Already register click here to Login

Dont have account click here for Register

Thank You
Ok

Videos

Avatar
pancreatitis stones treatment in homeopathy
अग्न्याशय की पथरी को कैसे ठीक कर सकते हैं ? | होमियोपैथी में पैंक्रिअटिक स्टोन का इलाज संभव | ट्रीटमेंट से स्टोन को गायब किया अग्न्याशय की पथरी, जिसे अग्नाशयी पथरी भी कहा जाता है, छोटे, कठोर जमा होते हैं जो कैल्शियम और अन्य खनिजों के निर्माण के कारण अग्न्याशय में बनते हैं। हालांकि वे अपेक्षाकृत दुर्लभ हैं, लेकिन अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो वे महत्वपूर्ण असुविधा और जटिलताएं पैदा कर सकते हैं। घरेलू उपचार: ‣ हाइड्रेटेड रहें: पत्थरों को बाहर निकालने और आगे की जटिलताओं के जोखिम को कम करने में मदद करने के लिए खूब पानी पिएं। ‣ फाइबर का सेवन बढ़ाएँ: मल त्याग को नियंत्रित करने और कब्ज को रोकने में मदद करने के लिए फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज जैसे फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ खाएँ। ‣ ट्रिगर से बचें: ऐसे खाद्य पदार्थों की पहचान करें और उनसे बचें जो लक्षणों को ट्रिगर कर सकते हैं, जैसे कि वसायुक्त या मसालेदार भोजन। ‣ कम वसा वाला आहार आज़माएँ: कम वसा वाला आहार लक्षणों को कम करने और नए पत्थरों के विकास को धीमा करने में मदद कर सकता है।  आहार में बदलाव: वसायुक्त या मसालेदार भोजन से बचें: ऐसे खाद्य पदार्थों से बचना जो लक्षणों को ट्रिगर कर सकते हैं, असुविधा को कम करने और आगे की जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड बढ़ाएँ: सैल्मन या अलसी जैसे खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले ओमेगा-3 फैटी एसिड सूजन को कम करने और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। पित्ताशय की थैली के अनुकूल आहार आज़माएँ: कम वसा और अधिक फाइबर वाला आहार लक्षणों को कम करने और नए पत्थरों के विकास को धीमा करने में मदद कर सकता है। अग्नाशय की पथरी को कैसे घोलें? हां होम्योपैथी में अग्नाशयशोथ पथरी का इलाज संभव है | होम्योपैथी वैकल्पिक चिकित्सा की एक प्रणाली है जिसका उद्देश्य रोगियों का उपचार अत्यधिक पतला पदार्थों से करना है, जो प्रायः छोटी गोलियों या बूंदों के रूप में होते हैं। जटिलताएँ: अग्नाशय की पथरी कई जटिलताएँ पैदा कर सकती है, जिनमें शामिल हैं: ‣ अग्नाशयशोथ: अग्न्याशय की सूजन जिससे पेट में दर्द, मतली और उल्टी हो सकती है। ‣ पित्त नली में रुकावट: पित्त नलिकाओं में रुकावट जिससे पीलिया और पेट में दर्द हो सकता है। ‣ अग्नाशयी स्यूडोसिस्ट: तरल पदार्थ से भरी थैलियाँ जो अग्न्याशय में बन सकती हैं और पेट में दर्द और बेचैनी पैदा कर सकती हैं। ‣ संक्रमण: अग्न्याशय या पित्त नलिकाओं में जीवाणु संक्रमण जो शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है।  अग्नाशयी पथरी के लक्षण :- ‣ पेट में दर्द: पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द जो पीठ या छाती तक फैल सकता है।  ‣ मतली और उल्टी: पेट में दर्द और उल्टी महसूस होना, जो अग्नाशयी नलिकाओं की सूजन या रुकावट के कारण हो सकता है। ‣ पेट में कोमलता: पेट छूने पर कोमल हो सकता है, खासकर ऊपरी दाएँ चतुर्थांश में। ‣ थकान: सूजन या संक्रमण के कारण थकावट और कमज़ोरी महसूस होना। ‣ बुखार: कुछ मामलों में हल्का बुखार हो सकता है। क्या अग्नाशय की पथरी दूर हो सकती है ? हां, कुछ मामलों में अग्नाशय की पथरी अपने आप ठीक हो सकती है या ठीक हो सकती है। हालांकि, यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि अग्नाशय की पथरी का उपचार और प्रबंधन पत्थरों के आकार, संख्या और स्थान पर निर्भर करता है।  सामान्य स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए होम्योपैथिक उपचार : अग्नाशय की पथरी के लिए होम्योपैथिक उपचार: ‣ कैल्केरिया कार्बोनिका: इस उपाय का उपयोग अक्सर अग्नाशय की पथरी से जुड़े पेट दर्द, सूजन और गैस जैसे लक्षणों के इलाज के लिए किया जाता है। ‣ सिलिसिया: इस उपाय का उपयोग कभी-कभी अग्नाशय की पथरी से जुड़े पेट दर्द, दस्त और मूड स्विंग जैसे लक्षणों के इलाज के लिए किया जाता है। ‣ ग्रेफाइट्स: इस उपाय का उपयोग अक्सर अग्नाशय की पथरी से जुड़े पेट दर्द, सूजन और कब्ज जैसे लक्षणों के इलाज के लिए किया जाता है।
Avatar
chronic pancreatitis or amlyase lipase treatment
क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस का मुख्य कारण क्या है? • शराब का दुरुपयोग: अत्यधिक शराब का सेवन क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है, जो लगभग 70-80% मामलों के लिए जिम्मेदार है। बहुत ज़्यादा शराब पीने से पैन्क्रियास को नुकसान पहुँच सकता है और क्रॉनिक सूजन और फाइब्रोसिस हो सकता है। • आनुवांशिक उत्परिवर्तन: कुछ आनुवंशिक उत्परिवर्तन, जैसे कि CFTR जीन में उत्परिवर्तन, क्रॉनिक पैन्क्रियाटाइटिस के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।  • सिस्टिक फाइब्रोसिस: सिस्टिक फाइब्रोसिस एक आनुवंशिक विकार है जो पैन्क्रियास में गाढ़े, चिपचिपे बलगम के जमा होने के कारण क्रॉनिक पैन्क्रियाटाइटिस का कारण बन सकता है। • अग्नाशयी नलिका अवरोध: अग्नाशयी नलिकाओं में रुकावट, जैसे कि अग्नाशयी पत्थरों या ट्यूमर के कारण, क्रॉनिक पैन्क्रियाटाइटिस का कारण बन सकती है।  • स्वप्रतिरक्षी विकार: कुछ ऑटोइम्यून विकार, जैसे कि टाइप 1 मधुमेह, रुमेटीइड गठिया और ल्यूपस, क्रॉनिक पैन्क्रियाटाइटिस के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। • आघात: पेट पर गंभीर आघात, जैसे कार दुर्घटना या गिरना, अग्न्याशय को नुकसान पहुँचाकर क्रोनिक अग्नाशयशोथ का कारण बन सकता है। • आईट्रोजेनिक कारण: सर्जरी या विकिरण चिकित्सा जैसी कुछ चिकित्सा प्रक्रियाएँ क्रोनिक अग्नाशयशोथ का कारण बन सकती हैं।  • आवर्तक तीव्र अग्नाशयशोथ: तीव्र अग्नाशयशोथ के आवर्तक प्रकरण क्रोनिक अग्नाशयशोथ के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। अग्न्याशय में सूजन आ जाती है तो क्या होता है? सूजन: अग्न्याशय में सूजन हो जाती है, जिससे दर्द, सूजन और आस-पास के ऊतकों को नुकसान हो सकता है। एंजाइम रिसाव: सूजन वाला अग्न्याशय रक्तप्रवाह में पाचन एंजाइम छोड़ सकता है, जिससे गुर्दे, यकृत और फेफड़े जैसे अन्य अंगों को नुकसान हो सकता है। पित्त नली में रुकावट: सूजन पित्त नलिकाओं में रुकावट पैदा कर सकती है, जिससे पीलिया (त्वचा और आँखों का पीला पड़ना) और अन्य लक्षण हो सकते हैं। द्रव संचय: उदर गुहा में द्रव जमा हो सकता है, जिससे जलोदर (उदर गुहा में द्रव का निर्माण) हो सकता है। अंग क्षति: सूजन और एंजाइम रिसाव गुर्दे, यकृत और फेफड़ों सहित अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस: फाइब्रोसिस: अग्न्याशय में घाव हो जाता है और यह फाइब्रोटिक हो जाता है, जिससे स्थायी क्षति होती है और अग्न्याशय का कार्य कम हो जाता है। अग्नाशयी नलिका अवरोध: क्रोनिक सूजन अग्न्याशयी नलिकाओं में रुकावट पैदा कर सकती है, जिससे और अधिक क्षति और घाव हो सकते हैं। सिस्ट और स्यूडोसिस्ट: क्रोनिक सूजन अग्न्याशय में सिस्ट और स्यूडोसिस्ट के गठन का कारण बन सकती है। कुपोषण: क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस पोषक तत्वों के कुपोषण का कारण बन सकता है, जिससे दस्त, वजन कम होना और थकान जैसे लक्षण हो सकते हैं। यदि आपको तीव्र या जीर्ण अग्नाशयशोथ के लक्षण महसूस होते हैं, तो चिकित्सा सहायता लेना आवश्यक है। प्रारंभिक निदान और उपचार लक्षणों को प्रबंधित करने और जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकता है।  होम्योपैथी में क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस का उपचार :- आहार में बदलाव: कम वसा वाला आहार, फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लक्षणों को नियंत्रित करने और बीमारी की प्रगति को धीमा करने में मदद कर सकता है।  ट्रिगर से बचना: शराब का अत्यधिक सेवन, धूम्रपान और कुछ दवाओं जैसे ट्रिगर से बचना लक्षणों को कम करने और बीमारी की प्रगति को धीमा करने में मदद कर सकता है।  तनाव प्रबंधन: ध्यान और गहरी साँस लेने जैसी तनाव प्रबंधन तकनीकें लक्षणों को कम करने और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं। सावधानियाँ: किसी योग्य होम्योपैथ से सलाह लें: क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस एक गंभीर स्थिति है जिसके लिए पेशेवर ध्यान की आवश्यकता होती है। किसी योग्य होम्योपैथ से सलाह लें, जिसे क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस के उपचार का अनुभव हो। संयुक्त चिकित्सा: होम्योपैथ इष्टतम परिणाम प्राप्त करने के लिए पारंपरिक उपचारों के साथ होम्योपैथिक उपचारों को जोड़ सकते हैं।  प्रगति की निगरानी: आवश्यकतानुसार उपचार को समायोजित करने के लिए प्रगति की नियमित निगरानी आवश्यक है।
Avatar
kya pcod ko puri tarah thik kiya ja sakta hai
क्या पीसीओडी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है? पीसीओएस को जड़ से ठीक करने में मदद के लिए यहां कुछ कदम दिए गए हैं: हार्मोनल असंतुलन और पोषण संबंधी कमियों का प्रबंधन • थायरॉयड डिसफंक्शन और एड्रेनल थकान जैसे हार्मोनल असंतुलन की पहचान करें और उनका समाधान करें। • विटामिन डी, ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट जैसे आवश्यक पोषक तत्वों का पर्याप्त सेवन सुनिश्चित करें। • कीटनाशकों, भारी धातुओं और बीपीए जैसे पर्यावरण विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से बचें।  जीवनशैली में बदलाव लागू करना • पत्तेदार साग, जामुन, वसायुक्त मछली, मेवे और बीज, साबुत अनाज, फलियां जैसे संपूर्ण, पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों पर ध्यान दें।  • नियमित रूप से कम से कम 30 मिनट मध्यम-तीव्रता वाला व्यायाम करें।  • योग, ध्यान, गहरी साँस लेने के व्यायाम जैसी तनाव कम करने वाली तकनीकों का अभ्यास करें। • नींद और विश्राम तकनीकों को प्राथमिकता दें।  प्राकृतिक सप्लीमेंट और उपचार का उपयोग करना • ओमेगा-3 फैटी एसिड हृदय स्वास्थ्य का समर्थन करते हैं और सूजन को कम करते हैं। • प्रोबायोटिक्स आंत के स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं और पाचन में सुधार करते हैं।  • विटामिन डी प्रतिरक्षा कार्य और समग्र स्वास्थ्य का समर्थन करता है।  • हल्दी/कर्क्यूमिन सूजन को कम करता है • जिम्नेमा सिल्वेस्ट्रे रक्त शर्करा विनियमन का समर्थन करता है।  हार्मोनल थेरेपी पर विचार • हार्मोनल असंतुलन को दूर करने के लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) आवश्यक हो सकती है। • मेटफ़ॉर्मिन संवेदनशीलता में सुधार कर सकता है और टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को कम कर सकता है।  प्रगति की निगरानी और उपचार को समायोजित करना • स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के साथ नियमित जांच का समय निर्धारित करें।  • उपचार योजना को अनुकूलित करने के लिए जीवनशैली समायोजन के लिए तैयार रहें।  क्या पीसीओडी से पीड़ित लड़की गर्भवती हो सकती है? हाँ! होम्योपैथी में, पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं को गर्भवती होने में संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है, लक्षणों को नियंत्रित करके और सावधानी के साथ सही उपचार प्राप्त करके वे स्थिति में सुधार कर सकती हैं और सफलतापूर्वक गर्भधारण कर सकती हैं।  पीसीओडी/पीसीओएस से क्या क्या प्रॉब्लम होती है? पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) और इससे जुड़ी समस्याएं: पीसीओएस एक जटिल हार्मोनल विकार है जो कई तरह की समस्याओं का कारण बन सकता है, जिनमें शामिल हैं:  प्रजनन संबंधी समस्याएं: • बांझपन: पीसीओएस के कारण अनियमित ओव्यूलेशन, अंडाशय पर सिस्ट और हार्मोनल असंतुलन के कारण गर्भवती होना मुश्किल हो सकता है।  • अनियमित मासिक धर्म चक्र: पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को अनियमित या अनुपस्थित मासिक धर्म का अनुभव हो सकता है, जिससे गर्भावस्था की योजना बनाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। • पॉलीसिस्टिक अंडाशय: अंडाशय पर कई सिस्ट की उपस्थिति दर्द, बांझपन और अन्य प्रजनन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकती है।  शारीरिक लक्षण: • वजन बढ़ना और मोटापा: हार्मोनल असंतुलन के कारण पीसीओएस वजन बढ़ने और मोटापे का कारण बन सकता है। • मुंहासे: हार्मोनल असंतुलन कारण मुंहासे हो सकते हैं, खासकर चेहरे, छाती और पीठ पर। • त्वचा के काले धब्बे: हार्मोनल असंतुलन के कारण गर्दन, बगल, कोहनी, घुटनों और पोर पर त्वचा के काले धब्बे।  होम्योपैथी में पीसीओडी का सबसे अच्छा इलाज? होम्योपैथी में पीसीओडी का सबसे आसानी से इलाज किया जाता है, होम्योपैथिक दवा का इस्तेमाल करने से कोई नुकसान नहीं होता है, और समस्या जड़ से खत्म हो जाती है। पीसीओडी को जड़ से मिटाया जा सकता है ? ब्रह्म शोध-आधारित, चिकित्सकीय रूप से सिद्ध, वैज्ञानिक उपचार मॉड्यूल इस बीमारी को ठीक करने में बहुत प्रभावी है। हमारी टीम में पर्याप्त रूप से योग्य डॉक्टरों का एक समूह शामिल है जो आपके मामले का अनुसरण करेंगे, बीमारी की उचित प्रगति के साथ हर संकेत और लक्षण को रिकॉर्ड पर रखेंगे, इसकी प्रगति, रोग का निदान और जटिलताओं के चरणों को समझेंगे।
Avatar
pcod ko kaise thik kare
पीसीओडी को केसे ठीक करें? | क्या पीसीओडी में गर्भावस्था संभव है? | पीसीओडी का इलाज क्या है? पीसीओडी ( पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज ) एक हार्मोनल विकार है जो प्रजनन आयु की 5-10% महिलाओं को प्रभावित करता है। इसकी विशेषता है: अनियमित मासिक धर्म अंडाशय पर सिस्ट शरीर में एंड्रोजन (पुरुष हार्मोन) का उच्च स्तर पीसीओडी एक ऐसा शब्द है जिसे अक्सर पीसीओएस के साथ परस्पर उपयोग किया जाता है, लेकिन यह वास्तव में एक अधिक विशिष्ट शब्द है जो अंडाशय पर सिस्ट के साथ पॉलीसिस्टिक अंडाशय की उपस्थिति को संदर्भित करता है। पीसीओडी एक अलग चिकित्सा स्थिति नहीं है, बल्कि पीसीओएस वाली महिलाओं का एक उपसमूह है। पीसीओएस/पीसीओडी के कारण: 1) आनुवांशिकी: पीसीओएस/पीसीओडी में एक मजबूत आनुवंशिक घटक होता है, और यदि आपके परिवार में किसी एक महिला को यह स्थिति है, तो आपको इसके विकसित होने की अधिक संभावना हो सकती है। 2) हार्मोनल असंतुलन: हार्मोनल असंतुलन, विशेष रूप से एंड्रोजन (पुरुष हार्मोन) और पीसीओएस/पीसीओडी के विकास में योगदान कर सकते हैं।3) वजन बढ़ना: वजन बढ़ना और मोटापा पीसीओएस/पीसीओडी के विकास के जोखिम को बढ़ा सकता है।4) पर्यावरणीय कारक: कुछ पर्यावरणीय कारकों, जैसे अंतःस्रावी-विघटनकारी रसायनों के संपर्क में आना भी पीसीओएस/पीसीओडी के विकास में योगदान कर सकता है।5) जीवनशैली कारक: एक गतिहीन जीवन शैली, खराब आहार और तनाव भी पीसीओएस/पीसीओडी के विकास में योगदान कर सकते हैं। पीसीओडी (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज) लक्षण: शारीरिक लक्षण: 1) अनियमित मासिक धर्म: मासिक धर्म का कम या लंबे समय तक आना, या बिल्कुल भी मासिक धर्म न आना। 2) मुहांसे: हार्मोनल असंतुलन के कारण चेहरे, छाती और पीठ पर मुंहासे।  3) हिर्सुटिज्म: चेहरे, छाती, पीठ और नितंबों पर अत्यधिक बाल उगना।  4) पुरुष पैटर्न गंजापन: सिर पर बालों का झड़ना या पतला होना। 5) सिस्ट: अंडाशय पर दिखने वाले सिस्ट जिन्हें अल्ट्रासाउंड के ज़रिए पहचाना जा सकता है।  पीसीओडी को होम्योपैथी से जड़ से मिटाया जा सकता है |  ब्रह्म शोध-आधारित, चिकित्सकीय रूप से सिद्ध, वैज्ञानिक उपचार मॉड्यूल इस बीमारी को ठीक करने में बहुत प्रभावी है। हमारी टीम में पर्याप्त रूप से योग्य डॉक्टरों का एक समूह शामिल है जो आपके मामले का अनुसरण करेंगे, बीमारी की उचित प्रगति के साथ हर संकेत और लक्षण को रिकॉर्ड पर रखेंगे, इसकी प्रगति, रोग का निदान और जटिलताओं के चरणों को समझेंगे। वे आपको बीमारी के बारे में स्पष्ट रूप से समझाते हैं, और फिर वे आपको उचित आहार चार्ट, व्यायाम योजना, जीवनशैली योजना, कई अन्य कारकों के बारे में मार्गदर्शन देते हैं जिसके माध्यम से आप होम्योपैथिक दवाओं के साथ अपनी बीमारी के व्यवस्थित प्रबंधन द्वारा अपनी सामान्य स्वास्थ्य स्थिति में सुधार कर सकते हैं जब तक कि यह ठीक न हो जाए।
Avatar
ulcerative colitis treatment in homeopathy
क्या अल्सरेटिव कोलाइटिस ठीक हो सकता है? • होम्योपैथी उपचार से प्रकोप की संख्या को कम करने तथा उन्हें कम गंभीर बनाने में मदद मिल सकती है। अल्सरेटिव कोलाइटिस का सबसे अच्छा इलाज क्या है? • होम्योपैथी अल्सरेटिव कोलाइटिस (यूसी) के इलाज के लिए एक सौम्य और प्राकृतिक तरीका है। • होम्योपैथी लक्षणों को कम करने, जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने और जटिलताओं के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है।  अल्सरेटिव कोलाइटिस के लिए होम्योपैथिक उपचार दृष्टिकोण: • संवैधानिक उपचार: इस दृष्टिकोण में व्यक्ति की शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए उसका संपूर्ण उपचार किया जाता है। • लक्षणात्मक उपचार: यह दृष्टिकोण पेट दर्द, दस्त या कब्ज जैसे विशिष्ट लक्षणों को कम करने पर केंद्रित है। • पाचन उपचार: नक्स वोमिका और लाइकोपोडियम जैसे होम्योपैथिक उपचार पाचन संबंधी समस्याओं को शांत करने और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। • सूजन-रोधी उपचार: मर्क्यूरियस सोलुबिलिस जैसे होम्योपैथिक उपचार सूजन को कम करने और पेट दर्द जैसे लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। अल्सरेटिव कोलाइटिस के लिए होम्योपैथिक चिकित्सक कैसे खोजें : • ऑनलाइन निर्देशिकाएँ देखें: नेशनल सेंटर फॉर होम्योपैथी या काउंसिल फॉर होम्योपैथिक सर्टिफिकेशन जैसी ऑनलाइन निर्देशिकाएँ देखें। • रेफ़रल के लिए पूछें: होम्योपैथी के साथ अनुभव रखने वाले दोस्तों, परिवार के सदस्यों या स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से सिफ़ारिशें माँगें। • साख की जाँच करें: सुनिश्चित करें कि चिकित्सक के पास आपके राज्य या देश में होम्योपैथी का अभ्यास करने का वैध लाइसेंस है। • प्रारंभिक परामर्श का समय निर्धारित करें: उपचार शुरू करने से पहले, अपने लक्षणों, चिकित्सा इतिहास और उपचार लक्ष्यों पर चर्चा करने के लिए प्रारंभिक परामर्श का समय निर्धारित करें। सफलता दर: • अध्ययनों से पता चला है कि होम्योपैथिक उपचार यूसी से पीड़ित व्यक्तियों के लक्षणों को कम करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में प्रभावी हो सकता है। जर्नल ऑफ क्लिनिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि होम्योपैथिक उपचार के परिणामस्वरूप यूसी से पीड़ित रोगियों के लक्षणों में उल्लेखनीय कमी आई और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ। ब्रह्म होम्योपैथिक हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर की प्रबंधन योजना:- ब्रह्म द्वारा विज्ञान-आधारित, चिकित्सकीय रूप से सिद्ध, वैज्ञानिक उपचार मॉड्यूल बीमारी के लिए प्रभावी है। हमारे पास ऐसे डॉक्टर हैं जो आपके मामले को व्यवस्थित तरीके से देखेंगे और उसका विश्लेषण करेंगे: सभी संकेत और लक्षण, बीमारी की प्रगति, प्रगति के चरण, रोग का निदान और इसकी जटिलताओं को रिकॉर्ड किया जाता है। फिर, विस्तार से, वे बीमारी का वर्णन करते हैं, एक उचित आहार चार्ट, एक व्यायाम योजना, एक जीवन योजना प्रदान करते हैं, और होम्योपैथिक दवाओं द्वारा आपकी बीमारी के व्यवस्थित प्रबंधन के साथ सामान्य स्वास्थ्य स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कई और कारकों पर मार्गदर्शन करते हैं जब तक कि आप ठीक नहीं हो जाते।
Avatar
CA 19 9 ka sahi upchar kya hai?
CA 19.9 का सही उपचार क्या है? होम्योपैथी का उपयोग करके CA 19-9 के स्तर को कम करने के लिए, इन चरणों का पालन करें: • लाइसेंस प्राप्त होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श करें: कोई भी होम्योपैथिक उपचार शुरू करने से पहले, लाइसेंस प्राप्त होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है जो आपको एक व्यक्तिगत उपचार योजना बनाने में मदद कर सकता है। • सही उपाय चुनें: आपके व्यक्तिगत लक्षणों और ज़रूरतों के आधार पर, आपका चिकित्सक उचित उपाय सुझाएगा। • खुराक के निर्देशों का पालन करें: निर्दिष्ट आवृत्ति पर उपाय की अनुशंसित खुराक लें (उदाहरण के लिए, दिन में तीन बार)। • अपने लक्षणों की निगरानी करें: अपने लक्षणों और उपचार के दौरान आपके द्वारा अनुभव किए जाने वाले किसी भी बदलाव पर नज़र रखें। • आवश्यकतानुसार उपचार योजना को समायोजित करें: यदि उपचार के दौरान आपके लक्षण बेहतर नहीं होते हैं या बिगड़ जाते हैं, तो आपका चिकित्सक उपचार योजना को समायोजित कर सकता है या कोई अलग उपाय सुझा सकता है।  बढे हुए CA 19.9 को कैसे कम करे ? जीवनशैली में बदलाव: 1) आहार: फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर संतुलित आहार खाने से सूजन कम करने और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है। 2) व्यायाम: नियमित व्यायाम, जैसे कि चलना या योग, तनाव को कम करने और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। 3) नींद: पर्याप्त नींद (7-8 घंटे) लेने से तनाव हार्मोन को नियंत्रित करने और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है। 4) तनाव प्रबंधन: ध्यान या गहरी साँस लेने जैसी तनाव कम करने वाली तकनीकों का अभ्यास करने से तनाव कम करने और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।  बढ़े हुए CA 19-9 के स्तरों के कारण: 1) बढ़े हुए CA 19-9 स्तर विभिन्न चिकित्सा स्थितियों का संकेत हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:  2) अग्नाशय कैंसर: CA 19-9 एक ट्यूमर मार्कर है जो अक्सर अग्नाशय कैंसर वाले रोगियों में बढ़ जाता है, विशेष रूप से अग्नाशय वाहिनी एडेनोकार्सिनोमा वाले रोगियों में।  3) कोलेंजियोकार्सिनोमा: CA 19-9 कोलेंजियोकार्सिनोमा वाले रोगियों में भी बढ़ जाता है, जो एक प्रकार का यकृत कैंसर है जो पित्त नलिकाओं में उत्पन्न होता है। 4) गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर: बढ़े हुए CA 19-9 स्तर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर, जैसे कोलन कैंसर, गैस्ट्रिक कैंसर और एसोफैगल कैंसर वाले रोगियों में देखे जा सकते हैं। 5) सूजन आंत्र रोग: सूजन आंत्र रोग (IBD) वाले रोगी, जैसे क्रोहन रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस, पुरानी सूजन और ऊतक क्षति के कारण CA 19-9 के स्तर को बढ़ा सकते हैं।  6) अग्नाशयशोथ: तीव्र या जीर्ण अग्नाशयशोथ अग्नाशयी ऊतक क्षति और सूजन के कारण CA 19-9 के स्तर को बढ़ा सकता है। जीर्ण यकृत रोग: सिरोसिस जैसे जीर्ण यकृत रोग वाले रोगियों में यकृत क्षति और घाव के कारण CA 19-9 का स्तर बढ़ सकता है।  7) जीवाणु संक्रमण: ई. कोलाई और क्लेबसिएला न्यूमोनिया जैसे कुछ जीवाणु संक्रमण, प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करने वाले एंटीजन के उत्पादन के कारण CA 19-9 के स्तर को बढ़ा सकते हैं।  8) क्षय रोग: सक्रिय तपेदिक वाले रोगियों में माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस एंटीजन की उपस्थिति के कारण CA 19-9 का स्तर बढ़ सकता है।
Avatar
best liver cirrhosis treatment in homeopathy
लिवर सिरोसिस:-उपचार, चरण, लक्षण लिवर सिरोसिस की पहचान क्या है? पाठ में शरीर में फाइब्रोमायल्गिया के लक्षणों का वर्णन किया गया है, जिसमें दर्द, सूजन और भूख की कमी, साथ ही सर्दी या फ्लू के लक्षण भी शामिल हैं। "यकृत शरीर के लिए क्या कर सकता है?" - यकृत, शरीर का सबसे बड़ा अंग, जहर को साफ करने, स्वस्थ रक्त शर्करा के स्तर का समर्थन करने और रक्त के थक्के को नियंत्रित करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करता है। • पेट और आंतों से निकलने वाले रक्त को संसाधित करता है। • टूटता है, संतुलित होता है, और पोषक तत्व बनाता है। • दवाओं को गैर विषैले रूपों में चयापचय करता है।  लिवर सिरोसिस के 4 चरण:- 1.पहला चरण:-सूजन, यह प्रारंभिक चरण है जहां लीवर में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है। यह चरण तब होता है जब लीवर में सूजन और कोशिका क्षति होती है। पहले चरण के दौरान, पेट में दर्द होता है क्योंकि शरीर में बीमारी या संक्रमण से लड़ने के लिए सूजन बढ़ जाती है। 2 दूसरा चरण:-स्कारिंग, इस चरण में, लिवर में चल रही सूजन और क्षति के कारण निशान ऊतक विकसित होना शुरू हो जाता है। यह घाव यकृत के भीतर सामान्य रक्त प्रवाह को बाधित करना शुरू कर देता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हालांकि इस स्तर पर कुछ क्षति होती है, उचित उपचार और जीवनशैली में संशोधन के साथ, रोग की प्रगति को धीमा करना या उलटना अभी भी संभव है। 3 तीसरा चरण:- सिरोसिस, सिरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें लीवर में गंभीर, स्थायी घाव हो जाते हैं। इस स्तर पर, फाइब्रोसिस अपरिवर्तनीय हो जाता है, और स्वस्थ कोशिकाओं की कमी के कारण लीवर अब अपने ऊतकों को पुनर्जीवित नहीं कर सकता है। 4.चौथा चरण:-लिवर की विफलता, रोगियों को पीली त्वचा और आंखों, विकार, सूजन और सामान्य या स्थानीय दर्द जैसे लक्षणों का अनुभव हो सकता है। अंतिम चरण के लिवर रोग के लक्षण आम तौर पर कम हो जाते हैं क्योंकि रोगी की मृत्यु निकट आ जाती है। लीवर सिरोसिस के कारण: -हेपेटाइटिस का भयानक संक्रमण. - पुटीय तंतुशोथ -पित्त नलिकाओं का खराब विकसित होना। -शर्करा चयापचय का आनुवंशिक संक्रमण। -विरासत में मिली पाचन संबंधी समस्याएं. -शराब का अत्यधिक अनुचित सेवन। -लिवर में फैट का बढ़ना.  1} हेपेटाइटिस का भयानक संक्रमण:- हेपेटाइटिस एक शब्द है जिसका इस्तेमाल लीवर की सूजन का वर्णन करने के लिए किया जाता है। यह विभिन्न प्रकार के वायरस के साथ-साथ कुछ विषाक्त पदार्थों और ऑटोइम्यून स्थितियों के कारण होता है। हेपेटाइटिस के कई प्रकार होते हैं, जैसे हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी और सी, हेपेटाइटिस डी, हेपेटाइटिस ई। हेपेटाइटिस बी एक गंभीर यकृत संक्रमण है जो इसके कारण होता है। हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) यह रक्त-से-रक्त संपर्क, मां से बच्चे में संचरण, यौन संपर्क के माध्यम से वायरल होगा।  2} सिस्टिक फाइब्रोसिस:-सिस्टिक फाइब्रोसिस एक आनुवंशिक स्थिति है जिसके कारण शरीर में गाढ़ा, चिपचिपा बलगम उत्पन्न होता है, जिससे लीवर जैसे अंगों में रुकावट होती है। पित्त नलिकाओं के अवरुद्ध होने से लीवर में सूजन हो जाती है। गाढ़ा बलगम लीवर में पित्त नलिकाओं को अवरुद्ध कर देता है, यह सूजन घाव का कारण बनती है, जिसे फाइब्रोसिस के रूप में जाना जाता है। गंभीर मामलों में, फाइब्रोसिस व्यापक हो जाता है, जिससे सिरोसिस हो जाता है, जहां यकृत स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाता है।  3} विकसित पित्त नलिकाएं:- ये छोटी नलिकाएं होती हैं जो पित्त को यकृत से छोटी आंत तक ले जाती हैं। वसा को पचाने के लिए पित्त आवश्यक है। सिरोसिस में घाव पित्त नलिकाओं को अवरुद्ध कर सकता है, जिससे पित्त का सामान्य प्रवाह बाधित हो सकता है। इससे लीवर में पित्त का निर्माण हो सकता है, जिससे पीलिया और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।  4} शर्करा चयापचय का आनुवंशिक संक्रमण:-अंग वसा का उत्पादन करने के लिए फ्रुक्टोज का उपयोग करता है। कई विशेषज्ञों के अनुसार, अत्यधिक परिष्कृत चीनी और उच्च फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप यकृत रोग का कारण बन सकते हैं, सिरोसिस वाले व्यक्तियों को चीनी युक्त खाद्य पदार्थों द्वारा अपेक्षाकृत उच्च कोलेस्ट्रॉल के कारण चीनी का सेवन सीमित करने की सलाह दी जाती है, जो यकृत में वसा संचय में वृद्धि में योगदान कर सकता है।  5}आनुवंशिक पाचन संबंधी समस्याएं:- फैटी लीवर के कारण आंत-लिवर अक्ष के माध्यम से आंत्र गतिविधियों पर असर पड़ सकता है, जिससे आंत के कार्य में परिवर्तन हो सकता है और कब्ज और दस्त जैसी पाचन समस्याओं में योगदान हो सकता है।  6} शराब का अत्यधिक अनुचित सेवन:- अल्कोहलिक लिवर सिरोसिस के लक्षणों में बीमार महसूस करना, वजन कम होना, भूख कम लगना, सूजन, भ्रम, उनींदापन और उल्टी या मल में खून आना शामिल है। जब अत्यधिक शराब का सेवन करने वाले व्यक्ति में फैटी लिवर विकसित हो जाता है। इसे अल्कोहलिक फैटी लीवर रोग (एएफएलडी) कहा जाता है।  7) लीवर में वसा का बढ़ना:- लीवर में अत्यधिक वसा सूजन का कारण बन सकती है, जिससे घाव हो सकते हैं और लीवर खराब हो सकता है। अतिरिक्त कैलोरी का सेवन करने से लीवर में वसा बढ़ने लगती है। जब लीवर वसा को संसाधित और विखंडित नहीं करता है जैसा कि उसे स्वाभाविक रूप से करना चाहिए, तो बहुत अधिक वसा जमा हो जाएगी।  ब्रह्म होम्योपैथिक हीलिंग एवं रिसर्च सेंटर की प्रबंधन योजना:- ब्रह्म द्वारा विज्ञान-आधारित, चिकित्सकीय रूप से सिद्ध, वैज्ञानिक उपचार मॉड्यूल बीमारी के लिए प्रभावी है। हमारे पास ऐसे डॉक्टर हैं जो व्यवस्थित तरीके से आपके मामले का निरीक्षण और विश्लेषण करेंगे: सभी लक्षण और लक्षण, रोग की प्रगति, प्रगति के चरण, रोग का निदान और इसकी जटिलताओं को दर्ज किया जाता है। फिर, वे बीमारी का विस्तार से वर्णन करते हैं, एक उचित आहार चार्ट, एक व्यायाम योजना, एक जीवन योजना प्रदान करते हैं, और आपके ठीक होने तक होम्योपैथिक दवाओं द्वारा आपके रोग के व्यवस्थित प्रबंधन के साथ सामान्य स्वास्थ्य स्थिति में सुधार करने वाले कई अन्य कारकों पर मार्गदर्शन करते हैं।
Avatar
अग्नाशयशोथ, स्यूडोसिस्ट और नेक्रोसिस के लिए होम्योपैथिक उपचार
अग्नाशयशोथ, स्यूडोसिस्ट और नेक्रोसिस के लिए होम्योपैथिक उपचार ! अग्नाशयशोथ: अग्नाशयशोथ अग्नाशय की सूजन है, जो पाचक रसों या एंजाइमों के कारण होती है, यह पेट के पीछे बाईं ओर, छोटी आंत के प्रथम भाग के पास स्थित होती है। ब्रोमियम: सूजन को कम करने और दर्द से राहत देने की अपनी क्षमता के लिए जाना जाता है, ब्रोमियम का उपयोग अग्नाशयशोथ के लक्षणों को कम करने के लिए किया जा सकता है। कैल्केरिया कार्बोनिका: इस उपाय का उपयोग अक्सर पाचन संबंधी समस्याओं के लिए किया जाता है और यह अग्नाशय को शांत करने में मदद कर सकता है। लाइकोपोडियम: इस उपाय का उपयोग आमतौर पर पाचन संबंधी समस्याओं के लिए किया जाता है, जिसमें सूजन और पेट दर्द शामिल है, जो अग्नाशयशोथ से संबंधित हो सकता है। स्यूडोसिस्ट: स्यूडोसिस्ट, अग्नाशयी तरल पदार्थ का एक संग्रह, क्रोनिक अग्नाशयशोथ के बाद आम है, जिसके जोखिम कारकों में पित्त पथरी, शराब का सेवन और पेट में चोट शामिल हैं। फॉस्फोरस: इस उपाय का उपयोग अक्सर पाचन संबंधी समस्याओं के लिए किया जाता है, जिसमें सूजन और पेट दर्द शामिल है, जो स्यूडोसिस्ट से संबंधित हो सकता है। सिलिसिया: सिलिसिया सूजन को कम करने और उपचार को बढ़ावा देने की अपनी क्षमता के लिए जाना जाता है, जो स्यूडोसिस्ट के लिए फायदेमंद हो सकता है। कैल्केरिया फॉस्फोरिकम: इस उपाय का उपयोग अक्सर पाचन संबंधी समस्याओं के लिए किया जाता है और यह पाचन तंत्र को शांत करने में मदद कर सकता है। स्थानीय उपचार:- • फॉस्फोरस: इस उपाय का उपयोग अक्सर पाचन संबंधी समस्याओं के लिए किया जाता है, जिसमें सूजन और पेट दर्द शामिल है, जो स्यूडोसिस्ट से संबंधित हो सकता है। • सिलिकिया: सिलिकिया सूजन को कम करने और उपचार को बढ़ावा देने की अपनी क्षमता के लिए जाना जाता है, जो स्यूडोसिस्ट के लिए फायदेमंद हो सकता है। • कैल्केरिया फॉस्फोरिकम: इस उपाय का उपयोग अक्सर पाचन संबंधी समस्याओं के लिए किया जाता है और यह पाचन तंत्र को शांत करने में मदद कर सकता है। नेक्रोसिस:- नेक्रोसिस शरीर के किसी भी हिस्से में कोशिका या ऊतक की मृत्यु की प्रक्रिया है। • आर्सेनिकम एल्बम: इस उपाय का उपयोग अक्सर सूजन, लालिमा और सूजन की विशेषता वाली स्थितियों के लिए किया जाता है, जो नेक्रोसिस से संबंधित हो सकते हैं। • मर्क्युरियस सोलुबिलिस: यह उपाय सूजन को कम करने और उपचार को बढ़ावा देने की अपनी क्षमता के लिए जाना जाता है, जो नेक्रोसिस के लिए फायदेमंद हो सकता है। • सिलिसिया: सिलिसिया का उपयोग अक्सर उपचार को बढ़ावा देने और सूजन को कम करने के लिए किया जाता है, जो नेक्रोसिस के लिए फायदेमंद हो सकता है। होम्योपैथिक उपचार दृष्टिकोण:- • संवैधानिक उपचार: होम्योपैथ तनाव, चिंता या खराब पाचन जैसी स्थिति के अंतर्निहित कारणों को दूर करने के लिए संवैधानिक उपचारों का उपयोग कर सकते हैं। • स्थानीय उपचार: स्थानीय उपचारों का उपयोग विशिष्ट लक्षणों, जैसे पेट दर्द या सूजन को लक्षित करने के लिए किया जा सकता है। • सिमिलिमम: होम्योपैथ एक ऐसा उपाय खोजने की कोशिश करेगा जो रोगी के विशिष्ट लक्षणों और संवैधानिक प्रकार से मेल खाता हो। • खुराक और आवृत्ति: उपाय की खुराक और आवृत्ति व्यक्ति की ज़रूरतों और उपचार के प्रति प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगी। महत्वपूर्ण नोट:- • लाइसेंस प्राप्त होम्योपैथ से परामर्श करें: होम्योपैथी एक अत्यधिक व्यक्तिगत दृष्टिकोण है जिसके लिए सबसे प्रभावी उपचार योजना निर्धारित करने के लिए लाइसेंस प्राप्त होम्योपैथ की आवश्यकता होती है। • संयोजन चिकित्सा: होम्योपैथी का उपयोग अतिरिक्त सहायता और राहत प्रदान करने के लिए पारंपरिक चिकित्सा उपचार के साथ संयोजन में किया जा सकता है। • स्व-देखभाल के उपाय: अग्नाशयशोथ, स्यूडोसिस्ट या नेक्रोसिस वाले रोगियों को भी स्वस्थ आहार बनाए रखने, हाइड्रेटेड रहने और तनाव का प्रबंधन करने जैसे स्व-देखभाल उपायों का अभ्यास करना चाहिए। होम्योपैथिक दवा दिशानिर्देश: खुराक: प्रत्येक उपाय के लिए अनुशंसित खुराक निर्देशों का पालन करें। आवृत्ति: अपने होम्योपैथ द्वारा निर्देशित या पैकेजिंग लेबल पर दिए अनुसार उपाय लें। अवधि: अनुशंसित अवधि के लिए या लक्षणों में सुधार होने तक उपाय लें। प्रतिबंध: यदि आपको कोई अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति है या आप अन्य दवाएँ ले रहे हैं, तो कोई भी उपाय लेने से पहले लाइसेंस प्राप्त होम्योपैथ से परामर्श करें।  ब्रह्म होम्योपैथिक हीलिंग एवं रिसर्च सेंटर की उपचार योजना ब्रह्म अनुसंधान आधारित, चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित, वैज्ञानिक उपचार मॉड्यूल इस बीमारी को ठीक करने में बहुत प्रभावी है। हमारे पास सुयोग्य डॉक्टरों की एक टीम है जो आपके मामले का व्यवस्थित रूप से निरीक्षण और विश्लेषण करती है, रोग की प्रगति के साथ-साथ सभी संकेतों और लक्षणों को रिकॉर्ड करती है, इसकी प्रगति के चरणों, पूर्वानुमान और इसकी जटिलताओं को समझती है। उसके बाद वे आपको आपकी बीमारी के बारे में विस्तार से बताते हैं, आपको उचित आहार चार्ट [क्या खाएं या क्या न खाएं], व्यायाम योजना, जीवन शैली योजना प्रदान करते हैं और कई अन्य कारकों के बारे में मार्गदर्शन करते हैं जो व्यवस्थित प्रबंधन के साथ आपकी सामान्य स्वास्थ्य स्थिति में सुधार कर सकते हैं। जब तक यह ठीक न हो जाए तब तक होम्योपैथिक दवाओं से अपनी बीमारी का इलाज करें।
Avatar
ibs-vs-ibd difference in hindi
IBS (Irritable Bowel Syndrome): IBS is a functional disorder of the colon in which the large intestine develops symptoms such as recurrent abdominal discomfort, bloating, and an alteration of bowel habits. Symptoms of IBS can include: Abdominal pain— Cramping, bloating, or discomfort in the abdomen Bloating— Feeling of fullness or swelling in the abdomen Change in bowel movements— Diarrhea, constipation, or an alternating pattern between the two Straining during bowel movements— Difficulty passing stool Mucus in the stool— Mucus may be seen when a person has a bowel movement Feeling of incomplete evacuation— Bowels are not completely emptied Nausea and vomiting— Feeling queasy or vomiting IBD (Inflammatory Bowel Disease): IBD is a chronic inflammatory disorder of the gastrointestinal tract, which mainly consists of the small intestine and the large intestine. It is an inflammation and ulceration of the digestive tract. Symptoms: Abdominal pain refers to discomfort or cramping in the abdomen. Diarrhea: Frequent or urgent bowel movements Fever: An increase in body temperature Fatigue: Tiredness, exhaustion Weight loss: Unintentional loss of weight Loss of appetite: A disinterest in food Nausea and vomiting: Feeling queasy or vomiting Blood in stool or rectum: Blood in the stool or the rectum Bleeding from the rectum Common Symptoms between IBS and IBD: Abdominal pain Change in bowel movements Bloating Nausea and vomiting
Avatar
pancreatitis ka ilaj
What is Pancreatitis? Pancreatitis is a condition where the pancreas becomes inflamed, leading to severe abdominal pain, nausea, vomiting, and other symptoms. The condition can be acute or chronic, with acute pancreatitis typically resolving on its own within a few days. Understanding Pancreatitis Pancreatitis is a condition where the pancreas becomes inflamed, leading to severe abdominal pain, nausea, vomiting, and other symptoms. The condition can be acute or chronic, with acute pancreatitis typically resolving on its own within a few days. How to Remove Pancreatitis Permanently with Homeopathy: ► Consult a qualified homeopath: It's essential to consult a qualified homeopath who has experience in treating pancreatitis. ► Undergo a comprehensive evaluation: The homeopath will conduct a thorough evaluation of your medical history, symptoms, and overall health. ► Choose the right remedy: Based on your evaluation, the homeopath will choose the most appropriate remedy to help alleviate your symptoms and promote healing. ► Follow the treatment plan: It's essential to follow the treatment plan as recommended by your homeopath, including taking the remedy as directed and making lifestyle changes. ► Monitor your progress: Regularly monitor your progress with your homeopath to ensure that you're responding well to treatment. Tips for Managing Pancreatitis with Homeopathy: ► Make lifestyle changes: Quit smoking, reduce alcohol consumption, and adopt a healthy diet rich in fruits, vegetables, and whole grains. ► Manage stress: Stress can exacerbate pancreatitis; practice stress-reducing techniques such as meditation or yoga. ► Keep a symptom journal: Keep a symptom journal to track your symptoms and monitor your progress with treatment. ► Combine homeopathy with conventional medicine: If necessary, combine homeopathy with conventional medicine under the guidance of your homeopath. Treatment Plan of Brahm Homeopathic Healing & Research center:- Brahm research based, clinically proved, scientific treatment module is very effective in curing this disease. We have a team of well qualified doctors who observe and analysis your case systematically, record all the signs and symptoms along with progress of disease, understand its stages of progression, prognosis and its complications. After that they clear you about your disease in details, provide you proper diet chart [what to eat or what not to eat], exercise plan, life style plan and guide you about many more factors that can improve your general health condition with systematic management of your disease with homeopathic medicines till it get cured.
Avatar
best pancreatitis treatment in homeoapthic
What is the relation between jaundice and pancreas? Jaundice is a condition characterized by yellowing of the skin and the whites of the eyes, caused by elevated levels of bilirubin in the bloodstream. Bilirubin is a yellow pigment produced during the normal breakdown of red blood cells. The pancreas is an organ located behind the stomach that plays a crucial role in digestion and blood sugar regulation. It produces digestive enzymes that help break down food in the small intestine and produces insulin and gluc@gon to regulate blood sugar levels. The relationship between jaundice and the pancreas can occur due to several factors: 1. Pancreatic Disorders: Certain disorders affecting the pancreas, such as pancreatitis (inflammation of the pancreas), pancreatic cancer, or pancreatic cysts, can cause obstruction of the bile ducts. When the bile ducts are blocked, bilirubin cannot properly drain into the intestines and is instead released into the bloodstream, leading to jaundice.  2. Gallstones: Gallstones are hardened deposits that can form in the gallbladder or bile ducts. If a gallstone becomes lodged in the common bile duct, it can obstruct the flow of bile from the liver and cause jaundice. The pancreas and the gallbladder share a common bile duct, so gallstones that obstruct this duct can affect both organs. 3. Biliary Obstruction: Conditions such as pancreatic tumors or inflammation can cause compression or obstruction of the bile ducts, leading to impaired bile flow and jaundice. 4. Alcohol-related Pancreatitis: Chronic alcohol consumption can lead to pancreatitis, which can in turn cause inflammation and scarring of the pancreas. This scarring can disrupt the normal flow of bile and lead to jaundice.  5. Autoimmune Pancreatitis: In some cases, autoimmune pancreatitis can lead to inflammation and scarring of the pancreas, causing obstruction of the bile ducts and subsequent jaundice. Can you fully recover from pancreatitis? The majority of people recover completely, however some experience repeated episodes. A tiny proportion of patients may develop persistent or chronic pancreatitis. If the damage is severe, patients may require additional digestive enzymes to help them digest meals. Can pancreatitis cause sudden death? Death can result from acute pancreatitis without bleeding; nevertheless, autopsy-based investigations usually reveal hemorrhagic pancreatitis in situations of unexpected death. The majority of instances of acute pancreatitis are caused by gallstones blocking the pancreatic duct or persistent alcohol usage.
Avatar
Is it safe to take homeopathic medicine in pregnancy
Is it safe to take homeopathic medicine in pregnancy? Pregnancy represents a significant physiological process in a woman's body, placing increased stress on both her physical well-being and immune system. Homeopathy stands out as an optimal form of medication for addressing the symptoms and complexities associated with pregnancy. Extensively proven effective in managing severe ailments such as morning sickness, headaches, digestive issues, muscle discomfort, and other common pregnancy-related discomforts, homeopathic treatment offers a safe approach. Utilizing minute quantities of active ingredients, homeopathy aids the body's innate healing capacities and fosters overall improvement. Having existed for centuries, homeopathy tailors its medicines based on specific symptoms, ensuring its safety during pregnancy. With a range of potencies typically advised, spanning from 3X to 30X, homeopathic remedies are available in liquid (mother tincture) and tablet forms, with tablets being the preferred option for pregnant women. Notably, there are no adverse effects associated with homeopathic medicines, and they can be used concurrently with conventional medications. A distinguishing feature of homeopathy is its avoidance of symptom suppression; instead, it collaborates with the body's natural immune mechanisms to facilitate healing. Furthermore, its condition-specific approach enhances efficacy in treating various issues. Opting for homeopathy during pregnancy not only benefits the expectant mother but also promotes the well-being of the unborn child by enhancing the entire system. In comparison to conventional drugs, homeopathy boasts a lack of side effects and non-addictive properties, ensuring its safety. What should avoid in homeopathic medicine? The NHMRC's Statement on Homeopathy says that Choosing homeopathy with proven treatments might be beneficial for your health. If you're thinking about using homeopathy, it's best to talk to a registered healthcare provider first. And if you do decide to use it, make sure to let your doctor know and keep taking any prescribed treatments. Is it OK to take allopathy and homeopathy together? The approach of homeopathy is to directly address the immune system without inducing reactions within the body. While we recommend minimizing the intake of allopathic medicines due to their potential for side effects, it's important to acknowledge that concurrently using both homeopathic and allopathic drugs may cause confusion within the body. How quickly does homeopathy work? How fast homeopathy works can differ a lot, depending on factors like a person's body, how severe and long-lasting their condition is, and if the chosen remedy is right for them. Sometimes, people feel better quickly after taking a homeopathic remedy, especially if their condition just started or isn't too severe. This is more likely for short-term or sudden problems.
Avatar
pancreas divisum treatment in homeopathic
What is the best diet for pancreas divisum? Pancreas divisum is a condition where the pancreas fails to fuse during fetal development, leading to two separate pancreatic ducts instead of one. While diet alone cannot treat pancreas divisum, adopting certain dietary habits may help manage symptoms and support pancreatic health. Here are some dietary tips: 1. Low-Fat Diet: High-fat foods can exacerbate symptoms such as abdominal pain and discomfort in pancreas divisum. Opt for low-fat or non-fat versions of dairy products and lean cuts of meat. 2. Small, Frequent Meals: Eating smaller meals throughout the day instead of three large ones can reduce the burden on the pancreas and help manage symptoms like pain and bloating. 3. Limit Alcohol and Caffeine: Both alcohol and caffeine can stimulate the pancreas and exacerbate symptoms. Limit or avoid alcohol and caffeine-containing beverages. 4. High-Fiber Foods: Fiber-rich foods such as fruits, vegetables, and whole grains can aid digestion and promote overall gastrointestinal health. However, some individuals with pancreas divisum may find that high-fiber foods exacerbate symptoms, so it's essential to monitor how your body responds. 5. Hydration: Staying well-hydrated is crucial for overall health and can help prevent complications such as pancreatitis. Aim to drink plenty of water throughout the day. 6. Avoid Spicy Foods: Spicy foods may irritate the gastrointestinal tract and worsen symptoms in some individuals. If spicy foods trigger discomfort, it's best to avoid them. 7. Consult a Registered Dietitian: For personalized dietary recommendations tailored to your specific needs and symptoms, consider consulting a registered dietitian who can work with you to develop a nutrition plan that supports your pancreatic health. It's important to note that dietary recommendations may vary depending on individual factors such as the severity of symptoms, presence of other medical conditions, and personal preferences. Always consult with a healthcare provider or registered dietitian before making significant changes to your diet, especially if you have pancreas divisum or any other medical condition. How serious is pancreatic divisum? Pancreas divisum is generally not associated with complications in the majority of cases. However, individuals who choose to undergo endoscopic retrograde cholangiopancreatography (ERCP) to alleviate symptoms may potentially face the risk of developing acute pancreatitis, which in turn can result in kidney failure and even mortality.
Avatar
obstructive jaundice pancreatitis
Obstructive Jaundice Pancreatitis Treatment In Homeopathy Does pancreatic cancer cause jaundice? Pancreatic cancer, when it obstructs the bile duct in the liver, can lead to the development of jaundice. This condition is characterized by a noticeable yellowing of the skin and the whites of the eyes. In addition to these visible signs, jaundice can also result in the abnormal discoloration of urine, making it appear darker, as well as causing stools to become pale in color. It is worth noting that jaundice frequently manifests itself independently from any accompanying abdominal pain. how does pancreatitis cause jaundice? The occurrence of jaundice in patients with pancreatitis is typically attributed to damage to the liver cells or the presence of an underlying condition affecting the biliary tract. However, there are instances where the obstruction of the common duct occurs as a result of pancreatic fibrosis, edema, or the formation of a pseudocyst, even in the absence of any liver cell damage or biliary tract disease. Is jaundice common in pancreatitis? Autoimmune pancreatitis and chronic pancreatitis are both conditions that can cause biliary strictures, ultimately leading to the development of jaundice. When evaluating patients with relevant clinical symptoms, it is important to consider pancreatic cancer as a potential cause. While there is more extensive research on the relationship between jaundice and chronic pancreatitis as well as pancreatic cancer, the connection between jaundice and acute pancreatitis remains uncertain. Does alcoholic pancreatitis cause jaundice? Alcohol use syndrome is a prevalent factor contributing to the development of both acute and chronic pancreatitis, making it one of the leading causes of this condition.
Avatar
best treatment of pancreatic pseudocyst
What is the best treatment of pancreatic pseudocyst? Homeopathic medicine can treat pancreatic pseudocyst. The length of your illness has a significant impact on the treatment plan. Whether you have had your illness for a long time or just recently, anything can be cured with our help; however, you will recover more quickly if you catch it early. It will take longer to heal chronic ailments, conditions that are advanced in nature, or conditions that have been suffering for many years. As soon as they notice any indications or symptoms of this illness, intelligent people always begin treatment. Therefore, please get in touch with us as soon as you notice anything out of the ordinary. What is a pancreatic pseudocyst? An accumulation of tissue and fluids on your pancreas is called a pancreatic pseudocyst. You can find your pancreas underneath your stomach. The most common causes of pseudocysts are severe abdominal injuries or pancreatitis, an inflammation of the pancreas. "Pseudo" denotes falsity. Although a pseudocyst resembles a cyst, it is composed of different tissues than a real cyst. Compared to pseudocysts, real cysts are more likely to be malignant. What causes a pancreatic pseudocyst? Most frequently, a pancreatitis episode is followed by pancreatic pseudocysts. Pancreatitis is an uncomfortable and dangerous illness. The digestive enzymes in your body, called pancreatic enzymes, overreact and start breaking down the tissues of your pancreas. Your pancreatic tissues and blood vessels may be harmed in addition to swelling and bleeding as a result of this. Usually, when the ducts that deliver pancreatic secretions to the gut get clogged, cysts develop. What are the symptoms of a pancreatic pseudocyst? But you should also be on the lookout for these signs, particularly if you've recently experienced pancreatitis or a torso blowout: vomiting and nausea Upper abdominal ache that occasionally spreads to your back, along with a palpable lump in that region having trouble eating and digesting food These symptoms may also be indicative of other illnesses, such as malignant tumors or pancreatic cysts. Make sure to discuss all of your symptoms with your physician.  Is pseudocyst curable? yes pancreatic pseudocyst is curable with homeopathic treatment. Many pseudocysts will resolve with supportive treatment. Your healthcare practitioner may just observe your pseudocyst. Your healthcare professional will thoroughly examine you for problems. Another imaging test may also be required to determine whether or not your pseudocyst has resolved.
Avatar
mpd
Pancreatic Duct Stent Therapeutic stent implantation tries to restore normal pancreatic secretion flow in patients with stenoses, leaks, fistulas, or structural pancreatic duct malformations. Plastic stents or SEMSs are utilized depending on the cause. What is Pancreatic stent? A stent is a small tube that is utilized to expand a pancreatic duct and maintain its openness. The natural flow of pancreatic fluid occurs through these ducts, with smaller ones depositing fluid into the main duct. The placement of a stent can be beneficial in addressing issues such as a constricted, obstructed, or leaking duct, as well as facilitating the drainage of excess fluid. In certain instances, one or more stents may be positioned as a preventive measure before specific procedures to mitigate the risk of pancreatitis. The insertion of a pancreatic stent is typically performed during the course of endoscopic retrograde cholangiopancreatography (ERCP). Pancreatic stent removal time? It is recommended that pancreatic stents inserted for pancreatitis prophylaxis be removed within a timeframe of 24 hours to 2 weeks. In the case of pancreatic stents inserted for the treatment of pancreatic stricture, it is common practice to change them every 3-6 months. Sequential stent insertion should be performed until the stricture has resolved. If the patient does not experience any improvement in their symptoms, it may be advisable to consider surgical options. How long can a pancreatic stent stay in? It is recommended to consider changing stents regularly every 6-8 weeks in order to prevent potential issues such as clogging, infection, or pancreatitis. Stent in pancreas side effects? Pancreatic stent therapy may have some potential negative outcomes, such as acute pancreatitis, pancreatic infection, pseudocyst formation, duct injury, stone formation, and migration. ERCP pancreatic stent? ERCP stent placement is a treatment used to treat obstructive jaundice in patients who have difficulty draining bile or pancreatic fluids due to a dilated or clogged bile or pancreatic duct. why pancreatic stent is used? Biliary and pancreatic stents are plastic or metal devices used primarily to restore bile or pancreatic duct patency. They may also be used to treat biliary or pancreatic leaks, pancreatic fluid collections, and to prevent post-endoscopic retrograde cholangiopancreatography pancreatitis.
Avatar
acute necrotizing pancreatic
अपने पैंक्रियास को हेअल्थी रखने के लिए क्या क्या चाहिए? हमारे अग्न्याशय की देखभाल करना वास्तव में महत्वपूर्ण है। अग्न्याशय हमारे शरीर के लिए दो महत्वपूर्ण कार्य करता है। सबसे पहले, यह हार्मोन और एंजाइम बनाता है जो हमारे भोजन को पचाने में हमारी मदद करते हैं। यह यह नियंत्रित करने में भी मदद करता है कि हमारा शरीर चीनी कैसे बनाता है। दूसरा, यह विशेष एंजाइम बनाता है जो हमारे शरीर में वसा और प्रोटीन को तोड़ने में मदद करता है। ये एंजाइम वसा और कार्बोहाइड्रेट को तोड़ने के लिए महत्वपूर्ण हैं। यदि हमारे पास पर्याप्त मात्रा में ये एंजाइम नहीं हैं, तो इससे हमारा वजन तेजी से बढ़ सकता है और हर समय थकान महसूस हो सकती है। यह हमारे शरीर को कमजोर भी बना सकता है. इसलिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि कौन से खाद्य पदार्थ हमारे अग्न्याशय के लिए अच्छे हैं और कौन से खाद्य पदार्थ नहीं हैं। पेनक्रियाज को ठीक करने के लिए क्या करना चाहिए? फूलगोभी, ब्रोकोली, पत्तागोभी, मूली, पालक और टमाटर जैसी कुछ सब्जियाँ वास्तव में हमारे अग्न्याशय के लिए अच्छी होती हैं। लहसुन अग्न्याशय के लिए भी बहुत अच्छा है क्योंकि यह सूजन में मदद करता है और हमारे रक्तचाप को सामान्य रखता है। जब हमारे शरीर में पर्याप्त पानी नहीं होता है, तो हमारे अग्न्याशय में सूजन हो सकती है। इसलिए हमारे अग्न्याशय को हाइड्रेटेड रखने के लिए हर दिन 8-10 गिलास पानी पीना महत्वपूर्ण है। खीरा, तरबूज, स्ट्रॉबेरी और कीवी जैसे फल खाना भी हमारे अग्न्याशय के लिए अच्छा है। अगर हमें एसिडिटी की समस्या है, तो बहुत अधिक चाय और कॉफी पीने से बचना चाहिए क्योंकि कैफीन इसे बदतर बना सकता है। इसके बजाय, हम हर्बल चाय या कैफीन रहित पेय पी सकते हैं। बहुत अधिक जंक फूड खाने से हमारे अग्न्याशय को इसे पचाने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, इसलिए जितना हो सके जंक फूड से बचना बेहतर है। घर का बना घी, एवोकैडो, नारियल तेल और जैतून का तेल हमारे अग्न्याशय के लिए अच्छे हैं। देर रात खाना खाने से हमारे अग्न्याशय पर दबाव पड़ सकता है और अपच हो सकता है। इससे हमारा वजन भी तेजी से बढ़ सकता है। पेनक्रियाज क्यों खराब होता है? अग्न्याशय आपके शरीर में एक विशेष कारखाने की तरह है जो पाचन में मदद करता है। यह आपके पेट के ऊपरी भाग में, आपकी पीठ की ओर स्थित होता है। अग्न्याशय एक विशेष रस बनाता है जिसमें विभिन्न एंजाइम और हार्मोन होते हैं। ये एंजाइम, जैसे लाइपेज, वसा को तोड़ने में मदद करते हैं। ऐसे एंजाइम भी होते हैं जो प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट को तोड़ने में मदद करते हैं। अग्न्याशय इंसुलिन भी बनाता है, जो आपके शरीर को चीनी का उचित उपयोग करने में मदद करता है। कभी-कभी, अगर हम स्वस्थ खान-पान और ठीक से दवा लेकर अपना ख्याल नहीं रखते हैं, तो हमारे अग्न्याशय को नुकसान हो सकता है। ऐसा तब भी हो सकता है जब हमें कुछ बीमारियाँ हों। लेकिन अगर हम ध्यान दें और हमारे अग्न्याशय में कुछ गड़बड़ी होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं, तो हम वास्तव में अग्नाशयशोथ या अग्नाशय के कैंसर से बीमार होने से बच सकते हैं। इसलिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि किन संकेतों पर ध्यान देना चाहिए। पैंक्रियाज कमजोर होने पर कौन सा रोग होता है? क्रोनिक अग्नाशयशोथ एक ऐसी स्थिति है जिसमें लंबे समय तक कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है। लेकिन जब ऐसा होता है, तो यह गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। लक्षणों में से एक पेट दर्द है, जिसका मतलब है कि अग्न्याशय में कुछ गड़बड़ है। कभी-कभी, अग्न्याशय में एक ट्यूमर आस-पास के अन्य अंगों पर दबाव डालकर इस दर्द का कारण बन सकता है। पेनक्रियाज में इन्फेक्शन होने से क्या होता है? क्रोनिक अग्नाशयशोथ तब होता है जब आपका अग्न्याशय लंबे समय तक सूजन रहता है। यह आमतौर पर तब होता है जब आपको अग्नाशयशोथ की गंभीर समस्या हो। इसका एक बड़ा कारण लंबे समय तक बहुत अधिक शराब पीना है। भले ही आपके अग्न्याशय को बहुत अधिक शराब पीने से तुरंत बुरा न लगे, लेकिन बाद में इसमें अचानक बहुत दर्द होने लग सकता है।
Avatar
celiac treatment in homeopathic
सीलिएक रोग किसकी कमी से होता है? सीलिएक रोग ग्लूटेन नामक प्रोटीन के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया के कारण होता है। ग्लूटेन विशेषकर गेहूं, बार्ली, राइ, और ओट्स में पाया जाता है। इस रोग में व्यक्ति का शरीर ग्लूटेन को सही तरीके से पाचन नहीं कर पाता है, जिससे विभिन्न तंत्रिकाओं में क्षति होती है। ग्लूटेन के सेवन से शरीर में तीन प्रकार की कमी होती है ग्लूटेन इंटॉलरेंस यह एक अद्भिन्न रोग है जिसमें ग्लूटेन को पाचन करने में कठिनाई होती है, लेकिन इसमें इम्यून सिस्टम की सक्रियता नहीं होती है। सीलिएक रोग यह ग्लूटेन की पूर्णता के खिलाफ इम्यून प्रतिक्रिया के द्वारा होने वाला एक ऑटोइम्यून रोग है। इसमें शरीर की रक्त संचारित कोशिकाओं की उत्पत्ति होती है, जिससे विभिन्न अंगों में क्षति होती है। ग्लूटेन सेंसिटिविटी यह एक अन्य प्रकार की ग्लूटेन प्रतिक्रिया है, जिसमें ग्लूटेन के सेवन से समस्त स्वास्थ्य समस्याएं नहीं होती हैं, लेकिन कुछ लक्षण हो सकते हैं जो ग्लूटेन के सेवन के बाद दिखाई देते हैं। यदि किसी को सीलिएक रोग की संभावना है, तो वह डॉक्टर से संपर्क करें और उचित जाँच करवाएं। सही निदान और उपचार के लिए डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री का सुनिश्चित रूप से मूल्यांकन करेंगे। सीलिएक रोग किस उम्र में शुरू होता है? सीलिएक रोग की शुरुआत किसी भी आयु में हो सकती है, लेकिन यह आमतौर पर बचपन या युवावस्था में पहली बार स्थिति दिखाता है। इस रोग का प्रारंभ बच्चों और तीनेजर्स में हो सकता है, लेकिन किसी भी आयु में यह समस्या प्रकट हो सकती है। बच्चों में सीलिएक रोग की शुरुआत जीवन के किसी भी चरण में हो सकती है, जब वे ग्लूटेन-युक्त आहार को शुरू करते हैं। अधिकांश लोगों में यह रोग बचपन या किशोरावस्था में होता है, लेकिन कुछ लोगों में यह बड़ी आयु में भी प्रकट हो सकता है। सीलिएक रोग की आमतौर पर उत्पत्ति किशोरावस्था में होती है, लेकिन यह वयस्कों में भी प्रदर्शित हो सकता है, विशेषकर जब ग्लूटेन से पहले से ग्लूटेन-मुक्त आहार का सेवन हुआ हो। रोगी व्यक्ति किसी भी आयु में सीलिएक रोग से प्रभावित हो सकता है, और निदान और उपचार के लिए डॉक्टर की सलाह का आदर्श है। स्टेज 4 सीलिएक रोग क्या है? सीलिएक रोग की चरणों को स्टेज कहा जाता है, और इसमें चार स्टेज होते हैं. ये स्टेज इस बीमारी की स्थिति को व्यक्ति के शारीरिक तंतु अंगों की चोटी में होने वाली क्षति के आधार पर बताए जाते हैं. निम्नलिखित हैं सीलिएक रोग के चार स्टेज स्टेज 1 - इस स्टेज में, शरीर में ग्लूटेन के सेवन के कारण आत्म-उपशोषण की प्रारंभिक संकेत होते हैं, लेकिन अभी तक कोई विशेष लक्षण प्रकट नहीं होते हैं। इस स्टेज में सीलिएक रोग का पता लगाना कठिन हो सकता है क्योंकि लक्षण अभी सुब्तिल होते हैं। स्टेज 2 इस स्टेज में, व्यक्ति को कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे कि पेट दर्द, दस्त, ओजन कमी, और अनेमिया। शरीर के तंतु अंगों में कुछ क्षति होती है, लेकिन यह अभी भी सामान्यत:रूप से सीलिएक रोग कहलाता है। स्टेज 3 इस स्टेज में, गंभीर लक्षण प्रकट होते हैं, और तंतु अंगों में अधिक क्षति होती है। इसमें व्यक्ति को सीलिएक रोग की स्थिति से जुड़ी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डीयों का कमजोरी) और आंतों की क्षति। स्टेज 4 इस स्टेज में, व्यक्ति की स्थिति सबसे गंभीर होती है। तंतु अंगों में अत्यधिक क्षति होती है और शरीर के विभिन्न हिस्सों में समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि कैंसर, आत्म-इम्यून समस्याएं, और संगत रोग। इस स्टेज में सीलिएक रोग के कारण होने वाली समस्याएं गंभीर हो सकती हैं और उच्चतम संभावना है कि डॉक्टर विचार करेंगे कि ग्लूटेन के सेवन से बचना आवश्यक है। सीलिएक रोग के प्रबंधन के लिए उचित इलाज के लिए एक डॉक्टर की सलाह और निदान आवश्यक हैं। आज ही बात करे या अपॉइंटमेंट बुक करे इस लिंक से https://www.brahmhomeo.com/book-appointment सीलिएक रोग के लिए एक ग्लूटेन-मुक्त डाइट बहुत महत्वपूर्ण है ताकि रोगी को ग्लूटेन से दूर रखा जा सके और उन्हें सहारा मिल सके। यहाँ एक सीलिएक रोग के लिए ग्लूटेन-मुक्त डाइट प्लान का एक उदाहरण दिया गया ह सीलिएक रोग के ग्लूटेन-मुक्त डाइट प्लान 1. अनाज (Grains): - गेहूं, बार्ली, राइ, और ओट्स से बने आहार का पूरा तरह से त्याग करें। - सुरक्षित अनाजों में शामिल करें: चावल, जौ, मक्का, किनुआ, और तिलहनी दालें। 2. फल और सब्जियां: - सभी स्वादिष्ट फल और सब्जियों का अनुकरण करें। - लहसुन और प्याज को बरतें, क्योंकि वे आमतौर पर सीलिएक रोग के लिए सुरक्षित होते हैं। 3. दुध उत्पाद: - गाय का दूध और उससे बने उत्पादों को त्याग करें। - बदले में, बादाम दूध, सोया दूध, और अन्य पौष्टिक दूध उत्पादों का उपयोग करें। 4. मांस और प्रोटीन - सीलिएक रोगी लोग मांस और मछली का सेवन कर सकते हैं, परन्तु स्याही, लाल मांस, और पाइपर में सीजनिंग न करें। - वेजिटेरियन विकल्प में, दाल, चना, सोया, और पनीर शामिल करें। 5. डेयरी उत्पाद: - ग्लूटेन से मुक्त डेयरी उत्पादों का सेवन करें, जैसे कि दही, छाछ, पनीर, और चीज़। 6. स्नायु तेल और अंडे: - स्नायु तेलों को सुरक्षित माना जाता है, जैसे कि ऑलिव ऑयल और कोकोनट ऑयल। - अंडे एक सुरक्षित प्रोटीन स्रोत हो सकते हैं। 7. बाह्यिक पैकेज़ आहार बाह्यिक पैकेज़ आहारों को सुरक्षितता के साथ सावधानीपूर्वक पढ़ें, क्योंकि इनमें छिपे ग्लूटेन की संभावना हो सकती है। सीलिएक रोगी को अपनी डाइट प्लान को डॉक्टर या पौष्टिक विशेषज्ञ से सुनिश्चित करने के लिए सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकताएं और सामग्री आपस में भिन्न हो सकती हैं। डॉक्टर या पौष्टिक विशेषज्ञ व्यक्ति के स्वास्थ्य स्थिति और व्यक्तिगत आवश्यकताओं के आधार पर एक व्यक्तिगत डाइट प्लान तैयार कर सकते हैं।
Avatar
acute pancreatic treatment in homeopathy
अग्नाशयशोथ का अंतिम चरण क्या है? जब किसी को लंबे समय तक सीपी रहता है तो उसे कई समस्याएं हो सकती हैं। उन्हें बहुत दर्द महसूस हो सकता है, भोजन पचाने में परेशानी हो सकती है और उनकी हड्डियाँ स्वस्थ नहीं हो सकती हैं। उनके अग्न्याशय में एक प्रकार का कैंसर भी हो सकता है। ऐसे अन्य लेख हैं जो सीपी के कारण होने वाले दर्द से राहत पाने के तरीके के बारे में अधिक बताते हैं।Pancreatic Patient Cured Report क्या अग्नाशयशोथ बहुत गंभीर है? अधिकांश लोग जिन्हें तीव्र अग्नाशयशोथ होता है वे जल्द ही बेहतर महसूस करते हैं और उन्हें कोई बड़ी समस्या नहीं होती है। लेकिन कुछ लोगों के लिए यह बहुत गंभीर हो सकता है और जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकता है। यदि जटिलताएँ होती हैं, तो इसकी बहुत अधिक संभावना है कि यह घातक हो सकता है। क्या आप अग्नाशयशोथ के साथ लंबा जीवन जी सकते हैं? क्रॉनिक पैंक्रिएटाइटिस नामक बीमारी के लिए सर्जरी कराने वाले 493 मरीजों का 20 साल तक अध्ययन करने के बाद, उन्होंने पाया कि ज्यादातर मरीज (95.5%) सर्जरी के बाद पहले साल तक जीवित रहे। हालाँकि, 10 वर्षों के बाद, जीवित रोगियों की संख्या गिरकर 63.5% हो गई। अग्न्याशय शोष को काम करने के लिए आहार क्या है? अग्नाशयशोथ से पीड़ित लोगों को बेहतर महसूस करने और स्वस्थ होने के लिए, उन्हें ऐसे खाद्य पदार्थ खाने चाहिए जिनमें बहुत अधिक प्रोटीन और पोषक तत्व हों। इसका मतलब है कि उन्हें बहुत सारे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, कम फैट वाले डेयरी उत्पाद और चिकन या मछली जैसे दुबले प्रोटीन का सेवन करना चाहिए। उनके लिए यह भी वास्तव में महत्वपूर्ण है कि वे शराब न पियें या चिकना या तला हुआ भोजन न करें, क्योंकि इससे उन्हें बुरा महसूस हो सकता है। अग्न्याशय शोष किन कारणो से बनता है? अग्न्याशय की शिथिलता का विकास संपूर्ण अग्न्याशय में फैली नलिकाओं के भीतर श्लेष्म के संचय के परिणामस्वरूप होता है, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी नलिकाओं में रुकावट के कारण एक्सोक्राइन ग्रंथि का शोष होता है। शोष की अभिव्यक्ति, एमआरआई स्कैन के माध्यम से देखी जा सकती है, फैटी जमाओं की घुसपैठ या अग्न्याशय के भीतर फाइब्रोसिस की घटना से समझी जाती है। क्या पैंक्रियास के का होम्योपैथी में इलाज संभव है? हां, होम्योपैथिक उपचार चुनकर पैंक्रिअटिक का इलाज संभव है। होम्योपैथिक इलाज चुनने से आपको इन दवाइयों का कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा और यह समस्या को जड़ से खत्म कर देती है, इसलिए आपको अपनी बीमारी के इलाज के लिए होम्योपैथिक इलाज ही चुनना चाहिए। आप पैंक्रिअटिक कैसे छुटकारा पायेंगे? शुरुआती चरण में सर्वोत्तम उपचार चुनने से आपको पैंक्रियास के ट्यूमर से छुटकारा मिल जाएगा। होम्योपैथिक उपचार का चयन करके, ब्रह्म होम्योपैथी आपको पैंक्रियास के ट्यूमर के लिए सबसे अधिक विश्वसनीय उपचार देना सुनिश्चित करता है। पैंक्रियास के ट्यूमर के लिए होम्योपैथिक उपचार सबसे अच्छा इलाज है। जैसे ही आप साइटिका को ठीक करने के लिए अपना इलाज शुरू करेंगे, आपको निश्चित परिणाम मिलेंगे। होम्योपैथिक उपचार से पैंक्रियास के ट्यूमर का इलाज संभव है। आप कितने समय से बीमारी से पीड़ित हैं, इसका उपचार योजना पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कब से अपनी बीमारी से पीड़ित हैं, या तो हाल ही में या कई वर्षों से - हमारे पास सब कुछ ठीक है, लेकिन बीमारी के शुरुआती चरण में, आप तेजी से ठीक हो जाएंगे। पुरानी स्थितियों के लिए या बाद के चरण में या कई वर्षों की पीड़ा के मामले में, इसे ठीक होने में अधिक समय लगेगा। बुद्धिमान व्यक्ति हमेशा इस बीमारी के किसी भी लक्षण को देखते ही तुरंत इलाज शुरू कर देते हैं, इसलिए जैसे ही आपमें कोई असामान्यता दिखे तो तुरंत हमसे संपर्क करें। ब्रह्म होम्योपैथिक हीलिंग एवं रिसर्च सेंटर की उपचार योजना ब्रह्म अनुसंधान आधारित, चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित, वैज्ञानिक उपचार मॉड्यूल इस बीमारी को ठीक करने में बहुत प्रभावी है। हमारे पास सुयोग्य डॉक्टरों की एक टीम है जो आपके मामले का व्यवस्थित रूप से निरीक्षण और विश्लेषण करती है, रोग की प्रगति के साथ-साथ सभी संकेतों और लक्षणों को रिकॉर्ड करती है, इसकी प्रगति के चरणों, पूर्वानुमान और इसकी जटिलताओं को समझती है। उसके बाद वे आपको आपकी बीमारी के बारे में विस्तार से बताते हैं, आपको उचित आहार चार्ट [क्या खाएं या क्या न खाएं], व्यायाम योजना, जीवन शैली योजना प्रदान करते हैं और कई अन्य कारकों के बारे में मार्गदर्शन करते हैं जो व्यवस्थित प्रबंधन के साथ आपकी सामान्य स्वास्थ्य स्थिति में सुधार कर सकते हैं। जब तक यह ठीक न हो जाए तब तक होम्योपैथिक दवाओं से अपनी बीमारी का इलाज करें। आप अग्नाशयी शोष को कैसे रोकते हैं?
Avatar
chronic pancreatic treatment
क्रोनिक पैंक्रियास को ठीक करने के लिए क्या करें? यदि आपके अग्न्याशय में क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस नामक समस्या है, तो आप सही उपचार प्राप्त करके इसे पूरी तरह से दूर कर सकते हैं। यदि आप इसे जल्दी पकड़ लेते हैं और डॉक्टर से मदद लेते हैं, तो वे बीमारी को बदतर होने से रोकने की कोशिश कर सकते हैं और आप तेजी से बेहतर महसूस करेंगे। होम्योपैथी एक प्रकार का उपचार है जो बीमारी को पूरी तरह से ठीक करने में मदद कर सकता है। ब्रह्मा होम्योपैथी एक विशेष स्थान है जहां तीव्र अग्नाशयशोथ से पीड़ित कई लोग बेहतर हो गए हैं और उनका इलाज किया जा रहा है। क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस के लक्षण? कुछ लोगों को पेट में दर्द होता है जो पीठ तक फैल सकता है।  यह दर्द मतली और उल्टी जैसी चीजों के कारण हो सकता है। खाने के बाद दर्द और बढ़ सकता है। कभी-कभी किसी के पेट को छूने पर दर्द महसूस हो सकता है।  व्यक्ति को बुखार और ठंड लगना भी हो सकता है। वे बहुत कमजोर और थका हुआ भी महसूस कर सकते हैं। क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस के कारण? -पित्ताशय की पथरी -शराब -रक्त में उच्च ट्राइग्लिसराइड का स्तर  -रक्त में उच्च कैल्शियम का स्तर  -पेट की सर्जरी पैन्क्रियाटाइटिस के जोखिम कारक? भारी शराब पीने से आपको पैन्क्रियाटाइटिस होने की अधिक संभावना हो सकती है। धूम्रपान पुरानी पैन्क्रियाटाइटिस होने की संभावनाओं को बढ़ा सकता है, लेकिन धूम्रपान छोड़ने से आपके जोखिम को बहुत कम किया जा सकता है। मोटापा: यदि आप मोटे हैं, तो आपको पैन्क्रियाटाइटिस होने की अधिक संभावना है। यदि आपको मधुमेह है, तो आपके पैन्क्रियाटाइटिस होने का जोखिम अधिक है। क्रोनिक अग्न्याशय के लिए सबसे अच्छी दवा कौन सी है? खराब अग्न्याशय के इलाज के लिए होम्योपैथी वास्तव में एक अच्छा और प्रभावी तरीका हो सकता है। जो लोग इसके बारे में बहुत कुछ जानते हैं और जिनके पास काफी अनुभव है, वे अग्न्याशय को बेहतर बनाने में मदद के लिए होम्योपैथी का उपयोग कर सकते हैं। क्रोनिक अग्न्याशय का इलाज करने का सबसे अच्छा तरीका होम्योपैथिक उपचार है। जब आप यह उपचार शुरू करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे। ब्रह्मा होम्योपैथी से कई मरीजों का इलाज हो रहा है और वे ठीक हो रहे हैं। ब्रह्मा होम्योपैथी आपके अग्न्याशय को ठीक करने के लिए तेज़ और सुरक्षित उपचार देने का वादा करती है। ब्रह्म होम्योपैथी एक विशेष स्थान है जहां डॉक्टर अग्न्याशय में समस्याओं वाले लोगों की मदद के लिए अध्ययन और शोध करते हैं। वे लोगों को बेहतर महसूस कराने, उनके दर्द को रोकने और बीमारी को बदतर होने से रोकने के लिए दवा और विशेष आहार का उपयोग करते हैं। इन समस्याओं का शीघ्र पता लगाना और सही उपचार प्राप्त करना वास्तव में महत्वपूर्ण है ताकि लोगों को बेहतर जीवन मिल सके। विभिन्न देशों के बहुत से लोग ब्रह्म होम्योपैथी में जाकर उन बीमारियों से ठीक हो गए हैं जिन्हें पहले ठीक नहीं किया जा सकता था। क्रोनिक अग्न्याशय के दर्द को कैसे दूर करें? होम्योपैथिक उपचार से आपका अग्न्याशय बेहतर हो सकता है। आपको यह बीमारी कितने समय से है, इससे यह प्रभावित होता है कि इसे ठीक होने में कितना समय लगेगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपको यह बीमारी थोड़े समय के लिए है या लंबे समय के लिए - हम मदद कर सकते हैं। लेकिन अगर आप जल्दी इलाज शुरू कर देंगे तो आप जल्दी ठीक हो जाएंगे। यदि आपको यह बीमारी लंबे समय से है या यह बाद के चरण में है, तो इसे ठीक होने में अधिक समय लग सकता है। जैसे ही आपको बीमारी का कोई लक्षण दिखे, तुरंत उपचार शुरू करना महत्वपूर्ण है।  क्रोनिक पैंक्रियास में क्या नहीं खाना चाहिए? यह आहार योजना उन लोगों के लिए बनाई गई है जिनके अग्न्याशय में एक विशिष्ट बीमारी है। डॉक्टर आपको बताएंगे कि आप क्या खा सकते हैं और क्या नहीं खाना चाहिए। यह पता लगाने के लिए कि आपके लिए कौन से खाद्य पदार्थ अच्छे हैं, आपको एक विशेष खाद्य एक्सपर्ट, जिसे आहार एक्सपर्ट कहा जाता है, से बात करनी चाहिए। प्रतिदिन 2 यूनिट से अधिक शराब न पियें। प्रतिदिन शराब का सेवन न करें। जितना हो सके डेयरी उत्पादों का सेवन करने से बचें। एस्प्रेसो या पेय से बचें. अधिक आहार योजनाओं के लिए कृपया ब्रह्मा होम्योपैथी से संपर्क करें।
Avatar
ige treatment
IgE बढ़ने से क्या होता है? जब IgE (इम्यूनोग्लोबुलिन ई) का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है, तो यह अलर्जी और संक्रामक रोगों के विकारों के संकेत का हो सकता है। IgE एंटीबॉडी होते हैं जो शरीर को विभिन्न प्रकार के विदेशी पदार्थों जैसे कि धूल, पॉलेन, धूम्रपान, पशुओं के धुले हुए स्केल, भूखंडों के दस्तावेज़ और कीड़े-मकोड़ों से बचाने में मदद करते हैं। इन्हें अन्य इम्यूनोग्लोबुलिनों के साथ मिलकर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ किया जाता है। लेकिन जब IgE का स्तर अनुचित रूप से उच्च होता है, तो यह बिना आवश्यकता के विदेशी पदार्थों के प्रति भारी विकार्य प्रतिक्रियाएं प्रारंभ कर सकता है, जिससे अलर्जी और अन्य संक्रामक रोग हो सकते हैं। IGE Cured Patient report IgE लक्षण क्या है? IgE लक्षण अलग-अलग विदेशी पदार्थों के साथ संपर्क करने पर विकसित होते हैं। इन लक्षणों में खांसी, जुकाम, आंखों में जलन, त्वचा में खुजली, छींकें, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, उच्च बढ़ती तापमान, चक्कराना, यानी उच्च तापमान में आचानक वृद्धि, गले में खराश, आदि शामिल हो सकते हैं। यह लक्षण आमतौर पर विदेशी पदार्थों से संपर्क के बाद कुछ समय में प्रकट होते हैं और अलर्जी के प्रकार और उसके कारण बारे में अधिक जानकारी प्रदान करते हैं। पॉजिटिव आईजीई टेस्ट का क्या मतलब है? जब किसी व्यक्ति के IgE टेस्ट का परिणाम उच्च होता है, तो इसे “पॉजिटिव आईजीई टेस्ट” कहते हैं। इसका मतलब होता है कि व्यक्ति के रक्त में IgE की मात्रा सामान्य से अधिक है, जिससे उन्हें विभिन्न प्रकार की अलर्जी और संक्रामक रोगों के खतरे का सामना करना पड़ सकता है। इस स्थिति में, चिकित्सक रोगी के लक्षणों, इतिहास और अन्य जांचों के साथ मिलाकर सही निदान करते हैं और उच्च IgE स्तर के पीछे छिपे संभावित रोग को पहचानते हैं। खून में एलर्जी कैसे पता करें? खून में एलर्जी को जांचने के लिए IgE टेस्ट किया जाता है, जिसमें रक्त से IgE की मात्रा का मापन किया जाता है। यह परीक्षा चिकित्सक के संलग्न रोगी के लक्षणों और इतिहास के साथ मिलाकर किया जाता है और इससे अलर्जी या संक्रामक रोग के लिए संभावित निदान किया जाता है। चिकित्सक समय पर उचित निदान और उपचार के लिए इस परीक्षा का उपयोग करते हैं। एलर्जी के 3 लक्षण क्या हैं? एलर्जी के लक्षण व्यक्ति के अलर्जी के प्रति प्रतिक्रिया के अनुसार भिन्न होते हैं लेकिन निम्नलिखित कुछ आम लक्षण हो सकते हैं: खांसी, जुकाम, आंखों में जलन, त्वचा में खुजली आदि, जिससे एलर्जी के लक्षण प्रकट हो सकते हैं। खांसी और सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, सांस की चपेट में तकलीफ, यानी दिल या फेफड़ों के संबंधित लक्षण भी हो सकते हैं। चक्कर आना, उच्च बढ़ती तापमान, चक्कराना, यानी उच्च तापमान में आचानक वृद्धि भी एलर्जी के लक्षणों में शामिल हो सकती हैं। सबसे अच्छा एलर्जी टेस्ट कौन सा है? सबसे अच्छा एलर्जी टेस्ट का चयन रोगी के लक्षणों, इतिहास और वैद्यकीय इतिहास के आधार पर किया जाता है। IgE टेस्ट, जो खून में IgE की मात्रा का मापन करता है, एलर्जी के निदान में सबसे आम प्रयोग किया जाने वाला टेस्ट है। इसके अलावा, अन्य टेस्ट जैसे कि एलर्जी टेस्ट एंडोस्कोपी और स्किन प्रिक टेस्ट भी एलर्जी के निदान में मदद करते हैं। चिकित्सक रोगी के विशेष परिस्थितियों के आधार पर सबसे उपयुक्त एलर्जी टेस्ट का चयन करेंगे। क्या एलर्जी से खतरा हो सकता है? हां, एलर्जी से खतरा हो सकता है, खासकर यदि व्यक्ति की एलर्जी गंभीर हो जाए। जब व्यक्ति किसी विदेशी पदार्थ के प्रति प्रतिक्रिया देता है, तो उसमें हिस्सा लेने वाले रासायनिक पदार्थ को शरीर एंटीबॉडी बनाता है जो उस विदेशी पदार्थ के साथ अपरिचित होते हैं। इस प्रक्रिया में जीवनशैली या खान-पान के कुछ बदलाव से व्यक्ति अपनी अलर्जी से बच सकता है, लेकिन गंभीर एलर्जी के मामूली संकेतों को नजरअंदाज न करें।  एलर्जी ठीक होने में कितना समय लगता है? एलर्जी का योग्य और सबसे अच्छा इलाज हो सकता है। होमियोपैथी में इसका इलाज संभव है। एलर्जी का सबसे अच्छा इलाज होम्योपैथिक उपचार है। जैसे ही आप एलर्जी को ठीक करने के लिए अपना इलाज शुरू करते हैं, आपको निश्चित परिणाम मिलेगा। इतने मरीज ब्रह्म होम्योपैथी से इलाज ले रहे हैं, उनका इलाज बहुत अच्छा चल रहा हैं। ब्रह्म होम्योपैथी आपको एलर्जी को ठीक करने के लिए सबसे तेज़ और सबसे सुरक्षित उपचार देना सुनिश्चित करता है। ब्रह्म होमियोपैथी एक साइंस बेस रिसर्च क्लीनिक है जहा एलर्जी उपचार लक्षणों के प्रबंधन, दर्द को खत्म करने और रोग की प्रगति को रोकने तथा पूर्ण निदान के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।जीवन की बेहतर गुणवत्ता के लिए शुरुआती पहचान और समय पर एलर्जी उपचार आवश्यक है। ब्रह्म होमियोपैथी में सही डाइट प्लान के साथ सही मेडिसिन से सटीक इलाज किया जाता है। दुनिया भर से अनेको लोगों ने ब्रह्म होमियोपैथी से उपचार कराकर असाध्य रोगों से ठीक हो रहे है।
Brahm homeo Logo
Brahm Homeopathy
Typically replies within an hour
Brahm homeo
Hi there 👋

How can we help you?
NOW
×
Chat with Us