियास में सूजन के क्या क्या कारण हो सकते है ? निम्नलिखित कारणों से पैंक्रियास व्यक्ति को परेशान कर सकता है जैसे की , - शराब का अधिक सेवन करना  - धूम्रपान करना  - खून में उच्च कैल्शियम का स्तर -पेट की सर्जरी या चोट -मोटापा 4.क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस का क्या कारण है? क्रोनिक अग्नाशयशोथ के कारणों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं: -पित्ताशय की पथरी -रक्त में कैल्शियम का उच्च स्तर -आनुवंशिकता (परिवार से प्राप्त) 5.क्या पैंक्रियास का होमियोपैथी में बिना ऑपरेशन इलाज हो सकता है ? - हाँ , पैंक्रियास का होमियोपैथी में बिना ऑपरेशन इलाज हो सकता है . जिस मरीज को क्रॉनिक पैन्क्रियाटाइटिस है और मरीज को लगातार दर्द हो रहा है, उसकी ज़िंदगी का ज़्यादातर हिस्सा अस्पताल में ही गुज़रता है। डिस्चार्ज होने के बाद वो घर आता है, उसे फिर से दर्द होता है, उसे फिर से भर्ती होना पड़ता है। और फिर वो 10 दिन, 5 दिन वहाँ रहता है और फिर डिस्चार्ज होने के बाद घर आता है, फिर उसे अस्पताल में बार-बार दर्द होता है। इसी तरह से उसकी ज़िंदगी चल रही है।और आख़िर में कोई उपाय नहीं होता और डॉक्टर ने आपको बता दिया है कि आपको सर्जरी करवानी पड़ेगी। पैन्क्रियास सर्जरी को प्रक्रिया कहते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि क्या मुझे ये प्रक्रिया करवानी चाहिए या सर्जरी के बाद मेरी बीमारी ठीक हो जाएगी? क्या क्रॉनिक पैन्क्रियाटाइटिस हमेशा के लिए ठीक हो जाएगा याबिना किसी सर्जरी के मैं इस बीमारी से बाहर निकल सकता हूँ। तो, जिन लोगों को इस सर्जरी के बारे में सलाह दी गई है, उनके मन में इस तरह के सवाल हैं। अब उलझन में पड़कर क्या करें? तो इस वीडियो में मैं आपको बताऊंगा कि यह प्रक्रिया कैसे की जाती है, इसके संकेत क्या हैं, इसके क्या लाभ हैं, इसकी जटिलताएं क्या हैं, इससे कितना लाभ मिलेगा और इससे क्या ठीक नहीं होगा। और अंत में मैं आपको यह भी बताऊंगा कि बिना सर्जरी के इसे कैसे किया जा सकता है। आइए देखते हैं।इस सर्जरी के संकेत तब होते हैं जब मरीज को बहुत दर्द होता है और उसके पीछे का कारण या तो सिर में ट्यूमर होता है या कोई बड़ा पत्थर, नली में कोई संरचना या मुख्य अग्नाशय नली में बड़े आकार के कई पत्थर या अग्नाशय विभाग होते हैं।और इस कारण से जब मरीज को लगातार दर्द हो रहा हो और मरीज उस दर्द से मुक्त नहीं हो पा रहा हो, उस स्थिति में डॉक्टर फ्रेज प्रक्रिया की सलाह देते हैं। इस प्रक्रिया में क्या होता है? अग्नाशय के सिर में जो भी विकृति है, ट्यूमर है या नली के अंदर बड़े पत्थर या पथरी है, तो उन चीजों को निकाल दिया जाता है और पूरे अग्नाशय में आगे की तरफ से कट किया जाता है।और अग्न्याशय की नली को उजागर किया जाता है। अगर उसमें कोई पत्थर है, तो उसे निकाल दिया जाता है। उसी तरह, छोटी आंत में एक ग्रहणी होती है। छोटी आंत में एक ग्रहणी होती है। छोटी आंत में एक तीसरा हिस्सा होता है जिसे एलियम कहा जाता है। इसलिए अग्न्याशय में जेजुनम के ठीक सामने वाले हिस्से को काटा जाता है। कट जेजुनम में किया जाता है और अग्न्याशय के उजागर क्षेत्र को एनास्टोमोज किया जाता है। अब अग्न्याशय की जल निकासी प्रणाली...पाचन तंत्र के पहले भाग को सूखाकर फिर ग्रहणी के दूसरे भाग में इस्तेमाल किया गया। अब पाचन तंत्र में जल निकासी प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है। इसके क्या लाभ हैं? पहला लाभ यह है कि पाचन तंत्र के ग्रहणी से सीधे जुड़ने से स्रावित एंजाइम सीधे छोटी आंत में जाते हैं और अपनी पाचन भूमिका निभाने लगते हैं।बिना किसी परेशानी या समस्या के सभी एंजाइम सीधे आंत में जा रहे हैं। दूसरा लाभ यह है किट्यूमर, पथरी और सभी जटिलताओं की विकृति दूर हो गई। यानी आप इससे मुक्त हो गए। तो ये इसके मुख्य लाभ हैं। तो क्या इससे आपकी बीमारी ठीक हो जाएगी? क्या आपका क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस हमेशा के लिए ठीक हो जाएगा? नहीं, ऐसा नहीं होगा। क्योंकि क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस एक प्रगतिशील बीमारी है। यह आगे बढ़ रही है।आपको कोई लक्षण नहीं हो रहे हैं, आपको पथरी हो रही है, आपको तीव्र, पुरानी, जटिलताएं हो रही हैं, ऐसा करने से आपका एंजाइम बहुत अच्छे से जा रहा है और आपने विकृति को दूर कर दिया है। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि आपको फिर से पथरी नहीं होगी, आपकी बीमारी आगे नहीं बढ़ेगी। आपको पथरी बनने की प्रवृति है, ऐसा जरूर होगा। बीमारी भी बढ़ेगी, शोष भी हो सकता है।और आपका क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस जरूर बढ़ेगा। तो प्रक्रिया शब्द का मतलब आपकी बीमारी का अंत नहीं है। जिस समय आपकी जिंदगी समस्या की वजह से खराब हो रही थी, आप उससे दूर हो गए हैं। आप उस पल के लिए सरल हो गए हैं, लेकिन बीमारी बढ़ रही है। और एक और बात बहुत महत्वपूर्ण है। कई बार सर्जरी की वजह से मरीज को जटिलता के तौर पर रक्तस्राव हो सकता है। सर्जरी के बाद की गलतियां भी हो सकती हैं, यानी सर्जरी में कुछ गलतियां हो सकती हैं।फोड़ा बन सकता है और कभी-कभी आपको पैन्क्रियाज में फिस्टुला भी दिख सकता है। तो इसमें कुछ जटिलताएं और फायदे हैं। लेकिन निश्चित तौर पर यह सर्जरी आपका इलाज नहीं है। ऐसा करने से आपकी बीमारी ठीक नहीं होगी। जो प्रगति हो रही है, वह तब तक जारी रहेगी जब तक आपको ऐसा उपाय या दवा नहीं मिल जाती जो आपकी बीमारी को बढ़ने से रोक दे और आपकी विकृति को उलट दे। तो क्या...जब प्रक्रिया के बाद भी यह बीमारी ठीक नहीं हो रही है, तो क्या दवाओं से इलाज संभव है? बिल्कुल। हमारे पास बहुत से ऐसे मरीज हैं जिन्हें सर्जरी की सलाह दी गई है। और बिना सर्जरी के ब्रह्म होम्योपैथिक हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर की दवाइयां उन लोगों को मुक्ति दिलाएंगी जिन्होंने अपनी जिंदगी का ज्यादातर हिस्सा अस्पताल और दर्द में बिताया है। और उनकी जिंदगी आसान हो जाती है।ब्रह्म होम्योपैथिक हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर की दवा क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस के मामले में, आपकी पैथोलॉजी इसे ठीक करने का काम करती है जो बीमारी को बढ़ने से रोकती है और इसे उलटने में मदद करती है। इस वीडियो में, मैं आपको एक ऐसा केस दिखाऊंगा जिसमें मरीज की हालत ऐसी थी कि उसकी जिंदगी का ज्यादातर हिस्सा अस्पताल में ही बीता वह हमेशा दर्द में रहता था और सर्जरी के अलावा कोई विकल्प नहीं थाऔर उसे एक फ्रैश प्रक्रिया से गुजरने की सलाह दी गई और वह बिना किसी सर्जरी के ब्रह्म होम्योपैथिक किलिंग एंड रिसर्च सेंटर की दवाओं से बहुत अच्छा है। उसका वजन बहुत बढ़ गया है, वह खा सकता है और वह अपनी सामान्य जिंदगी, दिन-प्रतिदिन के काम पर वापस आ गया है। 
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acute on chronic pancreas ka ilaaj
1.एक्यूट क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस क्या होता है ? रोगी पहले से ही पुरानी पैंक्रियाटाइटिस से परेशान है और पैंक्रियाटाइटिस का तीव्र हमला तुरंत होता है। इसे क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस पर तीव्र कहा जाता है। 2.)तीव्र या जीर्ण अग्नाशयशोथ के लक्षण? -अत्यधिक पेट दर्द होना . -पेट के ऊपरी भाग में दर्द होना -वजन कम हो जाना 3.पित्ताशय की थैली कीचड़ क्या है? पित्ताशय की थैली का जमाव एक ऐसी परिस्थिति जो तब उत्पन्न होती है, जब पित्ताशय पूरी तरह से खाली नहीं होता है, तथा पित्त अंग में जमा पित्त गाढ़ा होकर जेल जैसा पदार्थ बन जाता है। 4.पित्ताशय में कीचड़ के सबसे आम लक्षण ? पित्ताशय की थैली के आमतौर पर सामान्य लक्षण होते हैं, जैसे की  -छाती में दर्द होना , -मिट्टी जैसा मल , -उल्टी या पतली होना , -दाहिने कंधे ने दर्द होना    Mr. Sajen Molla Cured Patients Report 5.acute on chronic pancreatitis or gallbladder sludge ka homeopathy me ilaaj ? ब्रह्म होम्योपैथिक हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर में भारत के लगभग सभी मरीज अलग-अलग राज्यों से हैं और दुनिया भर के लगभग सभी मरीज जुड़े हुए हैं। और सभी मरीजों की प्रतिक्रिया बहुत अच्छी है और रिकवरी भी बहुत अच्छी है। मैं यहाँ जिस मामले पर चर्चा करने जा रहा हूँ, वह बांग्लादेश के रहने वाले श्री साजेन मोला का मामला है। वे अग्नाशयशोथ से पीड़ित थे और उन्होंने ब्रह्म होम्योपैथिक हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर से ऑनलाइन उपचार शुरू किया। हम इस रिपोर्ट के माध्यम से देखेंगे कि उनका मामला कैसे आगे बढ़ रहा है। यह रिपोर्ट श्री साजेन मोला की है और रिपोर्ट के अंत में आप ढाका, बांग्लादेश देखेंगे। यह रिपोर्ट MRCP की है। अग्नाशय अपेक्षाकृत सूजा हुआ, सूजन वाला, रूपरेखा में अनियमित और इसलिए विषम, अग्नाशयी पैरेन्काइमा के भीतर हाइपर-इंटेंस सिग्नल चार्ज अग्नाशय की पूरी लंबाई को शामिल करता है। इसका मतलब है कि रोगी तीव्र अग्नाशयशोथ के हमले से पीड़ित है और क्रोनिक अग्नाशयशोथ का प्रभाव पूरे अग्न्याशय में देखा जाता है। एमपीडी मध्यम रूप से फैला हुआ है। 5.3 का एमपीडी फैलाव दिखा रहा है। एमपीडी और इसकी साइड ब्रांच के लुमेन के भीतर कई हाइपो-इंटेंस फीलिंग डिफेक्ट देखे गए हैं।एमपीडी के अंदर और इसकी साइड ब्रांच में कई पत्थर दिखाई दे रहे हैं।सीबीडी सामान्य है और पित्ताशय की थैली हल्की फैली हुई है। पित्त गाढ़ा हो गया है। उच्च बिंदु 10 तलछट का मतलब है कि पित्ताशय की थैली के लुमेन में कीचड़ दिखाई दे रहा है।इसका मतलब है कि पित्ताशय की थैली कीचड़ है। फैली हुई एमपीडी के साथ क्रोनिक अग्नाशयशोथ की पृष्ठभूमि पर सुझाव देने वाला तीव्र एडेमेटस अग्नाशयशोथ में सूजन संबंधी परिवर्तनों के साथ सिर के क्षेत्र में कई पथरी होती है। इसका मतलब है कि तीव्र या जीर्ण अग्नाशयशोथ। एमपीडी फैला हुआ है। एमपीडी और इसकी साइड ब्रांच में कई पत्थर दिखाई देते हैं। पित्ताशय की थैली में कीचड़।उसका मामला समझा गया।उनकी जीवनशैली को समझा गया। उचित आहार, जीवनशैली में सुधार और दवा की योजना बनाई गई। नियमित आधार पर फॉलो-अप किया गया। यह रिपोर्ट 3-1-2024, जनवरी-2024 की है। ब्रह्म होम्योपैथिक हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर में उनका ऑनलाइन इलाज शुरू किया गया 8 महीने के फॉलो-अप के बाद, MRCP रिपोर्ट फिर से की गई। अग्नाशय और अग्नाशयी नलिकाएं आकार में थोड़ी बढ़ी हुई हैं। 8 महीने के फॉलो-अप के बाद, MRCP रिपोर्ट फिर से की गई। पैरेन्काइमल तीव्रता सामान्य दिखाई देती है। MPD लगभग 2.5 है जो लगभग सामान्य है। बढ़ी हुई होने के कारण सूजन दिखाई दे रही है। क्रोनिक अग्नाशयशोथ का कोई प्रभाव नहीं। MPD डायल किया गया सामान्य दिखाई दे रहा है। कई पथरी सामान्य दिखाई दे रही है। पित्ताशय भी सामान्य दिखाई दे रहा है। पित्ताशय में कोई कीचड़ नहीं दिखा। जब आप इंप्रेशन देखते हैं तो अग्न्याशय में हल्का इज़ाफ़ा दिखाई देता है। क्रोनिक अग्नाशयशोथ स्पष्ट है, नली में कई पत्थर स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं, साइड ब्रांच के पत्थर भी स्पष्ट हैं, एमपीडी पतला भी ठीक है और पित्ताशय में कीचड़ भी ठीक है। उसका 8 महीने तक इलाज चला और उसे एक बार भी नहीं देखा गया। इलाज ऑनलाइन किया गया है और रिपोर्ट बहुत अच्छी है। पहले एमआरसीपी रिपोर्ट थी, अब एमआरसीपी रिपोर्ट भी है। यह एमआरसीपी की तुलनात्मक रिपोर्ट है। अगर आप अहमदाबाद, भारत से बाहर से हैं, तो आप ब्रह्म होम्योपैथिक हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर में आए बिना अच्छा इलाज पा सकते हैं।आपको बेहतरीन नतीजे मिलेंगे। यह मामला वास्तव में कैल्सीफिकेशन के साथ क्रोनिक अग्नाशयशोथ है।इस मरीज का इलाज केवल होम्योपैथी दवा से और बिना किसी सर्जरी के किया गया।पूरी तरह से सामान्य।हल्का फुल्का सूजन वाला बदलाव ही दिखता है, अन्यथा मामला पूरी तरह ठीक है।अन्यथा मामला पूरी तरह ठीक है। मरीज की सेहत भी अच्छी है।
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ige ka homeopathy ilaaj in hindi
1.रक्त परीक्षण क्या है? खून में कुछ पदार्थों की मात्रा को मापने या अलग प्रकार की रक्त कोशिका की गणना करने के लिए खून के द्वारा किया जाने वाला परीक्षण। रोग के लक्षण , रोग पैदा करने वाले कारक की जांच करने, एंटीबॉडी मार्कर की जांच करने या देखने के लिए कि उपचार कितने अच्छे तरह से काम कर रहा हैं, इसलिए खून का परीक्षण किया जा सकता है 2.आईजीई के लक्षण क्या हैं? 1)बार-बार त्वचा का संक्रमण होना 2)त्वचा पर फोड़े का बार-बार होना 3)खुजली वाली त्वचा (एक्जिमा)  4)निमोनिया होना 5)ऊंचा आईजीई 3.आईजीई टेस्ट क्यों किया जाता है? DR.ब्लड तब टेस्ट करते हैं कि कहीं किसी को किसी चीज से एलर्जी तो नहीं है। वे IgE एंटीबॉडी नामक की जांच करते हैं जो हमारा शरीर तब बनाता है जब हम को किसी चीज से एलर्जी होती है।  4.IGE ka homeopathy upchar kya hai? यह श्री अक्षय की रिपोर्ट है। उनकी आयु 20 वर्ष है। यह रिपोर्ट 24 सितम्बर, 2023 की है। IgE का कुल स्तर 565 है। सितम्बर, 2023 में। इस दौरान उनका इलाज ब्रह्म होम्योपैथी हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर में शुरू किया गया। 10 महीने के इलाज के बाद उनका IgE स्तर फिर से जांचा गया। यह श्री अक्षय की 4 जुलाई, 2024 की रिपोर्ट है। IgE का कुल स्तर 275 है। IgE का पिछला स्तर 565 था। 10 महीने के इलाज के बाद उनका IgE स्तर अब 275 है। इसलिए ब्रह्म होम्योपैथी हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर से IgE के स्तर को ठीक किया जा सकता है। इसे सामान्य सीमा में लाया जा सकता है। IgE टेस्ट ज्यादातर एलर्जिक कंडीशन में किया जाता है। अगर एलर्जिक राइनाइटिस, ब्रोंकाइटिस, पित्ती या त्वचा या शरीर के किसी अन्य हिस्से पर किसी अन्य एलर्जिक रिएक्शन की वजह से यह बढ़ा है, तो उस स्थिति में IgE टेस्ट किया जाता है। यह बढ़ा हुआ होता है। यह IgE के स्तर को दर्शाता है। IgE का स्तर जितना ज़्यादा होगा, मरीज़ की संवेदनशीलता उतनी ही ज़्यादा होगी। IgE का स्तर जितना ज़्यादा होगा, परेशानी का स्तर उतना ही ज़्यादा होगा। कुल IgE स्तर 565 था। 10 महीने के इलाज के बाद, अब उनका IgE स्तर 275 है। उनकी हालत अच्छी है। अगर आपका IgE स्तर बढ़ा हुआ है, तो आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। आप ब्रह्म होम्योपैथी हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर से इलाज करवा सकते हैं। नतीज़ा अच्छा है। इलाज मौजूद है। आप अपना जीवन बेहतर बना सकते हैं।
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fatty liver treatment in hindi
1.फैटी लिवर रोग क्या है? लीवर , हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग है। लीवर का मुख्य काम विषाक्त पदार्थों को निकाल देना और भोजन के पोषक तत्वों को संसाधित करना है। लीवर में कुछ चर्बी होना सामान्य है, पर लीवर के वजन का १०% से अधिक चर्बी है, तो आपको फैटी लीवर हो सकता है । और अधिक जटिलताएं हो सकती हैं। फैटी लीवर से कोई नुकसान तो नहीं हो सकता है, पर कभी-कभी ज्यादा चर्बी लीवर के सूजन का कारण बन सकती है। 2.फैटी लीवर रोग के क्या लक्षण होते है ? 1.थकान महसूस होना  2.वजन कम होना या भूख में कमी होना  3.कमजोरी लगना 4.जी मिचलाना  5.पेट के मध्य या दाहिने ऊपरी हिस्से में दर्द होना  3.फैटी लीवर का मुख्य कारण क्या है? जब ज़्यादा कैलोरी खाने से लीवर में चर्बी जमने लग जाती है, तब लीवर चर्बी को सामान्य रूप से विघटित नहीं कर पाता है, तो बहुत ज़्यादा चर्बी जमा हो जाती है। जिस से मोटापा , मधुमेह , जैसे कुछ स्थितियों से परेशान लोगों में फैटी लीवर विकसित होने की संभावना होती है । Reena Shah Cured Patient Report 4. फैटी लीवर का होमियोपैथी में इलाज ? फैटी लिवर आज के समय में एक बहुत ही आम समस्या है। जो लोग बाहर का खाना खाते हैं, तले हुए खाने का बहुत इस्तेमाल करते हैं, शराब का बहुत इस्तेमाल करते हैं, खाने का समय और शेड्यूल मेंटेन नहीं करते हैं, उन लोगों में धीरे-धीरे फैटी लिवर की समस्या विकसित होती है। और प्राथमिक स्तर पर ग्रेड 1 फैटी लिवर में ज्यादा समस्या नहीं होती है, लेकिन जैसे-जैसे ग्रेड बढ़ता है, ग्रेड 2, ग्रेड 3 होता है, फाइब्रोसिस होता है और एक समय के बाद आपका लिवर फेल हो सकता है, लिवर में सिरोसिस भी देखा जा सकता है। किसी भी केस में फैटी लिवर है, तो इस पर थोड़ा ध्यान रखें, आपको इसके प्रति जागरूकता होनी चाहिए, इस बात की स्पष्टता होनी चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है, और आप अपनी तरफ से इसे ठीक करने के लिए सबसे अच्छा क्या कर सकते हैं। तो इसके फिर से दो हिस्से हैं, पहला है आपकी दवा, आपको इसे ठीक करने के लिए सही दवा मिलनी चाहिए, और दूसरा है आपका खान-पान और जीवनशैली, आप अपने डॉक्टर के जरिए अपने खान-पान और जीवनशैली को समझ सकते हैं, और जब हम दवा के नजरिए से बात करते हैं, तो होम्योपैथिक दवा में यह कारगर है कि यह फैटी लिवर जैसे मामलों को भी ठीक कर देती है। तो चलिए मैं आपको यहाँ एक रिपोर्ट दिखाता हूँ, मरीज़ है रीना शाह, वो 34 साल की है, ये रिपोर्ट है 21-03-2023 की, लिवर का आकार सामान्य है, समरूप दिखता है, पैरेन्काइमल इको बढ़ा हुआ है, निष्कर्ष देखने पर ग्रेड 1 फैटी लिवर में बदलाव दिखता है, ग्रेड 1 फैटी लिवर का मामला है, और ज़्यादातर मामलों में जहाँ फैटी लिवर होता है, जैसे एडवांस स्टेज होता है, मरीज़ को अपच, पेट में भारीपन, जकड़न, ठीक से पाचन न होना, ऐसी समस्याएँ दिखती हैं, ब्रह्म होम्योपैथिक हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर में उनका इलाज शुरू हुआ और समय के साथ उनकी शारीरिक समस्याओं में बहुत अच्छे परिणाम मिले, चीज़ें काफ़ी सुधर गईं, समय के साथ हमने जो रिपोर्ट्स कीं, वो भी ठीक थीं, इसमें आखिरी रिपोर्ट है 27-04-2024 की, रीना जी, जब आप सोनोग्राफी देखते हैं, निष्कर्ष में कोई ख़ास असामान्यता नहीं पाई गई, लिवर का आकार सामान्य दिखता है, पैरेन्काइमल इको सामान्य दिखता है, अब लीवर का पैरेन्काइमा सामान्य दिख रहा है, फैटी लीवर बिल्कुल साफ दिख रहा है, तो आपके केस में भी अगर फैटी लीवर है, और वो ग्रेड 1, 2, 3 में है, या फिर लीवर में फाइब्रोसिस भी है, या फिर उसमें सिरोसिस के बदलाव दिख रहे हैं, तो ब्रह्म होम्योपैथिक हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर की दवा से इस स्थिति को रिवर्स किया जा सकता है, केस टू केस, मरीज के केस के हिसाब से दवा का सही चयन किया जाता है, साथ ही स्टेज कितनी एडवांस है, सही डाइट प्लान बनाया जाता है, जब आप दोनों चीजों को सही तरीके से फॉलो करते हैं, और जब हम नियमित अंतराल पर रिपोर्ट करते हैं, तो नतीजे जरूर अनुकूल आते हैं, और केस में बहुत अच्छा सुधार होता है,
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exocrine pancreatitis insufficiency treatment in hindi
1.एक्सोक्राइन अग्नाशय अपर्याप्तता (ईपीआई) क्या है बच्चे का अग्न्याशय शरीर में दो भूमिकाएँ निभाता है। ये इंसुलिन का उत्पादन करके उसे शरीर में भेज कर खून को शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में बहुत मदद करता है। अग्न्याशय खुराक को तोड़ने में मदद करने के लिए छोटी आंत में एंजाइम भी भेजता है। एक्सोक्राइन अग्नाशयी अपर्याप्तता, जिसे हम ईपीआई के नाम से भी जानते है, वह स्थिति है जब अग्न्याशय पर्याप्त मात्रा में एंजाइम नहीं बना पाता जो भोजन को तोड़ने में मदद करते हैं। 2.एक्सोक्राइन अग्नाशय अपर्याप्तता (ईपीआई) के लक्षण क्या है? -सूजन होना -पेट में ऐंठन या दर्द -दस्त होना  -पेट फूल जाना -वजन घट जाना  3. ईपीआई का क्या कारण है? ईपीआई का कुछ सामान्य कारण है , -मधुमेय , -क्रोहन रोग  - जन्मजात असामान्यताएं  -सीलिएक रोग  -H। V EPI Patient Cured Report 4.ईपीआई का होम्योपैथी इलाज? अग्नाशयशोथ से पीड़ित लोगों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण वीडियो होने वाला है। इस वीडियो के माध्यम से आपको बहुत ही महत्वपूर्ण अंदरूनी जानकारी मिलेगी। एक मरीज़ है जिसने हमसे संपर्क किया और अपना इलाज शुरू किया। आइए मैं आपको चरण दर चरण उसके लक्षण बताता हूं। अंत में मैं जो कहना चाह रहा हूं उसकी पूरी स्पष्टता आपको मिल जाएगी। तो बस बने रहिए इस वीडियो के साथ। इसलिए वह हमारे साथ शामिल हो गए. और जब उसके लक्षणों को ट्रैक किया गया तो पेट में दर्द नहीं हुआ। उन्हें एसिडिटी, गैस की परेशानी, अपच और मल में तैलीय समस्या है। लेकिन उनकी मुख्य समस्या यह है कि उनका मल तैलीय होता है। उन्हें एसिडिटी, गैस की परेशानी, अपच और कब्ज की समस्या है। उसका वजन कम हो रहा है.  उसकी भूख कम हो रही है. इस मामले में उनकी कमजोरी मौजूद है. अब, जब आप समग्र मामले को देखते हैं, तो कोई दर्द मौजूद नहीं है। लेकिन मल में तैलीयपन होता है जिससे स्पष्ट होता है कि यह अग्नाशयशोथ का मामला है। और पैन्क्रियाटाइटिस की समस्या भी नहीं होनी चाहिए। जब आप उसकी यूएसजी रिपोर्ट देखेंगे, तो उसका अग्न्याशय आकार और आकृति में सामान्य है। उनकी पैरेन्काइमल इकोोजेनेसिटी सामान्य है। उनका अग्न्याशय समरूप है और कोई फोकल द्रव्यमान नहीं है। उनकी मुख्य अग्न्याशय वाहिनी फैली हुई नहीं है। और कोई स्यूडोसिस्ट नहीं है. सब कुछ सामान्य है. उनका अग्न्याशय पूरी तरह से सामान्य है। जब आप उसकी मल इलास्टेज रिपोर्ट देखते हैं, तो यह 31.4 है जो 200 से अधिक होनी चाहिए। 31.4 का मतलब गंभीर अग्नाशय एंजाइम की कमी है। उनका अग्न्याशय एंजाइम नहीं बना रहा है. यह मामला गंभीर अग्न्याशय एंजाइम की कमी का है, जहां एंजाइम नहीं बन रहा है। गंभीर अग्नाशयी बहिःस्रावी अपर्याप्तता। तो, यह एक ऐसा मामला है जहां अग्न्याशय के प्रारंभिक चरण में अग्न्याशय में कोई रोग संबंधी परिवर्तन नहीं होता है। भले ही आप एमआरसीपी या सीटी स्कैन कराएं लेकिन मल में इलास्टेज बहुत कम होगा। इससे अग्न्याशय में वसा पच नहीं पाती है और मल तैलीय हो जाता है। अग्न्याशय में पाचन एंजाइम की बहुत कमी हो जाती है इसलिए भोजन ठीक से पच नहीं पाता है। परिणामस्वरूप, आपका वजन कम होना, अपच, मल में तैलीयपन, भूख में कमी, कब्ज या पाचन संबंधी समस्याएं देखने को मिलेंगी। बहुत ही कम लोग इस रिपोर्ट तक पहुंचेंगे कि हमें फीकल इलास्टेज करना चाहिए। मरीज की रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी नहीं होगी. शुरुआती अवस्था में रोगी इधर-उधर घूमता रहेगा और एसिडिटी या गैस की दवा लेगा। समय के साथ, रोगी का मामला प्रगति करेगा और इसमें पुरानी अग्नाशयशोथ, कैल्सीफिकेशन और मधुमेह दिखाई देगा। तब मरीज समझ जाएगा कि यह मामला अग्न्याशय एक्सोक्राइन अपर्याप्तता का था। तो, यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश है. यदि आपको अग्नाशयशोथ है या आपके आस-पास इसके लक्षण हैं, जैसा कि मैंने आपको बताया है, तो आप इसके बारे में सोच सकते हैं और मल इलास्टेज की एक रिपोर्ट प्राप्त कर सकते हैं, यह देखने के लिए कि आपका अग्न्याशय एंजाइम कितना बना रहा है और उस पर आपके अग्न्याशय का पूर्वानुमान तय किया जाता है। लेकिन अगर आपका मामला है जहां अग्न्याशय एंजाइम कम बना रहा है, तो ब्रह्म होम्योपैथी हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर में एक दवा है जो इसे बढ़ाती है और समय के साथ एंजाइम भी बेहतर होने लगते हैं। अग्नाशयशोथ में क्रोनिक या कैल्सीफिकेशन के चरणों को भी रोका जा सकता है और मामले को उलटा भी किया जा सकता है। यह संभव है। लेकिन यह वीडियो विशेष रूप से इसलिए है क्योंकि यदि आप ध्यान दें तो इसमें तैलीय मल, अपच और वजन कम होना शामिल है। उसे ठीक से भूख नहीं लग रही है. इस मामले में, यदि आप लुइज़ी या सीटी करते हैं और अग्न्याशय सामान्य है, तो मल इलास्टेज के बारे में सोचें। इसमें कमी आएगी और कहीं न कहीं अग्न्याशय एक्सोक्राइन अपर्याप्तता का मामला है और लोग जल्दी पकड़ में नहीं आते हैं। 
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kya homeopathy dawa ka side effect hota hai
1.होम्योपैथिक क्या है ? यह एक प्रकार की पूरक चिकित्सा है जो अत्यधिक तनुकृत पदार्थों के प्रयोग पर आधारित है, जिसके बारे में चिकित्सकों का यह दावा है कि इससे शरीर अपने आप ही ठीक हो सकता है। होम्योपैथी चिकित्सकों का दावा है कि यह अलग अलग तरह के बीमारियों का इलाज कर सकता है, जिनमें अस्थमा जैसी शारीरिक बीमारियाँ और अवसाद जैसी मनोवैज्ञानिक बीमारियाँ भी शामिल होती हैं। 2.होम्योपैथिक में कौन-कौन सी बीमारी का इलाज होता है? होम्योपैथी एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है जो शरीर की स्वाभाविक उपचार क्षमता को बढ़ाने पर केंद्रित होती है। इसमें ऐसे उपचार दिए जाते हैं जो रोग के लक्षणों को ध्यान में रखते हुए व्यक्ति की पूरी स्थिति को समझते हैं। होम्योपैथी कई बीमारियों के इलाज में सहायक हो सकती है,1.एलर्जीज़ 2.स्किन रोग 3.माइग्रेन और सिरदर्द 4.तनाव और मानसिक समस्याएँ 5.हड्डियों और मांसपेशियों के रोग  3.होम्योपैथिक दवा में क्या-क्या परहेज करें? 1.होम्योपैथिक दवा में कुछ बाते का ध्यान रखना होता है जैसे की अल्कोहल पीना, तंबाकू और धूम्रपान जारी नहीं रखा जाना चाहिए 2.डोज ओवरलैप न करें  3.दवाओं को हाथों से न छुएं 4.क्या होम्योपैथिक दवा रिएक्शन करती है? होम्योपैथिक दवाएं आम तौर पर प्राकृतिक अवयवों से बनाई जाती हैं और उनका उद्देश्य शरीर के संतुलन में सुधार करना होता है, इसलिए दुष्प्रभाव आमतौर पर कम गंभीर होते हैं। क्या लंबे समय तक होम्योपैथिक उपचार लेने से कोई दुष्प्रभाव होता है या इस पर कोई निर्भरता होती है? तो, यह एक बहुत अच्छा सवाल है। अगर आप इसे गहराई से समझेंगे, तो आप जानते हैं और चिकित्सकीय रूप से हम यह भी देखते हैं कि होम्योपैथिक दवा से मरीज को कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। मरीज का जीवन बहुत अच्छा होता है। लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो 5-10 साल तक होम्योपैथिक दवा पर रहते हैं और उनका जीवन बहुत सहज हो जाता है। उनका शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, जीवन की स्थिति, सब कुछ बेहतर हो रहा है। अब, इस बिंदु पर, 5 साल और 10 साल के बाद, हमें इसे बहुत ध्यान से समझने की जरूरत है। क्या होम्योपैथिक दवा उनके लिए निर्भरता बन गई है या उन्हें आजादी दे रही है? अगर इस समूह में ऐसा हो रहा है कि होम्योपैथिक दवा लेने से वे अपनी जिंदगी खुलकर जी पा रहे हैं, उनके लिए यह स्वास्थ्य का स्रोत है, तो यह बहुत अच्छी बात है। लेकिन, फिर से, मानसिक बीमारी के कारण वे पूरी तरह से होम्योपैथिक दवा पर निर्भर हैं। इसलिए, यह संभव है कि बहुत कम मामलों में, होम्योपैथिक दवा पर रोगी की निर्भरता 10 साल, 20 साल, 30 साल या उनके जीवन के बाकी हिस्से तक हो सकती है। इसलिए, कुल मिलाकर, यदि आप परिदृश्य को समझते हैं, तो होम्योपैथिक दवा पूरी तरह से सुरक्षित है। कोई निर्भरता नहीं है और कोई दुष्प्रभाव नहीं है। आप 5-10 साल तक होम्योपैथिक दवा लेते हैं और कोई समस्या नहीं होती है। सिवाय, 10,000 में से 1 मरीज, जहां रोगी पूरी तरह से होम्योपैथिक दवा पर निर्भर होता है और उन्हें लगता है कि वे अपना जीवन केवल होम्योपैथिक दवा या इस दवा से जी पाएंगे। और फिर, वे लोग अपने पूरे जीवन के लिए होम्योपैथिक दवा लेते हैं। अगर आप इसे बहुत गहराई से देखें, तो यह भी अच्छा है क्योंकि ऐसा करने से उनका जीवन अच्छा हो जाता है। लेकिन, अगर आप इसकी दूसरी गुणवत्ता देखें, तो यह एक तरह की निर्भरता है। तो, आपको यह बात देखने को मिलती है। अन्यथा, कुल मिलाकर, होम्योपैथिक दवा सबसे अच्छी है। लंबे समय तक इलाज में भी कोई दुष्प्रभाव नहीं।
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ca 19 9 ka bina surgery ilaaj
CA 19. 9 का स्तर सर्जरी के बिना कैसे घटाए ? CA 19.9 क्या है? CA 19-9 एक बीमारी का ट्यूमर मार्कर है। ट्यूमर मार्कर कोशिकाओं या आपके शरीर में सामान्य कोशिकाओं द्वारा बनाए गए पदार्थ होते हैं। स्वस्थ लोगों के रक्त में CA 19-9 की थोड़ी मात्रा हो सकती है। CA 19-9 का उच्च स्तर अग्नाशय के कैंसर का संकेत है। यह एक विशिष्ट प्रोटीन है जो अक्सर कुछ प्रकार के कैंसर, विशेषकर अग्नाशय के कैंसर में अधिक मात्रा में पाया जाता है। CA 19.9 का उपचार कैसे करे ? यदि आपका CA 19-9 स्तर बढ़ा हुआ है, तो सबसे पहले आपको किसी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना चाहिए। वे वृद्धि के अंतर्निहित कारण का पता लगा सकते हैं और उचित परीक्षण और उपचार सुझा सकते हैं।यदि 19-9 गैर-कैंसरजन्य स्थितियों (जैसे अग्नाशयशोथ या यकृत रोग) के कारण बढ़ा हुआ है, तो आपका डॉक्टर उस स्थिति के लिए विशिष्ट उपचार की सिफारिश करेगा।यदि आप किसी भी स्थिति के लिए होम्योपैथी पर विचार कर रहे हैं, तो किसी योग्य होम्योपैथ या स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है जो व्यक्तिगत सिफारिशें प्रदान कर सके । यदि आपका CA 19.9 का स्तर तीव्र गति से बढ़ रहा हैं तो आपको अपने हेल्थ केयर से जल्द ही परामर्श करना चाहिए। होम्योपैथी अपने रोगी को कुछ दर्द निवारक उपचार सुझाती है।  CA 19.9 की होमियोपैथी ट्रीटमेंट | Homeopathy treatment for CA 19.9 Without any surgery CA 19.9 एक अग्नाशय कैंसर ट्यूमर मार्कर है और जब इसका स्तर बढ़ता है, तो यह संकेत देता है कि रोगी को कैंसर हो सकता है। ब्रह्म होम्योपैथिक हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर पर लोगों का भरोसा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। और हजारों लोग जो लाइलाज निराशाजनक मामलों से पीड़ित हैं, जिन्हें बताया जाता है कि इनका कोई इलाज नहीं है, ऐसी बीमारी ठीक नहीं हो सकती, आप कभी ठीक नहीं होंगे, कोई रास्ता नहीं है, कोई उम्मीद नहीं है, पूरी दुनिया में इसका कोई इलाज नहीं है। ऐसे क्रॉनिक केस, चाहे वह क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस हो या उसकी जटिलताएं, किडनी फेलियर केस, लिवर डिजीज, हार्ट प्रॉब्लम या ब्रेन प्रॉब्लम, ऐसे निराशाजनक मामलों का ब्रह्म होम्योपैथी में बहुत अच्छे से इलाज किया जाता है। इसमें हजारों लोगों को बेहतरीन नतीजे मिले हैं। और हम सब, हमारी पूरी टीम, आपका दिल की गहराइयों से बहुत-बहुत शुक्रिया अदा करते हैं, क्योंकि आप सबका हम पर बहुत भरोसा है।  आइए, इस वीडियो में मैं आपको ऐसे ही निराशाजनक केस के बारे में बता रहा हूं, उसका विवरण विस्तार से दे रहा हूं। ये CA 19.9 की रिपोर्ट है, जिसमें एक मरीज को पैंक्रियाटिक कैंसर या क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस की जटिल स्थिति है। उस स्थिति में CA 19.9 बढ़ जाता है। इस मरीज की रिपोर्ट में पैंक्रियाटिक भी पाया गया है और CA 19.9 बढ़ा हुआ है। तो चलिए ये रिपोर्ट देखते हैं। चलिए ये रिपोर्ट देखते हैं। CA 19.9, मरीज का नाम मंजू देवी है, जो 55 साल की महिला है। और CA 19.9 की रिपोर्ट 413.05 है। इसमें 413 लेवल दिख रहा है। ब्रह्म होम्योपैथिक हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर में उसका इलाज शुरू हुआ। ये रिपोर्ट 29 अप्रैल, 2024 की है। जब वो इलाज कराने आया तो उसे पेट दर्द, अपच, उल्टी, वजन कम होना और पीलिया जैसी समस्याएँ थीं। और उसकी त्वचा बहुत पीली पड़ गई थी। खून बहुत कम था। ये एनीमिक कंडीशन थी। और बहुत कमजोरी के साथ उसने अपना केस पेश किया। ब्रह्म होम्योपैथिक हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर में इस केस का सही से अध्ययन किया गया है. और उनको सही दवा दी गई. समय के साथ उनके केस में शारीरिक सुधार देखने को मिला. जब हमने दोबारा CA 19.9 की रिपोर्ट की, तो ये रिपोर्ट 29 जुलाई 2024 की है. मंजू देवी. और CA 19.9 41 दिखा रहा है. 413 का लेवल कुछ महीनों में 41 पर आ गया है. तो उनको सिर्फ होम्योपैथिक दवा दी गई है.  होम्योपैथिक दवा से हमें इतना बदलाव देखने को मिला. और इस तरह से हमें सबसे अच्छा आउटपुट मिला. उनका शारीरिक स्वास्थ्य भी अच्छा है. और मरीज की रिपोर्ट भी बहुत अच्छी है. तो आप सभी जो पहले से ही इलाज पर हैं और जिन लोगों को ऐसी निराशाजनक स्थिति है, लाइलाज बीमारियाँ हैं. उनके लिए कहा जाता है कि इसका कोई इलाज नहीं है । उन सभी के लिए ब्रह्म होम्योपैथिक हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर उम्मीद की किरण है. यह उम्मीद की जगह है।और यहाँ इलाज करवाकर हज़ारों लोग पहले ही ठीक हो चुके हैं। और हज़ारों लोग इलाज करवा रहे हैं। वो सभी लोग जो हमसे इलाज करवा रहे हैं, हमारे सेंटर से जुड़े हुए हैं।हम उन सभी का शुक्रिया अदा करते हैं। और तहे दिल से, हमारी तरफ़ से, हमारी टीम की तरफ़ से, आपका शुक्रिया। और आपका स्वास्थ्य अच्छा रहे। ऐसी शुभकामनाएँ। शुक्रिया।
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freys procedure treatment in homeopathic
फ्रे की प्रक्रिया (Freys's Procedure) क्यों करवाई जाती हैं ? फ्रे की प्रक्रिया क्रॉनिक पैन्क्रियाटाइटिस से पीड़ित दर्दी की सारवार करने के लिए की जाती हैं ,यह एक शल्य चिकित्सा तकनीक है जिसका उपयोग आप क्रॉनिक पैन्क्रियाटाइटिस से पीड़ित रोगियों में दर्द को कम करने और रोगी का स्वास्थ अच्छा करने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया विशेष रूप से तब करवाई जाती है जब रोगियों को गंभीर रूप से क्रॉनिक पैन्क्रियाटाइटिस की बीमारी हो।इसमें भयानक दर्द का अनुभव होता है। इस प्रक्रिया से आपको पैंक्रिटाइटिस के रोग से आराम मिल सकता हैं पर इसका कोई अंदाजा नहीं हैं की वह रोग आपको वापस न हो। फ्रे की प्रक्रिया से बीमारी को दूर करने के लिए आपको सर्जिकल प्रक्रिया का सामना करना होता हैं । जिसमे आपको कई संभवित जोखिम की सम्भावना रहती हैं। होमियोपैथी में दवाई के इलाज से आप कई पैंक्रिआटाईटिस जैसे रोग जैसे की अट्रोफि ऑफ़ पैंक्रियास , क्रोनिक पैंक्रिआटाईटिस , नाइक्रोटाइज़िंग पैंक्रिआटाईटिस जैसी बीमारी को  इलाज दिया गया हैं। मेने मेरे मेडिकल लाइफ में कई पैंक्रिअटिक केस देखे हैं जिसमे दर्दी कई सालो से बीमारी से जुच रहा होता हैं। इस वीडियो में दि गई जानकारी के माध्यम से हम पैंक्रियास के दर्दीओ को बताना चाहते हैं की फ्रे की प्रक्रिया का तुरंत फैसला लेने के आलावा आपके पास दूसरा कोनसे विक्लप और रास्ते हैं जिससे आप अपनी बीमारी को मिटा सकते हैं। फ्रे की प्रक्रिया से आपको क्या रिजल्ट प्राप्त हो सकता हैं ? फ्रे की प्रक्रिया में कई जोखिम रह सकते हैं जैसे कि रक्तस्राव संक्रमण, अग्नाशय नालव्रण, पाचन या पोषक तत्वों के अवशोषण में परिवर्तन ,और गैस्ट्रिक खाली करने में देरी ,दर्दी को भारी से भारी दर्द भोगना हो सकता हैं । फ्रे की सर्जरी करवाने से आपको 2 से 2.5 महीना तक शायद कोई दर्द का अनुभव नहीं होता हैं। फ्रे की प्रक्रिया से आपको तुरंत आराम मिल जाता हैं लेकिन दर्द का संक्रमण 5 से 6 महीने में लागु होने की सम्भावना होती हैं। । फ्रे की प्रक्रिया से आपको तुरंत आराम मिल जाता हैं।लेकिन बहुत कम ही मरीज होंगे जो यह सर्जरी का दर्द भोग सके हो। क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस के लिए होमियोपैथी दवाई क्यों चुने ? होमियोपैथी ट्रीटमेंट का यह दावा होता हैं के इनके इलाज के कोई जोखिम नहीं हैं। होमियोपैथी में यह क्षमता होती हैं की वह रोग को जड़ से ख़तम करता हैं। यहाँ आपकी स्तिथि पहले जैसे गंभीर न हो इसलिए दर्दी ने 1 से 2 साल होमियोपैथी की दवाई लेना शुरू कर दिया जिसके नतीजे से दर्दी की सारि रिपोर्ट्स नार्मल हैं और दर्दी को दर्द से आराम मिल पाया। उनको कोई अन्य पीड़ा नहीं हो रही। होमियोपैथी एक रिसर्च बेस्ड साइंस हैं जिसका उद्देश्य दर्दी को होमियोपैथी तरीके से योग्य और असरकारक इलाज दिलवाना हैं। फ्रे की प्रक्रिया के लिए कब संकेत मिलते हैं ? क्रोनिक अग्नाशयशोथ जैसी बीमारी में असह्य पीड़ा से छूटने के लिए कई डॉक्टर्स फ्रे की सर्जरी की सलाह देते हैं जिसमे आपको तुरंत दर्द से छुटकारा मिलेगा यह निर्देश दिए जाते हैं। यह सर्जरी का एक विकल्प हैं जिसमे आपको बहुत जोखिम मिलते हैं। अग्नाशयी वाहिनी संकुचन होने से आपको बहुत गंभीर पीड़ा का सामना करना पड़ सकता हैं। जिसके कारण आपको सर्जरी का विक्लप ध्यान में आ सकता हैं।  अग्नाशयी स्यूडोसिस्ट वाले रोगियों का इलाज फ्रे की प्रक्रिया से किया जा सकता है, खासकर जब स्यूडोसिस्ट लक्षणात्मक या आवर्तक हों। ब्रह्म होमियोपैथी के किस इलाज से पैन्क्रियाटाइटिस की बीमारी से छुटकारा मिला ? ब्रह्म होमियोपैथी में आपको बिलकुल सटीक इलाज मिलता हैं । ब्रह्म होमियोपैथी  एक होमियोपैथी हॉस्पिटल जो आपको नेचुरल इलाज के लिए जाना जाता हैं। होमियोपैथी में मिला इलाज आपको अच्छे रिजल्ट प्रदान करेगा। ब्रह्महोमेओ में रोगी के लक्षणों और प्रभाव को जांच कर दवाई का डोज़ तैयार होता हैं। होम्योपैथ न केवल Pancreatitis से संबंधित लक्षणों का मूल्यांकन करेगा, बल्कि सबसे उपयुक्त उपचार निर्धारित करने के लिए संबंधित शारीरिक और भावनात्मक लक्षणों का भी मूल्यांकन करेगा। होम्योपैथी अक्सर स्वास्थ्य के लिए एक समग्र दृष्टिकोण पर जोर देती है, जिसमें न केवल दवाएं शामिल होती हैं, बल्कि जीवनशैली में बदलाव, आहार संबंधी सिफारिशें और भावनात्मक समर्थन भी शामिल होते हैं जो समग्र कल्याण को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।
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endometrial polyp treatment in hindi
एंडोमेट्रियल पॉलीप्स (गर्भाशय पॉलीप्स) का बिना सर्जरी के उपचार । एंडोमेट्रियल पॉलीप्स (गर्भाशय पॉलीप्स) की समस्या गर्भाशय की आंतरिक परत (एंडोमेट्रियम) पर होती हैं। इसके कारण महिलाओ को कई परेशानी का सामना करना पड़ सकता हैं जैसी की अनियमित मासिक धर्म, भारी मासिक धर्म या मासिक धर्म के बीच स्पॉटिंग जैसी परेशानी।  एंडोमेट्रियल पॉलीप्स (गर्भाशय पॉलीप्स) के लिए होमियोपैथी उपचार और द्रष्टिकोण :- होम्योपैथी में, उपचार अत्यधिक व्यक्तिगत होते हैं। होम्योपैथ एंडोमेट्रियल पॉलीप से संबंधित लक्षणों का मूल्यांकन करेगा । होम्योपैथी अक्सर स्वास्थ्य के लिए एक समग्र दृष्टिकोण पर जोर देती है, जिसमें न केवल दवाएं शामिल हैं, बल्कि जीवनशैली में बदलाव, आहार संबंधी सिफारिशें और भावनात्मक समर्थन भी शामिल हैं जो समग्र कल्याण को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। Endometrial Polyp Treatment-Without surgery 1.जीवनशैली और आहार में बदलाव : - एंडोमेट्रियल पॉलीप से स्वस्थ होने के लिए आपको स्वस्थ वजन बनाए रखना, संतुलित आहार खाना और नियमित शारीरिक गतिविधि में शामिल होना जैसी हार्मोनल संतुलन की क्रिया का अपनी दैनिक जीवन में समावेश करना चाहिए। जिससे आपके पॉलीप्स के विकास को घटाने में मदद मिल सकती हैं। हालाँकि जीवनशैली में बदलाव पॉलीप्स को खत्म नहीं कर सकते हैं, लेकिन आपके स्वास्थय को अच्छा बनाने में मदद कर सकेगा।  2.नियमित निगरानी:- एंडोमेट्रियल पॉलीप के सहित किसी और भी रोग की प्रगति हो रही हो या चिकित्सक उपचार को ट्रैक करने के लिए नियमित चिकित्सा मूल्यांकन और रेगुलर परीक्षण महत्वपूर्ण होता हैं। होम्योपैथिक उपचार को करने से आपके कई असाधरण दुखाव और परेशानीया नियंत्रण में आ जाएगी। होमियोपैथी एक रिसर्च हैं जिसमे रोग की जड़ तक पंहुचा जाता हैं। रोगी को कई बीमारी से छुटकारा पाने में सहायक बनती हैं।  3.हार्मोनल परिवर्तन :- हार्मोनल परिवर्तन करना आपके प्रजनन स्वास्थ्य को अच्छी ऊर्जा प्राप्त होगी। होमियोपैथी में हम रोगी की हार्मोनल सकती को विकसित करते हैं जिससे रोगी की रोगप्रतिकारक शक्ति को बढ़ावा मिलता हैं। हार्मोन स्तरों में उतार-चढ़ाव से एंडोमेट्रियल अस्तर में परिवर्तन हो सकता है। जिससे बीमारी और बढ़ने का खतरा रहता हैं। होमियोपैथी से दर्दी को सुविधा पूर्व इलाज प्राप्त हो सकता हैं। 4. होमियोपैथी दवाई :- होमियोपैथी दवाई आपको एंडोमेट्रियल पोलिप्स से छुटकारा दिला सकती हैं। होमियोपैथी दवाई से आपको कई लाभ मिल सकते हैं जैसे की जीवनशैली में बदलाव, आहार संबंधी सिफारिशें और भावनात्मक समर्थन और कई अन्य जरुरी बदलाव जो समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।  5. डाइट आहार की सलाह:- एंडोमेट्रियल पोलिप को नियंत्रित करने के लिए आपको योग्य मात्रा में खुराक और पानी लेना चाहिए। आपकी शरीर की प्रजनन तंत्र को नियमित रूप से चलाने के लिए आपको अधिक मात्रा में omega-3 फैटी एसिड को लेना चाहिए। आपका दैनिक खान पान आपके प्रजनन शक्ति पर प्रभाव दाल सकता हैं. इसलिए रोजाना सब्जी और फलो का सेवन करते रहिये। आपको तुरंत ही आराम मिल पायेगा।  6.साइट्रिक एसिड का सेवन :- निम्बू में सबसे ज्यादा साइट्रिक एसिड पाया जाता हैं। एंडोमेट्रियल पोलिप गर्भाशय को अधिकतर हानि पहुंचाता हैं। इसलिए स्वस्थ गर्भा अवस्था के लिए साइट्रिक एसिड युक्त खाना खाना चाहिए। यह एंडोमेट्रियल पोलिप को रोकने में भी सहायरूप साबित होगा।  7.स्वछता और सुरक्षा :- आपको बीमारी से बचने के लिए कई प्रकार के कदम लेना आवश्यक हैं। आप एंडोमेट्रियल पोलिप को रोक नहीं पर उसको पकड़ने का प्रयाश आपको उससे सुरक्षा दिलवा सकता हैं। आपको कई इलाज कारवाना आवश्यक नहीं हैं परन्तु सही इलाज करवाना ही सहायमंद कदम हैं। महिला को अपने मासिक धर्म के दौरान कई सफाई रखने की जरूरत हैं। आपको नियमित बॉडी वाश और बॉडी हायड्रेसशन करना चाहिए। जिससे आपको इन्फेक्शन होने का खतरा न रहे। 8. धूम्रपान और शराब छोड़े :- ध्रूमपान और शराब का कम सेवन करना ही एक बेहतर जीवन की प्रति आपका सहयोग होगा। धूमप्रान से शरीर में कई प्रकार के विषैले और कैंसर जैसे तत्व निर्माण होते हैं। होमियोपैथी नेचुरल एवं सुयोग्य इलाज का समर्थन करता हैं। होमियोपैथी दवाई रिसर्च के अनुशंधान पे बनाई गयी दवाई हैं जो दर्दी को अपने अच्छे स्वास्थ्य की और बढाती हैं। 9.विटामिन सी से भरपूर फल ले :- आपके गर्भाशय की अच्छे स्वास्थय के लिए विटामिन C से भरपूर फल या सब्जी कहानी चाहिए जिससे गर्भशय संक्रमण को रोकने में मदद मिले।आप नींबू, संतरे, गोभी, कीवी, अमरूद, ब्रोकोली ,अनार और शिमला मिर्च खा सकते हैं। यह सारे खाधपर्दाथ आपको प्रजनन प्रणाली को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। 10.बहुत देर तक न बैठें :- अगरआपको लंबे समय तक बैठने की स्थिति हैं , तो आपको सावचेती रखने की ज़रूरत है। बहुत देर तक बैठने की आदत से श्रोणि क्षेत्र में रक्त संचार प्रभावित हो सकता है। इससे गर्भाशय की दीवार मोटी होने का खतरा हैंऔर एंडोमेट्रियल पॉलीप (गर्भाशय पॉलीप्स) होने का खतरा हैं। इसलिए होमियोपैथी डॉक्टर यह निर्देश करते हैं की आपको लगातार बैठने की अवधि को कम करना चाहिए। आपकी मांसपेशियों की गति और शरीर में अच्छे रक्त संचार के लिए हर घंटे थोड़ा-थोड़ा चलना आपके लिए प्रतिकूल रहेगा । आप इस प्रकार एंडोमेट्रियल पॉलीप (गर्भाशय पॉलीप्स) के खतरे से बच सकते हैं।
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chronic calcification pancreas ka homeopathic upchar
होम्योपैथी में क्रोनिक कैल्सीफिकेशन अग्नाशयी का उपचार हिंदी में क्रोनिक कैल्सीफिकेशन के बारे में आप क्या जानते हैं? क्रोनिक कैल्सीफिकेशन भारी सूजन की स्थिति है जिसमें आप अग्न्याशय में सूजन, घाव और संभावित क्षति महसूस कर सकते हैं। पुरानी स्थिति में आपको अग्नाशयशोथ के विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए आप सर्जरी के स्थान पर सही उपचार पा सकते हैं। क्रोनिक अग्नाशयशोथ के मानक कारण:- क्रोनिक कैल्सिफिकेशन पैंक्रियाटाइटिस के कारण यह दर्शाते हैं के आपको कोनसे कारण से यह बीमारी हो सकती हैं। इसे ध्यान से पढ़ना आपके लिए उचित साबित होगा। आप अपनी रिपोर्ट डॉक्टर को दिखा कर ही कोई निर्णय ले। 1. बार-बार होने वाला अग्नाशयशोथ 2. आनुवंशिक उत्परिवर्तन 3. शराब के दुरुपयोग पर 4. विषाक्त पदार्थ और औषधियाँ 5. अग्न्याशय के ट्यूमर (पत्थर) 6. पुटीय तंतुशोथ 7. पित्ताशय की पथरी 8. स्व - प्रतिरक्षी रोग 9. चिकित्सा का इतिहास  क्रोनिक अग्नाशयशोथ के सही लक्षण:- क्रोनिक कैल्सिफिकेशन ऑफ़ पैंक्रियास के लक्षण के लिए आपको अपने नजदीकी डॉक्टर से सलाह ले लेनी चाहिए। ऐसे ही कोई भी निष्कर्ष पर मत पहुंचे। 1. भूख कम होना 2. मधुमेह 3. सूजन 4. लंबे समय तक रहने वाली सूजन 5. खुजली और सूजन 6. चिड़चिड़ा स्वभाव 7. पेट में दर्द होना  "क्रोनिक कैल्सीफाइड पैन्क्रियाटाइटिस के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक उपचार" होम्योपैथी में अग्नाशयी कैल्सीफिकेशन की उपचारविधि : होमियोपैथी में आपको पैंक्रियाटाइटिस के लिए एकदम बेजोड़ इलाज मिल जाता हैं। आपको अपने शरीर के लंबे स्वास्थ्य के लिए सर्जरी का तरीका टालना चाहिए। हम होमियोपैथी उपचार के द्वारा रोगी को कुदरती स्वस्थय देना पसंद करते हैं। हमारे हॉस्पिटल में कई क्रोनिक कैल्सिफिएड पैंक्रियाटाइटिस के मरीज ठीक हो चुके हैं। हम लोगो को यही सलाह देते हैं की आपको अपने शरीर की परहेज खुद करना चाहिए और बाकि का काम आपको डॉक्टर और ट्रीटमेंट पर छोड़ देना चाहिए। लोगो के विश्वास से और होमियोपैथी दवाई से हम पैंक्रियाटाइटिस को ठीक करने में सफलता हासिल करते हैं। उपचार विधी :- 1) दवाईया :- दवाई का सेवन खूब ध्यान से करना चाहिए। होमियोपैथी में आपको दवाइया लेने से कोई भी अन्य दुख या पीड़ा नहीं होती हैं। आपको इसको लेने से कोई भी शारीरिक तकलीफ नहीं होगी। आपको अभी से डॉक्टर डाइट का निर्देशन कर देते हैं जिससे आपको अच्छी ट्रीटमेंट लागु हो पाए। नियमित दवाई का सेवन करना ही मरीज को आराम दे सकती हैं।  2) शराब का कम सेवन :- शराब का सबसे बड़ा हाथ होता हैं बीमारी होने के पीछे। आपको शराब को लम्बे समय पे नुकशान पहुँचती हैं। यह कैंसर जैसी स्थिति पे मरीज को ला सकती हैं। यह बहुत हानिकारक साबित हो सकती हैं। पैंक्रिअटिटिस को ख़तम करना हैं तो आपको शराब को छोड़ना और कम करना आवश्यक हैं। 3) नियमित आहार :- नियमित आहार सेवन एक स्वस्थ जीवन का पहला पहिया हैं। आपको आपने दैनिक जीवन में खाने पर पूरा ध्यान रखना चाहिए। आपको ज्यादा हानि दे वैसा आहार आपको छोड़ना चाहिए। पैंक्रियाटाइटिस में कम स्वाद या घर का स्वस्थ भोजन खाना आपके लिए उपुक्त होगा जिसमे कई विटामिन , कैल्सियम ,आयरन युक्त , ताजा और स्वाद होना आवश्यक होगा।  4) तनाव और चिंता: तनाव को काम करने के लिए आपको रोजाना मस्तस्क की कसरत करनी आवश्यक रहेगी। आपको कोई भी तनाव को छुटकारा पाने के लिए आप को आपने परिवार जनो से सहयता लेनी चाहिए। होमियोपैथी में तनाव या अनिद्रा का उपचार मिल जाता हैं।  5) बॉडी हायड्रेशन :- पैंक्रिअटिटिस की गंभीर स्थिति के पीछे कई बार पैंक्रियास में स्टोन होता हैं। यदि आपको पैंक्रियास में स्टोन या पथरी हैं तो आपको जायदा पानी पीना चाहिए जिससे आपकी बॉडी में पानी की कमी न हो। पैंक्रियास में स्टोन के कारण से आपको कई बीमारी होने का अनुमान हैं। आपको यही ध्यान रखना हैं की रोज कम से कम २.५ लीटर से ज्यादा पानी का सेवन करना हैं।
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uterine fibroids ka bina operation ilaaj
गर्भाशय फाइब्रॉएड किसी भी सर्जरी के बिना ठीक हो सकता है? गैर- सर्जिकल उपचार बीमारी के लक्षणों को खोजके और फाइब्रॉएड के आकार को कम करने में मदद कर सकते हैं। यदि आपको शुरूआत के स्तर का गर्भाशय फाइब्रॉएड हुआ हैं या आप सर्जरी करवाने का सोच रहे हे तो आपको होमियोपैथी इलाज को लेना और डॉक्टर के बताये गए तरीके करना फायदेकारक साबित हो सकता हैं । यदि आप अहमदाबाद में हे तो आप हमारे हॉस्पिटल में आ सकते हैं। डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लेकर आपको ज्यादा मदद मिलेगी। यदि आप कही बहार रहते हे तो आप हमें ऑनलाइन सर्च कर कॉन्टेक्ट कर सकते हैं। हम ऑनलाइन भी दवाई भिजवाते हैं और हम ऑनलाइन मीटिंग भी करवा सकते हे आपके लिए। हमारा होमेओपेथी दवाई से इलाज आपको कोई भी तरीके का नुकशान नहीं पोहचायेगा। क्या आप गर्भाशय फाइब्रॉएड के बारे में जानते हैं? गर्भाशय फाइब्रॉएड मांसपेशी कोशिकाओं और संयोजी ऊतक से बनी वृद्धि होती है जो गर्भाशय की दीवार के भीतर विकसित होती है। वे एकल या एकाधिक हो सकते हैं, तथा गर्भाशय में आकार, आकृति और स्थान में भिन्न हो सकते हैं।गर्भाशय फाइब्रॉएड, जिसे लेयोमायोमास या फाइब्रोमायोमास भी कहा जाता है, गर्भाशय फाइब्रॉएड के लक्षण क्या हैं ? 1) भारी मासिक धर्म रक्तस्राव 2) पैल्विक दर्द या ऐंठन 3) पेट में सूजन 4) जल्दी पेशाब आना 5) यौन पीड़ा Patient Cured Report क्या आपको गर्भाशय फाइब्रॉएड की बीमारी हैं ? क्या करना चाहिए ? 1) डॉक्टर से मिलने का समय निर्धारित करें: यदि आपको भारी मासिक धर्म रक्तस्राव, पैल्विक दर्द या अन्य लक्षण महसूस हो रहे हैं जो गर्भाशय फाइब्रॉएड से संबंधित हो सकते हैं, तो अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से मिलने का समय निर्धारित करें।  2) अपने लक्षणों पर चर्चा करें: अपनी नियुक्ति के दौरान, अपने लक्षणों पर विस्तार से चर्चा करने के लिए तैयार रहें, जिसमें यह शामिल है कि वे कब शुरू हुए, वे कितने समय तक चलते हैं, और कोई भी कारक जो उन्हें ट्रिगर या खराब करता है। 3) निदान प्राप्त करें: आपका स्वास्थ्य सेवा प्रदाता शारीरिक परीक्षण कर सकता है, चिकित्सा इतिहास ले सकता है, और फाइब्रॉएड की उपस्थिति और स्थान की पुष्टि करने के लिए अल्ट्रासाउंड या एमआरआई जैसे इमेजिंग परीक्षण का आदेश दे सकता है।  4) उपचार विकल्पों का पता लगाएं: फाइब्रॉएड के आकार और स्थान के आधार पर, आपका स्वास्थ्य सेवा प्रदाता आपके लक्षणों को प्रबंधित करने और असुविधा को कम करने के लिए दवाओं, सर्जरी या अन्य उपचार विकल्पों की सिफारिश कर सकता है।  5) जीवनशैली में बदलाव पर विचार करें: स्वस्थ वजन बनाए रखने, नियमित रूप से व्यायाम करने और तनाव को प्रबंधित करने जैसे जीवनशैली में बदलाव करने से भी गर्भाशय फाइब्रॉएड से जुड़े लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। गर्भाशय फाइब्रॉएड में महिलाओं को कौन सी सावचेती रखनी चाहिए ? 1) स्वस्थ वजन बनाए रखें: संतुलित आहार और नियमित व्यायाम करने पर ध्यान दे। इससे वजन बढ़ेगा और भारी मासिक धर्म रक्तस्राव कम करने में मदद मिल सकती है।  2) संतुलित आहार लेना : फलों और सब्जी खाना चाहिए जिससे आपको अच्छी शक्ति मिलेगी। अनाज से भरपूर आहार सूजन को कम कर सकता हैं तभी आपको अच्छा निदान प्राप्त होगा।  3) हाइड्रेटेड बॉडी : भरपूर पानी पीने से मूत्र प्रतिधारण और कब्ज जैसी दिक्कते काम होगी और आप अच्छे से जीवन जी पाएंगे।  4) भारी वजन उठाने से बचें: भारी वजन उठाना आपको भरी पद सकता हैं इससे आपको कई बीमारी हो सकती हैं। पैल्विक दर्द और बेचैनी जैसे लक्षण बढ़ सकते हैं। भारी वजन उठाने या झुकने से जायदा से जयादातर बचें और अगर आपको कुछ भारी उठाने की ज़रूरत है तो आप मदद मांग कर काम कर सकते हैं।  5) ज्यादा तनाव को रोके : तनाव चिंता जैसे लक्षणों को बढ़ा सकता है। ध्यान, योग और कसरत से या गहरी साँस लेने से तनाव कम कर सकते हो
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pancreatic calcification ka bina operation ilaaj
शराब पीना कितना हानिकारक होगा ? कैसे क्रोनिक कैल्सीफिकेशन ऑफ़ पैंक्रियाटाइटिस जैसी बीमारी हो सकती हैं ? अत्यधिक और लंबे समय तक शराब का सेवन क्रोनिक अग्नाशयशोथ और अग्नाशयी कैल्सीफिकेशन का प्रमुख कारण है।शराब अग्नाशयी नलिकाओं को नुकसान पहुंचाती है और अग्नाशय को प्रोटीन युक्त तरल पदार्थ का उत्पादन करने के लिए उत्तेजित करती है, जिससे समय के साथ कैल्शिफिकेशन हो जाता है। पुरुषो की शराब पिने की लत से क्रोनिक कैल्सीफिकेशन हो शकता हैं ? अधिकांश दिशानिर्देश शराब कम करने का सुजाव देते हैं .जिसमें अत्यधिक शराब पीने या अत्यधिक खपत को न्यूनतम करने पर ध्यान दिया जाता है। पुरुषों के लिए प्रति सप्ताह कुल 14 ड्रिंक्स, तथा महिलाओं के लिए प्रति सप्ताह 7 ड्रिंक्स से अधिक नहीं।एक मानक अल्कोहल पेय में लगभग 14 ग्राम शुद्ध अल्कोहल होता है,शराब का अत्यधिक सेवन लीवर रोग का कारण बन सकता है. लम्बे समय तक शराब के सेवन से लीवर में सूजन हो सकती है, जिससे एल्कोहॉलिक हेपेटाइटिस हो सकता है । सिरोसिस शराब के कारण होने वाली यकृत क्षति का सबसे गंभीर रूप है। शराब यकृत में सूजन-रोधी और सूजन-रोधी कारकों के बीच संतुलन को बिगाड़ देती है, जिससे दीर्घकालिक सूजन और यकृत कोशिकाओं की मृत्यु हो जाती है। शराब से महिलाओं का लीवर कैसे प्रभावित होता है? अग्नाशयशोथ के क्रोनिक कैल्सीफिकेशन के लिए कौन सा उपचार है? शराब के चयापचय में अंतर के कारण, महिलाएं शराब से संबंधित यकृत रोग के प्रति पुरुषों की तुलना में अधिक संवेदनशील होती हैं, भले ही वे कम मात्रा में शराब पीती हों। महिलाओं के लिए प्रति दिन 1 पेय और पुरुषों के लिए प्रति दिन 2 पेय से अधिक नहीं लेने का सुझाव देते हैं।महिलाओं के शरीर में आमतौर पर पुरुषों की तुलना में पानी का प्रतिशत कम होता है। चूंकि शराब शरीर के पानी में फैलती है, इसका मतलब है कि समान मात्रा में शराब पीने के बाद, महिलाओं में आमतौर पर पुरुषों की तुलना में रक्त में अल्कोहल की मात्रा (BAC) अधिक होती है। यहां तक कि मध्यम मात्रा में शराब का सेवन भी महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है। शराब लीवर के लिए खतरनाक क्यों है? यह अग्नाशयशोथ के क्रोनिक कैल्सीफिकेशन का कारण कैसे बनती है? शराब यकृत के लिए विशेष रूप से खतरनाक है, क्योंकि इसका यकृत के चयापचय, सूजन और कोशिकीय स्वास्थ्य पर जटिल प्रभाव पड़ता है। जब शराब का सेवन किया जाता है, तो लीवर मुख्य रूप से अल्कोहल डिहाइड्रोजनेज (ADH) और एल्डिहाइड डिहाइड्रोजनेज (ALDH) जैसे एंजाइमों का उपयोग करके इसे चयापचय करता है। ये प्रक्रियाएँ शराब को एसीटैल्डिहाइड में बदल देती हैं, जो एक अत्यधिक विषैला यौगिक है। शराब के चयापचय से मुक्त कण उत्पन्न होते हैं, जो ऑक्सीडेटिव तनाव का कारण बनते हैं। यह ऑक्सीडेटिव तनाव यकृत कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और सूजन का कारण बनता है। शराब हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकती है, तथा यकृत की कार्यप्रणाली और वसा चयापचय को नियंत्रित करने वाले हार्मोन के उत्पादन को प्रभावित कर सकती है, जिससे यकृत को क्षति पहुंचती है।
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ovarian cyst kya hota hai in hindi
ओवरिन सिस्ट क्या होता है ?क्या आपको ओवरियन सिस्ट का खतरा हैं ? कैसे पता करेगें ?सर्जरी की जरुरत कब हैं ? ओवरिन सिस्ट क्या होता है ? ओवरिन सिस्ट एक द्रव से भरी थैली होती है जो अंडाशय की सतह पर विकसित होती है, महिला में दो प्रजनन अंगों में से एक है। महिलाओं में ओवेरियन सिस्ट तब होता है जब एक या दोनों अंडाशय पर तरल पदार्थ से भरी थैली विकसित हो जाती है। क्या आपको ओवरियन सिस्ट का खतरा हैं ? कैसे पता करेगें ? यदि महिला को ओवरियन सिस्ट की बीमारी हो और आपको जल्दी ही डॉक्टर को परामर्श करना चाहिए और उसके अनुशार रिपोर्ट्स और हॉस्पिटल की प्रक्रिया सुरु कर देनी चाहिए।  यदि आपके रिपोर्ट्स में ओवेरियन सिस्ट 5 cm x 5 cm साइज की बता रहे हैं तो आपको होमियोपैथी दवाई से जरूर मदद मिल सकती हैं। यदि ओवरियन सिस्ट की साइज ज्यादा हैं तो ठीक होने की सम्भावना 40%, 50%, 60% and 70%. हो सकती हैं।  यदि आपको ओवरियन किस्त होगा तो आपको अचानक पेट के निचले हिस्से या पीठ में तेज़ दर्द होगा और योनि से खून आ सकता हैं। पेट में भरी सूजन होना यह सभी कारण से ग्रसित हो तो आपको जल्द ही जाँच करवा लेनी चाहिए।  ओवरिन सिस्ट के प्रकार क्या हैं? कूपिक सिस्ट:- फॉलिक्यूलर सिस्ट डिम्बग्रंथि सिस्ट का सबसे आम प्रकार है, जो सभी डिम्बग्रंथि सिस्ट का लगभग 75% होता है। वे तरल पदार्थ से भरी थैली होती हैं जो अंडाशय की सतह पर विकसित होती हैं, आमतौर पर मासिक धर्म चक्र के कूपिक चरण के दौरान।  कॉर्पस ल्यूटन सिस्ट: यह प्रकार मासिक धर्म चक्र के ओव्यूलेशन (14-28 दिन) के बाद विकसित होता है। यह द्रव, रक्त या मलबे से भरा हुआ होता हैं। आमतौर पर इसका आकार 2 से 6 सेमी व्यास तक होता है  यदि सिस्ट का उपचार न हो पाया तो पॉलिसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम होने की आशंका होती हैं।  ओवरियन सिस्ट में सर्जरी की जरुरत कब हैं ? जानिए पूरी जानकारी के ओवरियन सिस्ट होने पर आपको सर्जरी कब करवाना और क्यों करवाने की आवश्यक्ता होगी। यदि आप बहुत बड़े साइज के ओवरियन सिस्ट से ग्रसित हैं जैसे की 10 cm x 10 cm और उससे भी ज़्यादा तब आपको सर्जरी के बारे में ध्यान देना चाहिए।  यदि आपको 5 cm x 5 cm तक की ओवरियन सिस्ट की स्थिति हैं तब आपको होमियोपैथी में अच्छा इलाज मिल सकता हैं।
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kidney stones treatment without surgery in homeopathy
कैसे गुर्दे की पथरी (किडनी स्टोन )को सर्जरी के बिना भी मिटाया जा सकता हैं ? KIDNEY STONE TREATMENT-Without Surgery - होमियोपैथी डॉक्टर से दिए गए असरकारक १० उपाय जिससे आप अपनी गुर्दे की पथरी (KIDNEY STONE ) को मिटा सकते हो। - ये सभी उपाय को आजमा सकते हैं और आप हमारी होमियोपैथी मेडिसिन की मदद से भी इसे प्राकृतिक तरीके से जड़ से मिटा सकते हैं। मेने मेरे होमियोपैथी करियर में बड़ी से बड़ी कद की किडनी स्टोन को जड़ से मिटाया हैं। हम यहाँ रिपोर्ट को भी दिखा रहे हैं जिससे आपको अधिक जानकारी का लाभ मिल पाए।  1. बॉडी - हाइड्रेशन सर्जरी के बिना किडनी स्टोन को मिटाने में सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है की पहले आपको खूब पानी पीना चाहिए जिससे आपका सरीर में रक्त जुड़कर स्टोन का निर्माण न कर सके । यह सुनने में बहुत कठिन नहीं लगता हैं ,इसलिए जरुरत जितना हाइड्रेटेड रहना और निरंतर पानी का सेवन करना ही आपका सबसे अच्छा प्रयास हो सकता है। बहुत पानी पीने से लोहि में मिनरल्स पतला हो जाते हैं इसकी वजह से वे सरीर में एक दूसरे से जुड़ कर स्टोन नहीं निर्माण कर पाते । होमियोपैथी के इलाज में डॉक्टर भी यही निर्देश करते हैं की आपको प्रतिदिन और कम से कम 2 या 3 लीटर से जयादा पानी पीना चाहिए । 2. नींबू रस का सेवन - घरेलु उपाय जब आपकी किडनी में स्टोन की बात पता चलती है तो आप नींबू के रस और पानी का अत्यादिक़ सेवन करना चाहिए जिससे इस घरेलु उपाय से आपकी किडनी स्टोन को (गुर्दे की पथरी ) मिटाया जा सकता हैं। नींबू पानी के सेवन से उसमे मौजूद रहे साइट्रिक एसिड कैल्शियम तत्व से स्टोन को कमजोर कर तोड़ने में मदद मिल सकती है। आपको एक गिलास पानी में एक हरा नींबू निचोड़कर उसे प्रतिदिन पीते रहने से आपको किडनी के दर्द से भी रहत मिल सकती हैं । यह एक होमियोपैथी डॉक्टर की दी गयी जानकारी हैं जिसको रिसर्च के आधार पर प्रदान की गई हैं। 3. अनार की गुणवंता अनार का जूस से कई असरकारक फायदे होते है बल्कि इसको तो एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए भी पहचान और माना जाना जाता है। यह किडनी स्टोन की बीमारी में बहुत असरकारक योगदान देता हैं। स्टोन के आकार को कम करने और स्टोन को बनने से रोकने में मदद करता हैं ।आप अपने नियम अनुसार नियमित रूप से अनार के जूस का सेवन कर सकते हैं ।  Kidney Stone Cured Patient Report 4. डंडेलियन रूट टी-अनोखा उपाय आप यह उपाय को भी अपना सकते हैं जिसमे आपको डंडेलियन रूट टी का सेवन करना होगा । यह एक साधारण और मजबूत उपाय रहा हैं , यह आप अक्सर आपके बगीचे में उपद्रव के रूप में देख सकते हो या कई और औषधालय जैसे क्षेत्र में भी देखा हो सकता हैं , गुर्दे की पथरी के इलाज और देखभाल में यह एक मूल्यवान और असरकारक उपाय हो सकता है। यह मूत्रवर्धक के लिए उपयोगी हैं ,यह मूत्र प्रवाह को बढ़ाने के लिए उपयुक्त सामग्री हैं , जिसका सेवन करने से आप शरीर में से छोटे पत्थरों को बाहर निकाल सकते हैं। बस यह ध्यान दीजिये पहले सूखी डंडेलियन रूट टी की जड़ को गर्म या गुनगुने पानी में भिगोएँ बाद में इसको एक एक घूंट लेकर आराम से पिएँ।  5. तुलसी - प्राचीनतम इलाज तुलसी का सेवन करने की सलाह प्राचीन काल से ही दी गयी हैं और सबसे उच्तम औषधि माना जाता था। इसके सेवन करने से बहुत तरह के प्रभावशाली औषधीय गुण प्राप्त होते हैं । माना गया हैं कि यह गुर्दे की पथरी को घोलने और उसके दर्द को कम करने में मदद करती है। आप तुलसी को चबा सकते हैं या तुलसी की चाय बना सकते हैं। इसे प्रतिदिन करने से आपको जल्द ही राहत मिल सकती हैं।  6. ऑक्सालेट से युक्त खाद्य चीज़े खाये :- ऑक्सालेट गुण से युक्त पाए जाने वाले खाद्य पदार्थों के सेवन मात्र से गुर्दे की पथरी का कद मिटाया जा सकता हैं । आप अपने जीवनशैली में पालक,चुकंदर और चॉकलेट जैसे खाद्य पदार्थ जिसमे ऑक्सालेट का उच्च स्तर होता है। इन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से आप किडनी स्टोन को कम कर सकते हो और पथरी की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए एक असरकारक कदम साबित हो सकता है।  7. एप्पल साइडर विनेगर :- एप्पल साइडर विनेगर का उपयोग आप कई स्वास्थ्य से जुडी समस्याओं का इलाज करने के लिए कर सकते हो ,और किडनी स्टोन को जड़ से गायब करने के लिए आप इसको थोड़ी मात्रा में रोजाना इस्तमाल कर सकते हो । ऐसा माना गया हैं की यह पथरी को जड़ से गायब और उसे तोड़ने या बनने से रोकने में मदद कर सकता है। बस आप बताये अनुसार रोजाना एक चम्मच एप्पल साइडर विनेगर को एक गिलास पानी में मिलाएँ और इसे तब तक पिएँ जब तक आपको किडनी स्टोन से छुटकारा ना मिल जाये ।  8. मैग्नीशियम -बेजोड़ खनिज मैग्नीशियम एक मत्वहपूर्ण खनिज है जो कई किडनी स्टोन के निर्माण या उसके कद के निर्माण को रोक सकता है। यदि आपको या आपके परिवार में किसीको किडनी स्टोन हैं तो स्वास्थ्य सेवा प्रदाता इसकी सलाह देता है, की मैग्नीशियम सप्लीमेंट लेना ग़ैरफायदेमंद नहीं हैं और उसके लेने से आपको गंभीर दर्द से छुटकारा मिल सकता है।  9. कम सोडियम वाला आहार सेवन आप अपने किडनी के स्टोन को शरीर से बहार फेकने और उसे घोलने के लिए कम सोडियम वाला आहार या सोडियम मुक्त आहार खाना चालु कर सकते हो। ज्यादा सोडियम वाला खाना आपके किडनी की स्टोन का जोखिम बढ़ा सकता है। नमकीन खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना एक समझदारी भरा विकल्प है। आप कम सोडियम वाला आहार चुनेगे तो आपके स्वास्थय और किडनी के लिए भी अच्छा है।  10. स्टोन के बारे में सक्रिय रहना जब यहाँ किडनी स्टोन को मिटाने की बात होती है तो में एक डॉक्टर के रूप में यह चेतावनी और सूचन देना चाहुँगा जो शारीरिक गतिविधि और आपको सबसे अच्छा इलाज देने में मदद रूप साबित हो सकते हैं । व्यायाम और कसरत आपको स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद कर सकते हैं , और आपके शरीर में पथरी बनने के जोखिम और प्रक्रिया को कम कर सकता है। इसलिए, आपको पहले से ही सुनिश्चित करना चाहता हु की आप किडनी स्टोन को बिना सर्जरी से भी मिटा सकते हैं। यदि आपको मेडिकल ट्रीटमेंट करवाना उचित लगे तो आप हमारे टीम या वेबसाइट पे अपनी रिपोर्ट्स को भेज सकते हो आपको उचित रास्ता दिखाना ही हमारा धर्म और कार्य हैं। इसी तरह बताये गए उपाय से और नियमित रूप से व्यायाम करने से आप अपनी किडनी की स्टोन को जल्द ही गायब कर पाएंगे।
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double marker treatment in homeopathy
डबल मार्कर टेस्ट हिंदी में | गर्भावस्था में डबल मार्कर टेस्ट डबल मार्कर टेस्ट यह पता करने में सहाय करता है कि अजन्मे बच्चे में न्यूरोलॉजिकल असामान्यताएं या मानसिक विकार का खतरा हैं या नहीं। यह डाउन सिंड्रोम या ट्राइसॉमी 21, ट्राइसॉमी 18 और ट्राइसॉमी 13 का पता लगाने का काम करता है, जो बच्चे में मानसिक और शारीरिक चुनौतियों का कारण बन सकते हैं | डबल मार्कर टेस्ट के फायदे क्या हैं ? डबल मार्कर टेस्ट अनिवार्य नहीं है ,हालाकि यह करवाना शिशु के लिए उपयुक्त हैं |  डबल मार्कर टेस्ट करवाने से शिशु को कोई गंभीर अवस्था हो तो तुरन्त इलाज करने में रहत मिलती हैं | शिशु को कोई कमजोरी हो तो उसकी जान की जा सकती हैं।शिशु को कोई अंगदोष हो तो उसका सचोट जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं ।  गर्भावस्था में सहायता: परीक्षण के परिणाम डॉक्टरों को गर्भावस्था को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने, संकेतित जोखिम स्तरों के आधार पर आगे के परीक्षण या निगरानी का मार्गदर्शन करने में सहायता कर सकते हैं। प्रारंभिक चेतावनी: कई माता-पिता के लिए , यह परीक्षण आश्वस्त करता है कि परिणाम सामान्य हैं। यदि कोई असामान्यता पाई जाती है , तो यह गर्भावस्था के शुरुआती दौर में आगे की जांच या उपचार के विकल्प उपलब्ध कराता है। यदि डबल मार्कर टेस्ट पॉजिटिव या नेगेटिव आता है तो क्या होगा ? डबल मार्कर टेस्ट नेगेटिव होने पर बच्चे में क्रोमोसोमल असामान्यताएं होने की संभावना कम है। डबल मार्कर टेस्ट पॉजिटिव होने पर मध्यम या उच्च जोखिम का संकेत मिलता है, निदान की पुष्टि के लिए आगे के परीक्षण, जैसे कि गैर-आक्रामक प्रसवपूर्व परीक्षण की आवश्यकता पड़ सकती है। आम तौर पर डबल मार्कर टेस्ट करवाने के लिए संभवित कारन की पहले जांच करे , यदि शिशु के माता पिता को कोई बीमारी थी या हैं ! तब शिशु की स्वास्थय की पृष्टि करने के लिए यह टेस्ट करवाया जाता हैं !  डबल मार्कर टेस्ट कब होता है? आमतौर पर डबल मार्कर टेस्ट करवाने का संभावित कारण यह जांचना होता है कि बच्चे के माता-पिता को कोई बीमारी तो नहीं थी या है। फिर बच्चे के स्वास्थ्य की पुष्टि के लिए यह टेस्ट किया जाता है। यदि जोखिम स्कोर अधिक है, तो यह डाउन सिंड्रोम या ट्राइसॉमी 18 के बढ़ते जोखिम का संकेत हो सकता है। यदि जोखिम स्कोर कम है, तो यह इन स्थितियों के कम जोखिम का संकेत हो सकता है।
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necrotizing pancreas treatment in hindi
नेक्रोटाइज़िंग पैन्क्रियाटाइटिस क्या है? नेक्रोटाइज़िंग पैन्क्रियाटाइटिस एक प्रकार का तीव्र अग्नाशयशोथ है, जो एक सूजन संबंधी स्थिति है जो अग्न्याशय को प्रभावित करती है। यह तब होता है जब पित्त की पथरी, शराब का सेवन या आनुवंशिक उत्परिवर्तन जैसे विभिन्न कारकों के कारण अग्न्याशय में सूजन आ जाती है। नेक्रोटाइज़िंग कारण और जोखिम कारक: पित्त की पथरी: नेक्रोटाइज़िंग पैन्क्रियाटाइटिस का सबसे आम कारण। शराब का सेवन: बहुत ज़्यादा शराब पीने से अग्न्याशय को नुकसान पहुँच सकता है और नेक्रोटाइज़िंग पैन्क्रियाटाइटिस का जोखिम बढ़ सकता है। आनुवांशिक उत्परिवर्तन: कुछ आनुवंशिक विकार, जैसे कि सिस्टिक फाइब्रोसिस, नेक्रोटाइज़िंग पैन्क्रियाटाइटिस के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। अग्नाशयी विभाजन: एक दुर्लभ जन्मजात विसंगति जिसमें अग्न्याशय ठीक से फ़्यूज़ नहीं हो पाता। अन्य कारण: आघात, संक्रमण, ट्यूमर या ऑटोइम्यून विकार भी नेक्रोटाइज़िंग पैन्क्रियाटाइटिस का कारण बन सकते हैं।  नेक्रोटाइज़िंग लक्षण: गंभीर पेट दर्द: अक्सर गंभीर और लगातार के रूप में वर्णित किया जाता है। पेट में कोमलता: पेट छूने पर कोमल हो सकता है। बुखार: मरीजों को बुखार हो सकता है। उल्टी: मतली और उल्टी आम है। दस्त: छोटी आंत में सूजन और क्षति के कारण दस्त हो सकता है।  नेक्रोटाइज़िंग जटिलताएँ: सेप्सिस: बैक्टीरिया रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं और सेप्सिस का कारण बन सकते हैं, जो जीवन के लिए खतरा है।अग्नाशयी फोड़ा: अग्न्याशय में मवाद की थैली बन सकती है। बहु-अंग विफलता: यह स्थिति गुर्दे, यकृत और फेफड़ों सहित कई अंगों की विफलता का कारण बन सकती है। मृत्यु: नेक्रोटाइज़िंग पैन्क्रियाटाइटिस एक जीवन-धमकाने वाली स्थिति है जो अनुपचारित रहने पर मृत्यु का कारण बन सकती है।  इलाज: सहायक देखभाल: आपको संभवतः अस्पताल में सहायक देखभाल प्राप्त होगी, जिसमें शामिल हैं :- संक्रमण को रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स। दर्द प्रबंधन दवा. पोषण संबंधी सहायता, जैसे संपूर्ण पैरेंट्रल पोषण (टीपीएन)।  गंभीर बीमारी पर अस्पताल में भर्ती: गहन देखभाल इकाई (आईसीयू): आपको करीबी निगरानी और उपचार के लिए आईसीयू में भर्ती किया जा सकता है। ठहरने की अवधि: आपकी स्थिति की गंभीरता के आधार पर आपका अस्पताल में रहना अलग-अलग हो सकता है, लेकिन यह कई दिनों से लेकर कई हफ्तों तक हो सकता है।
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sexual weakness homeopathic in hindi
योन दुर्बलता के कारण क्या हैं ? योन दुर्बलता का इलाज क्या हैं ? यौन दुर्बलता:- यौन दुर्बलता, जिसे स्तंभन दोष या नपुंसकता के रूप में भी जाना जाता है, एक आम स्थिति है जो कई पुरुषों को प्रभावित करती है। होम्योपैथी यौन दुर्बलता के उपचार के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है, जो केवल लक्षणों का उपचार करने के बजाय स्थिति के अंतर्निहित कारणों को संबोधित करने पर ध्यान केंद्रित करती है। यौन कमज़ोरी के मुख्य कारणों को कई कक्षा में वर्गीकृत किया जा सकता है। कुछ सामान्य कारणों निचे दर्शाये गए हैं :- -एथेरोस्क्लेरोसिस -मधुमेह -उच्च रक्तचाप -गुर्दे की बीमारी -लिवर की बीमारी -धूम्रपान  यौन दुर्बलता के शीर्ष कारण :- -उम्र बढ़ना -अंतरंगता की कमी -तनाव और चिंता -हार्मोनल असंतुलन -शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं  होम्योपैथिक उपचार दृष्टिकोण: होमियोपैथी इलाज से सेक्सुएल वीकनेस की परेशानी को दूर किया जाता हैं। होमियोपैथी ट्रीटमेंट से रोगी को कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता हैं। होमियोपैथी को कई इलाज के लिए सर्वश्रेष्ठ मन गया हैं। हम रोगी को संभव इलाज देने में यकीन रखते हैं। इसलिए मरीज के मानसिक और शारीरिक दोनों समस्या का निदान करने में हमारी विशिस्टता ये हैं। स्थानीय अनुप्रयोग: कुछ होम्योपैथिक उपचार स्थानीय रूप से जननांग क्षेत्र पर लागू किए जा सकते हैं, जैसे कि क्रीम या मलहम के रूप में। मौखिक प्रशासन: कई होम्योपैथिक उपचार मौखिक रूप से लिए जाते हैं, या तो गोलियों, कैप्सूल या तरल घोल के रूप में। योन दुर्बलता के जोखिम:- व्यायाम की कमी: एक गतिहीन जीवनशैली ईडी में योगदान दे सकती है। खराब आहार: प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों, चीनी और संतृप्त वसा से भरपूर आहार ईडी में योगदान दे सकता है। अत्यधिक शराब का सेवन: अत्यधिक शराब पीने से रक्त वाहिकाओं को नुकसान हो सकता है और ईडी हो सकता है। रिश्तों से जुड़ी समस्याएं: रिश्तों में संघर्ष या समस्याएं ईडी का कारण बन सकती हैं। आनुवांशिक प्रवृत्ति: कुछ पुरुष अपनी आनुवंशिक संरचना के कारण ईडी के प्रति अधिक प्रवण हो सकते हैं।
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Child swollen feet treatment in homeopathy
बच्चों के पैर में सूजन कैसे कम करें? पेरो में सूजन होना कोई गंभीर समस्या नहीं हैं लेकिन उसे जल्दी ही ठीक करवाने की सलाह हे। में एक होमियोपैथी डॉक्टर हु इसलिए मेरा यही समर्थन हैं की कोई भी बीमारी को जड़ से मिटानी चाहिए | होमियोपैथी में बीमारी को जड़ से मिटाने का प्रयास करते हैं। यदि बचे के पेरो में सूजन हैं तो आप जल्दी ही अपने नजदीकी डॉक्टर को संपर्क करे और तुरंत ही निदान करवाए | होमियोपैथी ट्रीटमेंट से बचे को दर्द से जल्दी ही रहत मिल जाती हैं | बच्चे को टाइम पे दवाई मिलने से कोई खतरा रहता नहीं हैं।  1) पैरों को ऊपर उठाएं: अपने बच्चे को बैठते या लेटते समय अपने पैरों को उसके दिल के स्तर से ऊपर उठाने के लिए प्रोत्साहित करें। यह गुरुत्वाकर्षण को अतिरिक्त तरल पदार्थ को वापस हृदय की ओर ले जाने की अनुमति देकर सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। 2)बर्फ लगाएं: तौलिए में लपेटकर प्रभावित क्षेत्र पर दिन में तीन से चार बार 15-20 मिनट के लिए आइस पैक लगाएं। यह रक्त वाहिकाओं को संकुचित करके और सूजन को कम करके सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।  3)संपीड़न का उपयोग करें: हल्का दबाव डालकर सूजन को कम करने में मदद के लिए संपीड़न स्टॉकिंग्स या पट्टियों का उपयोग करें। हालाँकि, सावधान रहें कि बहुत अधिक दबाव न डालें, क्योंकि इससे और असुविधा हो सकती है। 4) पैरों को ऊपर उठाएं: जब आपका बच्चा लेटा हो या सो रहा हो, तो परिसंचरण को बढ़ावा देने और सूजन को कम करने के लिए तकिए या फोम वेजेज का उपयोग करके उनके पैरों को ऊपर उठाएं।  सूजन उतारने के लिए क्या करें? सूजन से राहात के लिए होमियोपैथी में त्वरित और असरकारक इलाज संभव हैं। हम रोग को जड़ के मिटने का प्रयास करते हैं। होमियोपैथी ट्रीटमेंट के दौरान आपको सरीर का कोई दूसरा रोग होने की कम सम्भावना हैं। हम मरीज के लक्षणों और बीमारी को गहराई से जानने के बाद दवाई और आगे की ट्रीटमेंट सुरु करते हैं।  सूजन को उतारने के लिए कुछ निम्नलिखित उपायों का प्रयोग करें: ऊपरी स्थिति: सूजन वाले हिस्से को ऊपर रखकर प्राणायाम करें या संडास की मदद से पानी का स्रवण करें। ठंडा पैक: ठंडा पैक सूजन वाले हिस्से पर लागू करें और 15-20 मिनट तक रखें। फिर इसे हटा दें और सूजन वाले हिस्से को सुलझा लें। संचलन: सूजन वाले हिस्से में circulation को बेहतर बनाने के लिए गुनगुनी मालिश करें। पानी का स्रवण: पानी का स्रवण करके सूजन वाले हिस्से में fluid retention को कम करें। पैरों की सूजन से तुरंत राहत कैसे मिलती है? पेरो की सूजन से जल्दी राहत पाने के लिए आपको कई तरह के उपाय करने पड़ सकते हैं। यदि आपको सभी उपायों को करने के बाद भी आराम नहीं मिल रहा हैं | तो होमियोपैथी ट्रीटमेंट से आपको राहत मिलने की पूरी सम्भावना हैं |  खुराक और प्रशासन: होम्योपैथिक उपचार लेबल के निर्देशानुसार या किसी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर की सलाह के अनुसार लें। पैकेज के निर्देशों के अनुसार उपाय को पानी में घोलें। तीव्र स्थितियों के लिए, या पुरानी स्थितियों के लिए आवश्यकतानुसार उपाय दिन में तीन बार लें। पैर में सूजन के मुख्य कारण क्या हैं ? फ्लैट पैर: फ्लैट पैर, जिसे गिरे हुए मेहराब के रूप में भी जाना जाता है, पैर की हड्डियों के असामान्य संरेखण के कारण पैरों में सूजन हो सकती है। अत्यधिक उपयोग या अत्यधिक परिश्रम: अत्यधिक दौड़ने, कूदने या खेलने से पैरों में जलन और सूजन हो सकती है। संक्रमण: फोड़े-फुंसी या फंगल संक्रमण जैसे संक्रमणों के कारण पैरों में सूजन हो सकती है। एलर्जी प्रतिक्रियाएं: कीड़े के काटने, डंक या अन्य पदार्थों से एलर्जी की प्रतिक्रिया से पैरों में सूजन हो सकती है। गर्मी या धूप में रहना: गर्म या धूप वाले मौसम में बहुत अधिक समय बिताने से गर्मी की थकावट या हीट स्ट्रोक के कारण पैरों में सूजन हो सकती है। होम्योपैथिक उपचार प्रोटोकॉल:- ‣ किसी लाइसेंस प्राप्त होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श लें जिसके पास एलर्जी के इलाज का अनुभव हो। ‣ अपने लक्षणों, चिकित्सा इतिहास और जीवनशैली सहित विस्तृत केस इतिहास प्रदान करें। ‣ एक अनुकूलित होम्योपैथिक नुस्खा प्राप्त करें जिसमें उपर्युक्त उपचारों में से एक या अधिक शामिल हों। ‣ अनुशंसित खुराक अनुसूची के अनुसार निर्धारित उपाय लें। ‣ नियमित रूप से अपने लक्षणों की निगरानी करें और अपनी उपचार योजना को आवश्यकतानुसार समायोजित करें। आपकी विशिष्ट स्थिति और आवश्यकताओं के लिए सर्वोत्तम उपचार योजना निर्धारित करने के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना आवश्यक है। वे आपको एक वैयक्तिकृत उपचार योजना विकसित करने में मदद करेंगे जो आपके चिकित्सा इतिहास, लक्षणों और जीवनशैली को ध्यान में रखेगी।
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pancreatitis disease treatment in hindi
पैन्क्रियाटाइटिस बीमारी हिंदी में |Pancreatitis disease in hindi पैन्क्रियाटाइटिस किसे कहते हैं ? पैंक्रियाटाइटिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें पेट में स्थित अंग अग्नाशय में सूजन या जलन हो जाती है। अग्नाशय पाचन और ग्लूकोज विनियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और जब इसमें सूजन होती है, तो यह काफी दर्द, परेशानी और यहां तक कि जानलेवा जटिलताएं भी पैदा कर सकता है। पैंक्रियाटाइटिस के दो मुख्य प्रकार हैं: तीव्र पैंक्रियाटाइटिस जो अचानक और गंभीर सूजन है जिसके लिए अक्सर अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है, और क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस जो एक दीर्घकालिक स्थिति है जो स्थायी क्षति और निशान पैदा कर सकती है।  बेस्ट पैंक्रियास ट्रीटमेंट इन अहमदाबाद क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस (Chronic Pancreatitis hindi) :- क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस के लक्षण: • तीक्ष्णता। • हरकत संबंधी बीमारी। • मल त्याग में ढीलापन। • सूजन और पेट में दर्द। • नाड़ी की तेज़ गति।  क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस कारण: • पित्ताशय की पथरी। • थोड़े समय के लिए शराब का सेवन। • आकस्मिक अग्नाशय की चोट। • संदूषण। • घर्षण।  क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस इलाज हिंदी में |Pancreatitis Treatment In Hindi • यदि आप एलकोहॉल की जयादा सेवन से क्रोनिक पैंक्रिअटिटिस के रोग से ग्रसित हैं तो आपको होमियोपैथी डॉक्टर से परामर्श करके ट्रीटमेंट करानी चाहिए | ताकि जल्दी से जल्दी आपको बीमारी से छुटकारा मिले | होमियोपैथी ये सुनिश्चित करता हैं की वह बीमारी को बिना सर्जरी के भी मिटा सकते हैं | उसके लिए होमियोपैथी में रिसर्च बेस्ड दवाइया हैं और उसकी कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं पाई गयी हैं | पेशेंट को एक्यूट या क्रोनिक जैसी बीमारी के कारन कोई गंभीर समस्या हैं तो उसको ठीक करने में समय की मर्यादा का सामना करना पड़ सकता हैं ,पर यक़ीनन इस बीमारी से आराम मिल सकता हैं |  क्या पैंक्रियाज का इलाज संभव है ? • हा , पैंक्रियास का होमियोपैथी में इलाज संभव हैं | होमियोपैथी में बीमारी के लक्षण और कारन को निरिक्षण करने के बाद रोगी को सही ट्रीटमेंट दी जाती हैं | यदि आपको पैंक्रियास की बीमारी हैं और इसका बहुत जगह इलाज करवाने के बाद भी उसका सही उपचार नहीं मिल रहा तो आपको होमियोपैथी इलाज करवाना उपयुक्त विचार हैं |  क्या पैन्क्रियाटाइटिस का बिना सर्जरी इलाज कर सकते हैं ? हां, पैन्क्रियाटाइटिस का अक्सर सर्जरी के बिना इलाज किया जा सकता है। वास्तव में, पैन्क्रियाटाइटिस के कई मामलों को दवा, जीवनशैली में बदलाव और सहायक देखभाल के साथ रूढ़िवादी तरीके से प्रबंधित किया जा सकता है। सर्जरी के साथ आगे बढ़ने का निर्णय पैन्क्रियाटाइटिस की गंभीरता, जटिलताओं की उपस्थिति और व्यक्तिगत रोगी की स्थिति पर निर्भर करता है।
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